माँ का आँचल रात भर भीगती रही वो मां बरसात में न था कोई भी सहारा उसके साथ में रोती बिलखती रही वो उस दिन कैसे कटे ये सर्द रतिया घर बिन शायद याद आने लगा उसे वो पल जब पास था वो खुबसूरत कल बहुत दुलारा बड़ा था बेटा मंझली बेटी फिर छोटा बेटा आज नहीं आंचल में कोई फूल जहां बरसों पहले कलियां थी कुल फिर ज़रा वो खुद पर मुस्काई सोच विचार में रात बिताई प्रियंका गुप्ता पथिक© #मां #मांकाआंचल #nojoto