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Santosh Sagar
दौर गोपियों का चला है अब इस ज़माने में , नज़र आती है शहर के सभी मयखाने में ! मनचले होते थे लड़के थे वो एक दिन, अब तो गोपियाँ ही आगे है लड़को को रिझाने में!! दिल जब भर जाती है एक से तो दूसरे खोज लेते हैं , ये सलीका अपने सहेलियों से रोज़-रोज़ लेते हैं ! लड़के भी इनके हुस्न के जाल में गिर ही जाते हैं, गोपियाँ तो है ही आगे लड़को को फ़साने में !! चुस लेती है जिस्म से खून की एक- एक बून्द , और फिर लग जाती है उन्हें सताने में ! अब हमें तुमसे प्यार नहीं तुम दूसरा खोज लो , हमें तो मिल जायेंगे हजारों इस ज़माने में !! टूट जाने के बाद हम घूमते हैं अकेले , दोस्त पकड़ के ले जाते हैं दवाखाने में ! दौर गोपियों का चला है अब इस ज़माने में , नज़र आती है शहर के सभी मयख़ाने में !! :- संतोष 'साग़र' नज़र आती है शहर के सभी मयखाने में... Kumar Mukesh Internet Jockey Matlabi Duniya Pramod Kumar Pintu Ghosh Nojoto Help 🤝
नज़र आती है शहर के सभी मयखाने में... Kumar Mukesh Internet Jockey Matlabi Duniya Pramod Kumar Pintu Ghosh Nojoto Help 🤝
read moreKiran Rani
काली घनेरी रात जिसमें प्रभु जन्म लियो आप , रचाई तुमने ऐसी लीला खुल गए सब कारावास | देवकी और सब सैनिक पड़े हुए थे निस्तेज, बाहर बरखा आंधी और नदी में वेग तेज़ || वासुदेव चले गोकुल को सर पर रख कर तुमको , छू चरण कमल नदी वेग ने किया नमन तुमको | पहुंच गोकुल धाम भये यसोदा नंदन तुम , रंग भरी लीला कर के हर लेते सबका मन तुम | | प्यारी मनमोहक मीठी मुस्कान बिखेर, कर गए सहज कितने ही असुरों को ढेर | मिश्री माखन चुरा सोख से खाते और खिलाते , शरारत कर गोपियों की मटकी फोड़ सताते || मीठी बांसुरी ताान छेड़ कर कृष्ण सांवरे , गईया , गोपाल, गोपियों के दिल होते बाँवरे | राधा संग मिलकर कान्हा तुम राधेकृष्ण कहाते , यमुना तट पर बैठ सांवरे राधा संग रास रचाते || वृन्दावन में चटक चांदनी सब गोपी की प्यास बुझाते , जन्मों से भटकी आत्माओ कान्हा तुम मोक्ष पहुंचाते | अद्भुत शुद्ध प्रेम प्रणय का कान्हा तुम पाठ पढाते , अंतर आत्मा में बसकर शारीरिक मोह को मिटाते || कान्हा , कृष्णा मनमोहक मनोहर तुम सबके , जीवन का हमको हर पल हर क्षण पाठ पढ़ाते | विपरीत परिस्थियों में भी सबको खुशियां देना, साक्षी भाव में रहकर सामुहिकता में जीना || काली घनेरी रात में प्रभु हम सबको जीना सिखाते..... "किरन " krishan janmastmi #krishan Leela #krishan janamastmi
Kiran Rani
#कृष्ण जन्माष्टमी काली घनेरी रात जिसमें प्रभु जन्म लियो आप , रचाई तुमने ऐसी लीला खुल गए सब कारावास | देवकी और सब सैनिक पड़े हुए थे निस्तेज, बाहर बरखा आंधी और नदी में वेग तेज़ || वासुदेव चले गोकुल को सर पर रख कर तुमको , छू चरण कमल नदी वेग ने किया नमन तुमको |
#कृष्ण जन्माष्टमी काली घनेरी रात जिसमें प्रभु जन्म लियो आप , रचाई तुमने ऐसी लीला खुल गए सब कारावास | देवकी और सब सैनिक पड़े हुए थे निस्तेज, बाहर बरखा आंधी और नदी में वेग तेज़ || वासुदेव चले गोकुल को सर पर रख कर तुमको , छू चरण कमल नदी वेग ने किया नमन तुमको |
read moreRajesh Raana
