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Author Munesh sharma 'Nirjhara'
हाँ... शायद सही है अंतर तो है तुम में और मुझ में स्त्री और पुरुष में मैं भावों को अभिव्यक्त कर देती हूँ सीधे सरल सहज रूप में और तुम... दमन करते हुए भावों का बिखर जाते हो शब्दों में भी, अस्त-व्यस्त नज़र आते हो...! Muनेश...Meरी✍️🌹 किसान की व्यथा कौन समझे...व्यथा समझते हैं पर बता नहीं पाते शब्दों में... #कविता #किसान #किसान_की_व्यथा #शब्द #yqhindi #yqquotes #abhaybhadouriya #YourQuoteAndMine Collaborating with Abhay Bhadouriya
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बर्फ हम एक पूरी पीढ़ी हैं... जो जमी जा रही है, हमारे दिल और जुबान बर्फ हो चुके हैं आत्मा का एक पूरा हिस्सा ठंडा पड़ चुका है ठंड से जमती है बर्फ... निष्ठुरता से जमते हैं लोग…
बर्फ हम एक पूरी पीढ़ी हैं... जो जमी जा रही है, हमारे दिल और जुबान बर्फ हो चुके हैं आत्मा का एक पूरा हिस्सा ठंडा पड़ चुका है ठंड से जमती है बर्फ... निष्ठुरता से जमते हैं लोग…
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तारे टूट कर लौट जाते हैं आकाश में फूल टूट कर लौट जाते हैं धरती में नदी लौट जाती है सागर में धूप लौट जाती है सूरज में तुमसे दूर जाने की कोशिश मुझे लाकर खड़ा कर देती है ठीक तुम्हारे सामने
तारे टूट कर लौट जाते हैं आकाश में फूल टूट कर लौट जाते हैं धरती में नदी लौट जाती है सागर में धूप लौट जाती है सूरज में तुमसे दूर जाने की कोशिश मुझे लाकर खड़ा कर देती है ठीक तुम्हारे सामने
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🌻 मैं डरता हूँ! जब मुझे छोड़नी होगी दुनिया जाना होगा परमेश्वर के पास क्या लेकर जाऊंगा मैं कितना लघु है जीवन
🌻 मैं डरता हूँ! जब मुझे छोड़नी होगी दुनिया जाना होगा परमेश्वर के पास क्या लेकर जाऊंगा मैं कितना लघु है जीवन
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पाब्लो नेरुदा की कविता 'इफ यू फॉरगेट मी' का अनुवाद गर तुम मुझे भुला बैठो- इक बात कहना चाहता हूं तुमसे तुम्हें पता है कैसे हैं हालात:
पाब्लो नेरुदा की कविता 'इफ यू फॉरगेट मी' का अनुवाद गर तुम मुझे भुला बैठो- इक बात कहना चाहता हूं तुमसे तुम्हें पता है कैसे हैं हालात:
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कौन तय करेगा सच और झूठ की दूरी कितनी है कह देने से चीजें सच हो जाती हैं और छुपा देने से झूठ जिंदगी आधी खुली परछाई है किस हिस्से में धूप है किस हिस्से में छांव कौन तय करेगा...
कौन तय करेगा सच और झूठ की दूरी कितनी है कह देने से चीजें सच हो जाती हैं और छुपा देने से झूठ जिंदगी आधी खुली परछाई है किस हिस्से में धूप है किस हिस्से में छांव कौन तय करेगा...
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मिलने के बाद पुनः मिलने की प्रतिक्षा भी दूसरी कठिन लड़ाइयों जैसी है नहीं पता की एक अंतराल के बाद इंतजार खत्म होगा भी या नहीं सिर्फ़ इतना कह सकना कि मुझे अभी भी उम्मीद है
मिलने के बाद पुनः मिलने की प्रतिक्षा भी दूसरी कठिन लड़ाइयों जैसी है नहीं पता की एक अंतराल के बाद इंतजार खत्म होगा भी या नहीं सिर्फ़ इतना कह सकना कि मुझे अभी भी उम्मीद है
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तुमको जीता हूँ ! अपने स्वप्न की तरह तुम्हें पाने की इच्छा से भरा हुआ और तुम्हें न..पा..पाने के संदेह से गिरा हुआ मैं तुम्हें छू लेना चाहता हूँ तुम हाथ बढ़ाती हो
तुमको जीता हूँ ! अपने स्वप्न की तरह तुम्हें पाने की इच्छा से भरा हुआ और तुम्हें न..पा..पाने के संदेह से गिरा हुआ मैं तुम्हें छू लेना चाहता हूँ तुम हाथ बढ़ाती हो
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दुनिया गोल नहीं है ( कविता अनुशीर्षक मे पढ़े ) दुनिया गोल नहीं है गोल होती तो हम लौट कर वहीं आ जाते जहां से चलना शुरू किया सिर्फ उतना देख पाने में सक्षम है जो सामने घटित हो रहा है जो सामने है उसे ही सच मान लेते हैं
दुनिया गोल नहीं है गोल होती तो हम लौट कर वहीं आ जाते जहां से चलना शुरू किया सिर्फ उतना देख पाने में सक्षम है जो सामने घटित हो रहा है जो सामने है उसे ही सच मान लेते हैं
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