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Ashok Topno
वो मेरे दिल❤पे सिर रखकर सोयी थी बेखबर; हमने अपनी धड़कन ही रोक ली कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए, ©Ashok Topno #feelings #मेरे दिल❤पे सिर #रखकर सोई थी #Ishq_Shayari🥀
Shubham Bhardwaj
तुझे अपने ख्यालों में रखकर जिंदा हूँ। तू ही है जिंदगी मेरी, क्यों कहूँ शर्मिंदा हूँ।। ©Shubham Bhardwaj #तुझे #अपने #ख्यालों #में #रखकर #जिंदगी
Er. Shailendra Kumar
By-Shailendra Kumar #dilbechara वह #पत्थर कहां #मिलता है जिसे लोग #दिल पर #रखकर.....
#dilbechara वह #पत्थर कहां #मिलता है जिसे लोग #दिल पर #रखकर.....
read moreगौरव दीक्षित(लव)
#मुझे_याद है #वो_दिन जब #तुम मेरे #करीब आए #थे #रखकर अपने #होठों पर #जुबान खूब #मुस्कुराए थे मेरी #जिंदगी का वो #पल_ठहर सा गया #था #ना जाने #पंडिताइन❤ मैंने #तुम्हारे लिए #क्या-क्या #सपने_सजाए थे😔😔 #मुझे_याद है #वो_दिन जब #तुम मेरे #करीब आए #थे #रखकर
Dilip Makwana
राम को चौखट पर रखकर एक रावण बचाए बैठे है कुकृत्यों की चपेट में हम भी अपना धर्म भुलाए बैठे है नंगा नाच है सामने आंखों के हम अपना फर्ज सुलाए बैठे है नीतियां रख कोठे पर अब हम अपना "राम" भुलाए बैठे है राम को चौखट पर रखकर एक रावण बचाए बैठे है !! #nojotoapp #nojotonews #nojotohindi aman6.1 Satyaprem Upadhyay
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read moreमलंग
सरकारी शिक्षक सोचते हैं सब, शिक्षक तो पढ़ाता होगा स्कूल जाकर सिर्फ ABCD कराता होगा। जिस दिन तुम उसका हाल जान जाओगे शिक्षा की बदहाली का राज जान जाओगे कभी दाल सब्जी, कभी चावल है उठाता कभी एम डी एम का ,है हिसाब लगाता कम हो गए डाकिये, पर इनकी डाक कम ना हुई घर घर जाकर भी , इनकी नाक कम ना हुई चुनाव आते ही , ये मतदान अधिकारी बन जाते हैं जब प्रिंसिपल ना हो तो , ये प्रभारी बन जाते हैं हरफनमौला किरदार है इनका, पर घमंड बिल्कुल नहीं ज्ञान के सागर हो जायें , पर पाखण्ड बिल्कुल नहीं। नित नित नए प्रयोग, इन पर ही किये जाते हैं नवाचार के बहाने रोज नए टिप्स दिये जाते हैं प्रयोगशाला नहीं उपकरण नहीं फिर भी प्रयोग कराना है अनुदान मद प्राप्ति से पहले ही, उसका उपभोग कराना है कभी बाबू कभी क्लर्क कभी चपरासी बन जाते हैं अपने विभाग के लिए तो ये जगदासी बन जाते हैं एम डी एम की थाली गिनकर भी, कभी ये बताते हैं एम डी एम की गैस भरने की, लाइन भी ये लगाते हैं ऑडिट के समय हर चीज का, हिसाब भी देना पड़ता है विद्यालय बिल्डिंग का तो इन्हें, टेंडर भी देना पड़ता है पढ़ लिखकर ठेकेदारी की, कला तो इनमें आई नहीं इंजीनियरिंग की डिग्री भी, इन्होंने कभी पाई नहीं पर शिक्षक बन अब हर चीज में, दिमाग लगाना पड़ता है शिक्षण को ताक पर रखकर अब,हर कार्य कराना पड़ता है फिर भी नजरों में सबके ये सिर्फ, हराम की ही खाते हैं औरों के लिए तो ये स्कूल में सिर्फ, आराम फरमाते हैं बच्चा लायक नहीं फिर भी पास करना है रेड एंट्री से इन्हें हर दम हर समय डरना है स्कूल ना आये बच्चा तो ,दोष इन पर ही मढ़ना है घर जाकर हर बच्चे के, फिर पैर इन्हें ही पड़ना है नित नए नए तुगलकी फरमान इन्हें ही सुनाये जाते हैं परीक्षा परिणाम बेहतर ना हो तो आरोप भी लगाये जाते हैं अभी दुर्गम के शिक्षक का तो,हाल तुम ना पूछो कैसे जिंदा है वो वहाँ, ये