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अदनासा-
संत बनकर का करूं का करूं बन वज़ीर इत भी उत भी मैं मरूं बनूं राजा या फ़क़ीर भावै मन बनूं बन तरु झूमूं सकल संग समीर ©अदनासा- #हिंदी #फ़कीर #वज़ीर #संत #समीर #बन #तरु #Instagram #Facebook #अदनासा
Rakesh Kumar Das
तरु बड़ी बारीक निगाहों से देखा इर्द गिर्द की घटाओं को तुम सबकोटुंठ लग रहे हो पर सच कहूँ मेरी नज़रें कहती हैं कि अब भी तुम मेरे लिए खूबसूरत हो छोड़ दी पत्तियों ने तुम्हारा साथ पंछियों ने भले ही उजाड़ लिया अपना नीड पर जिस आत्मविश्वास से अड़े हो , निर्जन सुनसान जगह पर खड़े हो हे तरु तुम धन्य हो इन फिजाओं, इन वादियों को को अपनी टुंठ टहनियों से सबको आकर्षित कर रहे हो मेरी तन्हा जीवन की तुम प्रेरणा हो। ©Rakesh Kumar Das #तरु #taru
Tarunima Shrivastava
मेरा तो शहर में छोटा सा आशियाना है जिसके मुंडेर पर तेरे लिए भी तेरे अनुकूल वातावरण मनमोहक घर बनाया है तुम भी मेरी जिंदगी का हिस्सा हो तुम्हारी उड़ान मेरी जीवन में जोश भर देती है एक कटोरा पानी और मुठ्ठी भर अनाज जब तुम्हारे लिए रखती हूं तो महसूस होता है अपने जीवन का महत्व समाज को कुछ अच्छा देकर जाऊ तेरे व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखती हूं मेरे नन्हे मित्र #तरु
मेरा तो शहर में छोटा सा आशियाना है जिसके मुंडेर पर तेरे लिए भी तेरे अनुकूल वातावरण मनमोहक घर बनाया है तुम भी मेरी जिंदगी का हिस्सा हो तुम्हारी उड़ान मेरी जीवन में जोश भर देती है एक कटोरा पानी और मुठ्ठी भर अनाज जब तुम्हारे लिए रखती हूं तो महसूस होता है अपने जीवन का महत्व समाज को कुछ अच्छा देकर जाऊ तेरे व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखती हूं मेरे नन्हे मित्र #तरु
read moreKUNDAN KUNJ
दोहावली कवि भाव विहिन समुद्र जल लागे, नीर अथाह पर प्यास नाहि बुझावे।। तरु नाहि उधम - नीच लगावे, जेहू तरु काट मरू है बनावे।। उच्च- नीच का भाव भयो विकराल, पूत कपूत करे जनक से सवाल।। काहे पिता - पुत्र में होत है बवाल, देख प्रभु धरा पर लावे हैं भुजाल।। पुत्र मोह बंधन में बंधी हुई हैं माता, जान पुत्र तभे फायदा है उठाता।। #मेरा new dohawali...
#मेरा new dohawali...
read moreKUNDAN KUNJ
दोहावली कवि भाव विहिन समुद्र जल लागे, नीर अथाह पर प्यास नाहि बुझावे।। तरु नाहि उधम - नीच लगावे, जेहू तरु काट मरू है बनावे।। उच्च- नीच का भाव भयो विकराल, पूत कपूत करे जनक से सवाल।। काहे पिता - पुत्र में होत है बवाल, देख प्रभु धरा पर लावे हैं भुजाल।। पुत्र मोह बंधन में बंधी हुई हैं माता, जान पुत्र तभे फायदा है उठाता।। मेरा नया #दोहावली
मेरा नया #दोहावली
read moreB.L Parihar
*ओ उपवन के माली...* जिस पौधे को स्नेह करों से...रोपा तूने अपने आँगन... मधुर भावों की तूने उसको जाने कितनी खाद खिलाई.. अभी खिले ही थे प्रसून कुछ..शाखें थोड़ी सी लहराई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... तेरे उपवन का ये पौधा...घनी छाँव का आलय बनता.. नन्हें नन्हें दो फूलों का...शाखाओं पर बचपन पलता... जाने क्यों तेरी नज़रों को...ना भायी इसकी तरुणाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कोमल मन का ये कोटर..अब सूनेपन में मुरझा जाएगा... कैसे अब उम्मीद का पँछी साँझ को लौट के घर आएगा.. जिसके शिखर पर रोज निशा..आकर लेती थी अंगड़ाई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कब माँगा था इसने तुझसे..हर पल मुझे बहार ही देना... कभी गमों की झुलस ना देना..बरखा की बौछार ही देना.. पतझड़ भी सह लेता हँसकर..तूँ ना देता चाहे पुरवाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... जग-उपवन के माली सुनले..अब कोई तूफ़ान न देना... ना पूरा करना हो जिसको..फिर कोई अरमान न देना... करुणानिधि उपमा है तेरी..करुणा तूने खूब दिखाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... "ओ उपवन के माली"
"ओ उपवन के माली"
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 12 - नृत्यरत ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है। हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं। कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।
read moreRaj Yadav
फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली ! तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक, श्यामल भू तल पर झुका हुआ नभ का चिर निर्मल नील फलक।
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