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Abhay Bhadouriya
सुनो देखों "हम अच्छे दोस्त हैं.." ये अच्छा उलाहना है.. जिन्हें कभी दोस्त से अधिक होना था वो सदा दोस्त ही बने रहे.... #प्रेम #प्रेम_पर_चिंतन #उलाहना #व्यंग्य #व्यंग्यबाण #love #yqhindi #abhaybhadouriya
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read moreRiChA SiNgH SoMvAnShI
"उलाहना" खुद ही खुद को दिये हुये उलाहनों की नोंक सुख से कहीं जादा पैनी होती है, बिल्कुल आत्मा को कुरेदती हुई बिना जवाबों वाले सवाल पूछती हुई...।।। " हर छोटी सी छोटी बात के लिए खुद को उलाहना देना बंद करिए यह आपको सिवाय तकलीफ केऔर कुछ नहीं देगा..।।" #yqbaba #yqdidi #उलाहना #lifequotes
" हर छोटी सी छोटी बात के लिए खुद को उलाहना देना बंद करिए यह आपको सिवाय तकलीफ केऔर कुछ नहीं देगा..।।" #yqbaba #yqdidi #उलाहना #lifequotes
read moreCalmKrishna
उलाहना देती हुई स्त्री, वास्तव में चाहती है, प्रेम प्रकट करना, पर जाहिर नहीं होने देती। #Eyes #प्रेम #स्त्री #उलाहना #कविता #बात #lovequote #vichar
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 4 - आस्तिक 'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था। 'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 40 - बतंगा 'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया। नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों का, कपियों का, श्वानों का, पक्षियों का, कौओं तक का बडे प्यार से नामकरण करता है, लेकिन कन्हाई अभी है ही कितना बड़ा कि इतने सारे नामों को स्मरण रख सके। कल जिसका नाम इसने उज्जवल रखा, आज उसी को सुबोध कहने लगेगा। अटपटे नाम तो गोपियों के - अपने को खिझाने वाली गोपियों के रखता है - नित्य नये नाम। अब आज इस गोपी का नाम इसने बतंगा रख दिया।
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 56 - उलाहना 'दादा, कनूं मेरा दांव नहीं देता। मैं मारूंगा उसे।' श्रीदाम रोष में है। उसका गौर मुख कुछ लाल हो गया है। उसके बड़े - बड़े नेत्र भरे से हैं। दाऊ यहां न होता तो वह अवश्य श्याम से झगड़ पड़ता। यह भी कोई बात है कि कन्हाई उसका दांव नहीं देता और उल्टे उसे अंगूठा दिखाकर चिढ़ाता है। वह दौड़ने में कृष्ण से कुछ दुर्बल तो है नहीं। किंतु यह दाऊ दादा फिर छोटे भाई का पक्ष न लेने लगे। 'यह कुछ अच्छी बात नहीं।' दाऊ के लिए तो सभी सखा समान हैं। वह भला, क्यों छोटे भाई का पक्ष करे। उसने कह
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