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Abundance
#डाट गलती करू तो डाटना मत बस बड़ी आँखें देख ही मै रोने लगती हूँ..... दोनों कान पकड़ कर सोरी मांग लूंगी पर डाटना मत साहब जोर से.... ©Mallika
1311मिश्रा खुशबू...✒️
माँ तेरी गोद में सिर रख कर सोने का मन करता है। आज रोना का मन करता है। तेरी डाट ना मिली जाने कब से... फिर से तेरी डाट खाने का मन करता है। आज रोने का मन करता है। ना कोई तकलीफ़ है फ़िर भी बहुत उदास हूँ। तू जब साथ हो मेरे तो सारी खुशियां पास हैं पता माँ...तेरी परछाई बनने का मन करता है। आज रोने का मन करता है। माँ तेरी गोद में सिर रख कर सोने का मन करता है। आज रोना का मन करता है। तेरी डाट ना मिली जाने कब से... फिर से तेरी डाट खाने का मन करता है। आज रोने का मन करता है। ना कोई तकलीफ़ है फ़िर भी बहुत उदास हूँ। तू जब साथ हो मेरे तो सारी खुशियां पास हैं पता माँ...तेरी परछाई बनने का मन करता है।
माँ तेरी गोद में सिर रख कर सोने का मन करता है। आज रोना का मन करता है। तेरी डाट ना मिली जाने कब से... फिर से तेरी डाट खाने का मन करता है। आज रोने का मन करता है। ना कोई तकलीफ़ है फ़िर भी बहुत उदास हूँ। तू जब साथ हो मेरे तो सारी खुशियां पास हैं पता माँ...तेरी परछाई बनने का मन करता है।
read moreSudeep Keshri✍️✍️
बचपन और दादा जी कुछ बातों को शब्दों में बयां नहीं कर सकते, ऐसी शख्सियत थी उनकी, बिल्कुल अलग प्यार था उनका मेरे लिए, विश्वास था उनका मेरे लिए, आज भी वह एहसास दिलाते हैं, बहुत याद आते हैं, मेरे गलतियों पर डाट लगाते, गलती से मुस्कुरा जाते, क्या बोलूं दास्ता-ए-दादाजी बहुत याद आते हैं... बहुत याद आते हैं ।। for childhood special कुछ बातों को शब्दों में #बयां नहीं कर सकते ऐसी #शख्सियत थी उनकी, बिल्कुल अलग #प्यार था उनका मेरे लिए, #विश्वास था उनका मेरे लिए, आज भी वह #एहसास दिलाते हैं, बहुत याद आता हैं, मेरे #गलतियों पर #डाट लगाते,
Pranjal Jain
हम भी कभी बचपन मे मिठाई की चोरी करते थे, माँ की वो प्यारी सी डाट से डरते थे, माँ की वो चोरी के बाद वाली डाट से भले ही डर लगता था, पर उस डाट के बिना घर घर नही लगता था।। मिठाई बचपन और चोरी😊😊
मिठाई बचपन और चोरी😊😊
read moreAkshay Aggrawal
उमर कच्ची थी पर शैतानीयो के पक्के थे कितनी ही डाट लगती पर मिट्टी के शौकीन थे वो कीचड़ में लिपट के रोज आना फिर मम्मी का डाट लगाना गलती होने पर मुंह फूलना और फिर सामने से टॉफी मिल जाना वो आंटी का काच तोड़ देना फिर नाम दूसरो का लगाना वो दादा की लाठी ले कर नकल करना अभी भी याद है मुझे मेरी वो बचपन की शैतानियां #BachpanKiShaitani #akshayaggrawal #nojoto #feeling #poetry #thinking #ink #hindipoetry
#BachpanKiShaitani #akshayaggrawal nojoto #Feeling #Poetry #Thinking #ink #hindipoetry
read moreRadha Vishwakrma
बचपन और पहली साइकिल बचपन में जब मेंने पहली बार साइकिल चलाई थी साइकिल के साथ मेने खुब दोड लगाइ थी। साइकिल से गिरकर मेने खुब चोट लगाइ थी फिर मम्मी कि भी खुब डाट खाइ थी। पापा ने जब मुझे नई साइकिल दिलाई थी मेने खुब अच्छे से साइकिल चलाइ थी। बहन को साथ बिठाकर मेने उसको भी चोट दिलाइ थी फिर से मेने मम्मी कि डाट खाइ थी। बचपन की पहली साइकिल🚴 ☺
बचपन की पहली साइकिल🚴 ☺
read moreSANGEETA
बचपन और माँ वो भी क्या दिन थे जब ना धूप की फिक्र होती थी ना गरमी की जब यूँ पसीने से लथपथ बेधड़क खुली सड़कों पर भाग रहे होते थे और जब कदम लड़खड़ा जाते थे और हम गिर पड़ते थे तो चोट से ज्यादा डर कपड़े गन्दे होने का होता था के कही घर जा कर माँ कि डाट ना सुननी पड़े वो भी क्या दिन थे जब माँ की डाट से डरते थे। जब माँ की डाट से ही पढ़ते थे। आज माँ डाटटी नहीं सिर्फ प्यार करती है। आज हम इतने बड़े हो गए हैं कि माँ के बिना कहें हीं पड़ लेते है माँ के बिना कहें हीं समझ जाते है जब गिरते हैं किसी राह में तो माँ को बिना बताएं हीं सम्भल जाते है क्योंकि डरते हैं कहीं हमारी माँ हमारी फिक्र से और बीमार ना हो जाए। जाने कहां गया वो बचपन वो बेफिक्र मस्ती वाले दिन-रात अब तो बहुत खुशी मिलती हैं खा कर माँ कि डाट।। #बचपनकीयादे
