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Best मांकाआंचल Shayari, Status, Quotes, Stories

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Sonal Panwar

Ayushi Singh

शर्म ना हया
बस आज कर दे बया
की मुश्किल कोई भी हो
बस देना अपना साथ
रह के हमेशा हमारे पास
बस अब यही है दिल की दुआ

©Ayushi Singh #मांकाआंचल

Milan Sinha

मेरे मां
मेरी मां छोटी छोटी सी बातों पर खुश या मायूस हो जाती है 
‌ मेरी एक छोटी सी आह से भी परेशान हो जाती है 
खुश होना तो कोई उससे सिखे मेरे खाने कि थाली खाली होने पर खुश 
और भरा होने पर नाराज़ हो जाती है 
जरूर खराब बना होगा अपने बनाए खाने कि ही कमीयां निकल देती है ।
इस लिए कितना भी मन नहीं हो एक दो निवाला ज्यादा खा लेता हूं 
मां के चेहरे पर थोड़ी-सी खुशी पा लेता हूं ।

©Milan Sinha #मां #मांकाआंचल #मां_की_ममता #milansinhaQuotes 

#maa

Richa Srivastava

#मांकाआंचल #मांकाप्यार #motherlove #motherdaughterlove #Memories Kaur ⭐B⭐ अभय चतुर्वेदी (बेबाक मुसाफ़िर) Deepak R Srivastava

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Niraj Kumar singh

माँ का आँचल मै तेरा कान्हा तो नहीं पर मेरी यशोदा तुम हो एक बेटा मै हूं एक मां तुम हो।
जो कभी कुछ कैहती नहीं हर ताप सहती है मेरे लिए कभी वृक्ष तो कभी बादल बनती है ऐ मां मै तेरा राम तो नहीं पर मेरी सुमित्रा तुम हो एक बेटा मै हूं एक मां तुम हो।
जब ठहर जाती है घरी की सूइयां तु चलती है सूरज के निकलने से पहले तू जगती है खुद भूखी रहकर मेरी भूख मिटाती है ऐ मां इतनी ममता तू कहां से लाती है।
मै जो कभी तेरी तुलना कर सकू इतनी मेरी औकात नहीं हां ये सच है मै तेरा बेटा तो नहीं लेकिन मेरी मां सिर्फ तुम हो
मै तेरा कान्हा तो नहीं पर मेरी यशोदा तुम हो। #मांकाआंचल#nojoto#nojotowriters#nojotoहिंदी

पथिक

माँ का आँचल रात भर भीगती रही वो मां बरसात में
न था कोई भी सहारा उसके साथ में
रोती बिलखती रही वो उस दिन 
कैसे कटे ये सर्द रतिया घर बिन
शायद याद आने लगा उसे वो पल
जब पास था वो खुबसूरत कल
बहुत दुलारा बड़ा था बेटा
मंझली बेटी फिर छोटा बेटा
आज नहीं आंचल में कोई फूल
जहां बरसों पहले कलियां थी कुल
फिर ज़रा वो खुद पर मुस्काई
सोच विचार में रात बिताई
प्रियंका गुप्ता पथिक© #मां #मांकाआंचल #nojoto

अंजान

#Ma

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#मांकाआंचल
ठोकरें खाकर सम्भलना अच्छा लगा!
राह थी सकरी भटकना अच्छा लगा!!
खूब ढूढ़ी खुशियाँ नहीं मिली ए मां!
तेरे आंचल से लिपटना अच्छा लगा!!
@अंजान #ma

Deep Sharma

ज़न्नत  जन्नत की जरूरत नहीं है मुझे
ए खुदा
मुझे मेरी माँ के आंचल की छाव ही काफी है

©Deep Sharma #मां #मांकाआंचल 
#जन्नत_यानी_के_माँ

Ravikant Yadav

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#मांकाआंचल / रविकांत यादव
__________________________
आंचल मां तेरा मुझको, लगता है जैसे मरहम,
रखवाली बुरी बला से ,ये करता है मेरी हरदम,
मौसम था वो गर्मी का,सूरज ने थी तपिश दिखाई,
छोटा सा मैं तेरी गोदी में, तूने आंचल की छांव उड़ाई।
तेरा पहलू मां लगता था तब, मुझको बस एक सहारा,
फिरता था पल्लू पकड़े मां, आंगन का हर एक किनारा।
दुनिया के ये झूठे रिश्ते, उलझाते नहीं थे  हमको,
दिखती थी मां तेरी सूरत, मूरत हर एक में मुझको।
मुझे याद है मां वो सर्दी थीं, काली रात पूस की थी छाई,
था तीव्र ज्वर अत्यंत दर्द,वो घड़ी अजब सी थी आयी,
सिरहाने बैठकर तेरे, माथे पर तूने मेरे, गीली पट्टी थी लगाई,
लोरी और थपकी से माई, तूने मेरी पीड़ा भगाई।
जी चाहता है फिर चूम ले मां, मेरे इन हाथों को ,
सीने से लगाकर अपने, दोहरा दे उन बातों को।
बाहों में  फ़िर से भर के मां,  उस बचपन में लौटा दे।
अपने हाथों से माई, फिर घी, गुड़, रोटी और खिला दे।
मैं वयस्क हुआ,तू बृध्द हुई ,ये है जीवन की माया,
करता है मां अब दिल मेरा , मैं बनके रहूं तेरी  छाया।
हे ईश्वर है अनुनय मेरा, कि जब जब जीवन को पाऊं,
मुझे मिले सदा आंचल तेरा, तेरी कोख से सांसे पाऊ।
आंचल मां तेरा मुझको, लगता है जीवनदाई,
 हर ग़म या तनहाई में,दिल को है ये सुखदाई।
                                              
                                                      ~ रविकांत यादव

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