आप अपनों कष्ट के ऊपर वैसे ही नाचे जैसे श्रीकृष्ण कालिया नाग के ऊपर नाचे , आप ज़िन्दगी की रुकावटों को ऐसे पार करे , जैसे श्रीकृष्ण माखन खाकर सरपट पार करते थे , आप अपने चहेतों को इतना प्यार दे जितना प्यार श्रीकृष्ण ने गोपियों को दिया , आप अपने करीबी दुश्मनों का ऐसा संहार करे जैसा संहार श्रीकृष्ण ने कंस का किया था , आप ज़िंदगी के दुःखों में यु मस्त हो गुनगुनाये जैसे श्रीकृष्ण गोकुल में चैन की बंशी बजाते थे। आपको जिंदगी में जरूरत पे ऐसे साथी मिले , जैसे सुदामा को श्रीकृष्ण का साथ मिला था । श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सबकों हार्दीक शुभ कामनाएं। कृष्ण जन्माष्टमी आप अपनों #कष्ट के ऊपर वैसे ही नाचे जैसे श्रीकृष्ण #कालिया नाग के ऊपर नाचे , आप ज़िन्दगी की रुकावटों को ऐसे पार करे , जैसे श्रीकृष्ण #माखन खाकर सरपट पार करते थे , आप अपने चहेतों को इतना प्यार दे जितना प्यार श्रीकृष्ण ने #गोपियों को दिया ,
Love Joshi
कुछ कृष्णा की आदत थी कुछ कृष्णा की आदत थी, कुछ बन्सी की मनमानी थी, जो सुन कर उसकी मधुर धुन, राधा दौड़ी आती थी,, वो सावन की रैना में, अपनी राधा के नैना में, संग गोपियों की सेना में,
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 40 - बतंगा 'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया। नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों का, कपियों का, श्वानों का, पक्षियों का, कौओं तक का बडे प्यार से नामकरण करता है, लेकिन कन्हाई अभी है ही कितना बड़ा कि इतने सारे नामों को स्मरण रख सके। कल जिसका नाम इसने उज्जवल रखा, आज उसी को सुबोध कहने लगेगा। अटपटे नाम तो गोपियों के - अपने को खिझाने वाली गोपियों के रखता है - नित्य नये नाम। अब आज इस गोपी का नाम इसने बतंगा रख दिया।
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 4 - अपनों का ही 'सुना कि कोई बहुत बड़ा मल्ल आने वाला है।' गोपियों को, गोपों को, सबको ही कोई बात, कोई बहाना चाहिये जिससे नन्दनन्दन उनके समीप दो क्षण अधिक ठहरे। यह चपल कहीं टिकता नहीं, इसलिए इस गोपी ने कोई बात निकाली है। 'मल्ल? मल्ल तो अपना विशाल दादा है।' कन्हाई को ऐसी कोई विशेषता नहीं ज्ञात जो उसके सखाओं में उसे न दीखे। संसार में कहीं और कुछ भी विशिष्ट गुण-कर्म किसी में सम्भव है, यह बात यह सोचना ही नहीं चाहता। 'एक बड़े भारी तपस्वी भी आज महर्षि शाण्डिल्य के आश्रम में आने वाले
read moreSonu Mishra
इतवार मुबारक हो साहब आज इतवार है, वो इतवार जो 1843 में शुरू हुआ था. आज मेरा मन भी थोड़ा इतवारी हो रहा है. मन की भावनाएं कविता के लपटों में लिपट रही है. थोड़ा हिंदी थोड़ा उर्दू बनने का मन किया जा रहा है. महसूस ऐसा हो रहा है कि मैं उर्दू के समुंद्र में छलांग लगा लू. कुरान के हर उन पन्नो को पढ़ लू जिसमे शांति का पैगाम उकेरी गई हो. हमारे कुल के बेटे विद्यापति मिश्र ( बाबा नागार्जुन ) की तरह ब्राह्मणत्व के टैग से छुटकारा पा लू. अपना लू नागार्जुन की तरह बौद्ध धर्म. चूंकि रहनुमाओ ने काफी हुड़दंग मचा रखा है ब्राह्मण का हाथ स
आज इतवार है, वो इतवार जो 1843 में शुरू हुआ था. आज मेरा मन भी थोड़ा इतवारी हो रहा है. मन की भावनाएं कविता के लपटों में लिपट रही है. थोड़ा हिंदी थोड़ा उर्दू बनने का मन किया जा रहा है. महसूस ऐसा हो रहा है कि मैं उर्दू के समुंद्र में छलांग लगा लू. कुरान के हर उन पन्नो को पढ़ लू जिसमे शांति का पैगाम उकेरी गई हो. हमारे कुल के बेटे विद्यापति मिश्र ( बाबा नागार्जुन ) की तरह ब्राह्मणत्व के टैग से छुटकारा पा लू. अपना लू नागार्जुन की तरह बौद्ध धर्म. चूंकि रहनुमाओ ने काफी हुड़दंग मचा रखा है ब्राह्मण का हाथ स
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