Sayro ki duniya MG
बचपन में एक छोटे से खिलौने से ही खुसी मिल जाती थी हमेसा सोचता हूं कि कास मेरा बचपन फिर से आ जाता उस छोटे से खिलौने को लेकर फिर से मैं खुश हो जाता हां रोता तो था मैं बस पल भर में ही चुप हो जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता माँ के पैसे देने पर मैं इतना खुस हो जाता जब माँ पूछती की कितना हैं कभी पचीस पैसे बताता तो कभी पचास पैसे में ही चुप हो जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता पापा की डाट को सुनकर थोड़ा डर सा जाता फिर माँ के पल्लू में जाकर छिप जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता जब स्कूल जाता तो दिन भर मस्ती और दोस्तों का खाना चुरा कर खा जाता जब वो पूछते तो झूठ बोल कर थोड़ा खिलखिला सा जाता बस छोटी छोटी बात को सुनकर ही खुस हो जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता दो चार दोस्तों के साथ ही सारा दिन खेले के गुजर जाता और जब घर में माँ से डाट खाता तो हस कर टाल जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता अगर हावईजहाज को देखता तो दिन भर सबसे बताता उसको देखकर मैं बहुत खुश हो जाता कास मेरा बचपन फिर से आ जाता न तो समझदारी थी न ही किसी का डर न ही कोई परेशानी बस अपनी दादी से कहानी सुन कर की सपनो की दुनिया में सो जाता कास मैं अपने बचपन से मिल पाता अब तो इतने समझदार हो गए की हर दिन अपनी खुसी का ठीकाना ढूंढना पड़ता हैं कभी चार लाइन लिख कर ही खुस होता कभी गम भरे दिन गुजारना पड़ता हैं मेरी बस नही सबकी यही कहानी हैं अब तो समझ गए हम यही जिंदगानी हैं ये थी मेरी आज और बचपन की खुसी में फर्क मेरी बचपन में खुसी और अब की खुसी में फर्क
मेरी बचपन में खुसी और अब की खुसी में फर्क
read moreDear diary
बचपन में कितनी ज़िद्दी किया करते थे , कुछ को पूरा करते ओर कुछ को मजबूरियों के तंग जेबो में दबा लिया करते थे । हसना खेलना सब उनसे ही सीखा था मैने , कांच की बोतल के टूटने पर डाट खाई थी मैने । बचपन में छोटी साइकिल से रेस लगाया करता था । गिरकर लौटकर जमकर फटकार भी खाया करता था । एक दिन पापा जैसा कर्तव्य में भी अच्छे से निभाऊंगा ।। कितने ही मस्तियो में ना जाने क्या क्या समान थोड़ा था। पापा ओर मां की डाट से बचने के लिए उन टुकड़ों को दूर फेका था । ......खेर पता तो चल ही जाता है 😋😋😋 फिर पापा की प्यार
बचपन में कितनी ज़िद्दी किया करते थे , कुछ को पूरा करते ओर कुछ को मजबूरियों के तंग जेबो में दबा लिया करते थे । हसना खेलना सब उनसे ही सीखा था मैने , कांच की बोतल के टूटने पर डाट खाई थी मैने । बचपन में छोटी साइकिल से रेस लगाया करता था । गिरकर लौटकर जमकर फटकार भी खाया करता था । एक दिन पापा जैसा कर्तव्य में भी अच्छे से निभाऊंगा ।। कितने ही मस्तियो में ना जाने क्या क्या समान थोड़ा था। पापा ओर मां की डाट से बचने के लिए उन टुकड़ों को दूर फेका था । ......खेर पता तो चल ही जाता है 😋😋😋 फिर पापा की प्यार
read moreNaveen Singh Kushawaha
इस दुनिया में अधूरा एक किस्सा हूं,मै तुम्हारी टूटा एक हिस्सा हूं, मै तुम्हारे जिगर का टुकड़ा हू, मै प्रतिबिंब सा बना मुखड़ा हू,तुम्हारा तुम्हारे बीन किसी अनजान शहर मे बिखरा सा, कागज का एक टुकड़ा हू, माँ माँ कैसे एक वक्त बिता लू तेरी यादो के बिना, मै तो तेरे जिगर का टुकड़ा हू, माँ तुम बस डाट देती थी आँसू आ जाते है, अब तुम्हारी डाट सुनने के लिए आँसू आ जाते हैं. तुम्हारे हाथों की जादू, तुम्हारे दिये संस्कारों को सजा के रखा है माँ तुम्हारे बातो को सीने मे दबा के रखा है, माँ आँसू आते हैं खुद से अब पोछ लेता हूँ, हर दर्द को रोक लेता हूँ, हर जख्म को छुपा लेता हूँ ताकि दर्द ना हो उस उस जिगरे मे जिसका मै टुकड़ा हूं, माँ ऐहसास ना हो उस जिगरे को जिसका मै टुकड़ा हूं. ©homeless_king_naveen