राज तुम ना पूछो अपने को दूसरी दुनिया का कभी वो पाता है जान हथेली पर रखकर भी वो स्कूल जाता है ऊपर से सरकार ने इस कदर रहम किये दुर्गम विद्यालय होकर भी सुगम कर दिए अब भले ना सब्जी मिले ना मिले यहाँ चावल ना नहाने को पानी मिले ना पोछने को टॉवल फिर भी सुगम की नौकरी ये कर रहे हैं दुर्गम जैसे सुगम में , ये मर रहे हैं फिर भी किंचित गम ना करते बाधा देख कभी ना डरते मिशन कोशिश तो अब आई है ये खुद कितने मिशन हैं करते अब शिक्षकों पर प्रयोग तुम बंद करो उलझाकर इनकी बुद्धि ना कुंद करो राष्ट्र निर्माता को राष्ट्र निर्माण करने दो बख्श दो इन्हें देश कल्याण करने दो शिक्षक को शिक्षण के काम में ही लगाओ इस डूबती व्यवस्था को कोई तो बचाओ वरना वो दिन दूर नहीं जब सरकारी स्कूल सब खाली होंगे ना रंग बिरंगे फूल कोई ना चौकीदार ना माली होंगे गरीब का जो भला करना है तो सरकारी स्कूल बचाना होगा गुरूओं को स्कूलों में सिर्फ पढ़ाना होगा यकीं मानो उस दिन इक नई भोर होगी शिक्षा और खुशहाली फिर चहुँ ओर होगी। रचयिता- -बलवन्त रौतेला रुद्रपुर
मलंग
बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। हम शिक्षकों का अस्तित्व ही इनसे है शिक्षा के तरु वट की जड़ें ही इनसे है तुम प्रतिदिन इन्हें प्रोत्साहित कर सफलता का रस पीने दो बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। हमें आदर्शता का एक प्रतिमान स्थापित करना है अपने अंदर की हर बुराई को अच्छाई से भरना है अनुशासित रखकर खुद को भी उन्हें अनुशासित जीवन जीने दो। बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमा छूने दो। तुम जात पात देख कभी इनसे भेदभाव ना करना शिक्षण के इस पेशे को कभी दागदार ना करना नैतिक मूल्यों की अग्नि पर रखकर खुद को इन्हें नैतिकता खुद में सीने दो। बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। शिक्षण का ये पावन कार्य हर किसी को मिलता नहीं बीज से फलदार वृक्ष रचने का ये पुण्य किसी को मिलता नहीं खुद के कांधों पर ये भार लेकर ये राष्ट्र निर्माण खुद को करने दो बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। Composed by- B.S.Rautela 8:30am ( 01/02/2019) Lt teacher Rudrapur
KumarGaurav
आँखों से दरिया बहाकर जज्बात थामे हैं, होठो पर मुस्कान रखकर अपने अंदर सैराट थामे हैं। करना तो चाहते थे हम भी तुझसे मुलाकात, पर सीने पर पत्थर रखकर बस हालात थामे हैं। #हालात
subodh namdev
#रूठी हुई हूँ तुमसे# रूठी हुई हूँ तुमसे मनाते क्यों नहीं हो!!! दिल की बात दिल को समझाते क्यों नहीं हो!!! तुम तो सब समझते थे न मेरी दिल की बातो को अब इस दिल को कुछ समझाते क्यों नहीं हो!!! चाहे मार भी लेना,चाहे डाटं भी लेना!!! मगर इस दिल को अपने दिल की बात भी देना!!! जब तक तुम कुछ बोलते नहीं हो!!! बडा अजीब सा लगता है!!! दिल क्यों ना जाने फकीर सा लगता है!!! आज भी तुम्हारे बिना रह नहीं सकती!!! मेरी भी कुछ मजबुरीयां हैं!!! इसलिये कुछ कह नही सकती!!! कि तुझे अपने प्यार का मतलब बताऊँ गी।।। और तेरे ही कंधे में ही सर रखकर अपना हक जताऊँ गी। कि तुझे एक दिन अपने दिल की सारी बात बताऊगी। और तेरे ही सीने मे सर रखकर हमेशा के लिए सो जाऊँ गी। #Subodh #रूठी हुई हूँ तुमसे #Poem #dilsdiltak
रूठी हुई हूँ तुमसे Poem dilsdiltak
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