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Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मुझे अपने हर दर्द का हमदर्द बना लो, दिल में नहीं तो ख्यालों में बैठा लो, सपनों में नहीं तो आंखों में सजा लो, अपना एक सच्चा अहसास बना लो ।। मुझे कुछ इस तरह से अपना लो, कि अपने दिल की धड़कन बना लो, मुझे छुपा लो सारी दुनिया ऐसे, कि अपना एक गहरा राज बना लो ।। करो मुझसे मोहब्बत इतनी, अपनी हर एक चाहत का अंजाम बना लो, ढक लो मुझे अपनी जुल्फों इस तरह, कि मुझे अपना संसार बना लो ।। आप फूल बन जाओ मुझे भंवरा बना लो, आप चांदनी बन जाओ मुझे चाँद बना लो, रख दो अपना हाथ मेरे हाथों में इस तरह, कि मुझे अपने जीवन का हमसफर बना लो ।। ©Shivkumar #Couple #Nojoto मुझे अपने हर दर्द का #हमदर्द बना लो, दिल में नहीं तो #ख्यालों में बैठा लो, सपनों में नहीं तो #आंखों में सजा लो, अपना एक सच्चा #अहसास बना लो ।।
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे , रास आये हयाते-ए-हिज्र फिर वो बात कहां मुलाक़ात कहा , सवालात जो करु फिर वो बात कहां , मिलना हैं की बिछड़ना हैं वो , मुख्तलिफ सवगात हैं , मिल की बिछड़ना ना परे , ऐसे में हमारी गुफ्तगू कहा , सब आईने के दस्तूर पुछते हैं , अभी तुम से मेरा मिलना हुआ कहा , कोई रुख करु तो फिर कोई बात हैं , बुझते जज्बातों के वो दौर कहा , यु खोना भी तूझे खोना है , फिर तुझसे मैं ग़ैर इरादातन फिर मिला कहां , कोई बात आज भी आईने के दस्तूर लिये बैठा हैं , मिलते तो पुछते तुम से कौन शक्ल अख्तियार किए बैठे हो , जो तसब्बुर के ख्यालों से तुम हु-ब-हू कहीं नहीं मिलते ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे , रास आये हयाते-ए-हिज्र
*** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे , रास आये हयाते-ए-हिज्र
read moreManju Sharma
ये #ख्वाबों #ख्यालों की दुनिया... है बड़ी अजीब इश्क मे एक शख्स... मेहताब बना जाता है हमे मुहब्बत है उससे... बेहिसाब, बेइंतहा वो इश्क मे गणित लगाकर.. उलझाए चला जाता है जब वास्ता नहीं रखना.. क्यू आना,फिर चले जाना दिल तो आखिर दिल है.. झूठी खुशी पर बहुत इतराता है कुछ गलतियांँ उसकी, कुछ मेरी... भी रही होगी लेकिन हमारा रिश्ता दरम्याँ.....साँस भी न ले पाता है उसके ख्वाब-ओ-ख्यालों से... दूर हो चली हूँ दिमाग तर्क-ए-ताल्लुक़ात मे... फँसा चला जाता है ©Manju Sharma
Rabindra Kumar Ram
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करता मैं , बात की बात थी तुझे अनजाने में क्या बात करता मैं, अजनबी तु भी गैर मैं भी ठहरा इस इल्म से, इस हलफनामे में फिर तेरी नाम कैसे लेता मैं. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " उन ख्यालों की नुमाइश क्या करता मैं , बात की बात थी तुझे अनजाने में क्या बात करता मैं, अजनबी तु भी गैर मैं भी ठहरा इस इल्म से, इस हलफनामे में फिर तेरी नाम कैसे लेता मैं. " --- रबिन्द्र राम #ख्यालों #नुमाइश #अनजाने #गैर
Rabindra Kumar Ram
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करता मैं , बात की बात थी तुझे अनजाने में क्या बात करता मैं, अजनबी तु भी गैर मैं भी ठहरा इस इल्म से, इस हलफनामे में फिर तेरी नाम कैसे लेता मैं. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " उन ख्यालों की नुमाइश क्या करता मैं , बात की बात थी तुझे अनजाने में क्या बात करता मैं, अजनबी तु भी गैर मैं भी ठहरा इस इल्म से, इस हलफनामे में फिर तेरी नाम कैसे लेता मैं. " --- रबिन्द्र राम #ख्यालों #नुमाइश #अनजाने #गैर
Madhu Kashyap
सिर्फ तुम सजा लेती हूं उन ख़्वाबों को जो मेरे जीने की वजह बने है वक्त का पता नहीं कब बदल जाए कभी हंसता है तो कभी रूलाता है कभी दर्द भी दे जाता है तुम्हारी ही दी हुई खुशियां हमें वक्त से लड़ना सिखाता है सहेज कर रखा है उन ख्यालों को जो हमारे मुस्कुराने की वजह बन गया है। ©Madhu Kashyap #YouNme सिर्फ तुम #ख्यालों
Rabindra Kumar Ram
" ले चल मुझे तु मुहब्बत की राहों में, मैं तुम्हें मिल सकु तुझसे तेरी बाहों में, फितरतन तु ये ख्वाबों ख्यालों की मंजिल कही वाजिब कर तो दे, वस्ल की रात में मेरी कही ठहर के पनाह पाये तुझे में. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " ले चल मुझे तु मुहब्बत की राहों में, मैं तुम्हें मिल सकु तुझसे तेरी बाहों में, फितरतन तु ये ख्वाबों ख्यालों की मंजिल कही वाजिब कर तो दे, वस्ल की रात में मेरी कही ठहर के पनाह पाये तुझे में. " --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #फितरतन #ख्यालों #वाजिब #वस्ल #रात #ठहर #पनाह
Rabindra Kumar Ram
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम
read moreRabindra Kumar Ram
" बवसता ये हाल हैं मेरा, क्या बताये की क्या कमाल हैं तेरा, मुख़्तलिफ़ वक्त यू ही ख्यालों से गुजरते हो तुम, जैसे की कोई गुनाह कर के कैदेमुसकत मिली हो मुझे. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " बवसता ये हाल हैं मेरा, क्या बताये की क्या कमाल हैं तेरा, मुख़्तलिफ़ वक्त यू ही ख्यालों से गुजरते हो तुम, जैसे की कोई गुनाह कर के कैदेमुसकत मिली हो मुझे. " --- रबिन्द्र राम #बवसता #कमाल #मुख़्तलिफ़ #ख्यालों #गुनाह #कैदेमुसकत
" बवसता ये हाल हैं मेरा, क्या बताये की क्या कमाल हैं तेरा, मुख़्तलिफ़ वक्त यू ही ख्यालों से गुजरते हो तुम, जैसे की कोई गुनाह कर के कैदेमुसकत मिली हो मुझे. " --- रबिन्द्र राम #बवसता #कमाल #मुख़्तलिफ़ #ख्यालों #गुनाह #कैदेमुसकत
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