उमर कच्ची थी पर शैतानीयो के पक्के थे कितनी ही डाट लगती पर मिट्टी के शौकीन थे वो कीचड़ में लिपट के रोज आना फिर मम्मी का डाट लगाना गलती होने पर मुंह फूलना और फिर सामने से टॉफी मिल जाना वो आंटी का काच तोड़ देना फिर नाम दूसरो का लगाना वो दादा की लाठी ले कर नकल करना अभी भी याद है मुझे मेरी वो बचपन की शैतानियां #BachpanKiShaitani #akshayaggrawal #nojoto #feeling #poetry #thinking #ink #hindipoetry