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शफ़क रश्मि
सुनो ना, तुम ज़रा भी न बदलना,ज़िंदगी के किसी मोड़ पे, रास्ते चाहे कठिन हो, टेढ़े मेढे से किसी मोड़ पे। क्योंकि तुम ना जैसे हो मुझे वैसे ही बहुत पसंद हो, फक्कड़, मनमौजी, बेफिक्र,सदा मुस्कुराते हुए। ©शफ़क रश्मि #मेरे_तुम #मेरेतुम्हारेबीचमें
दीक्षा
सुनो, तुम मर्ज़ ही ठीक हो जब दवा बनते हो दर्द बढ़ जाती है कभी तुम दवा हो कभी दर्द #मेरे_तुम #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqdiary #yqquotes #collabopen
दीक्षा
तुमसे अच्छे तो ये अधूरे ख्वाब हैं मेरे आँखें बंद करने पर ही सही, मिलने तो आते हैं #मेरे_तुम ❤ #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #yqhindi #yqdiary
अबोध_मन//फरीदा
राही से ना जोड़िए.....कौनो नाता कोय। पहले जोड़त प्रीत....ते अश्रु नैनन बोय।। ... ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #प्रेम #मैं_तुमऔरकुछ_रिक्तस्थान #राधाकृष्ण #मेरे_तुम
अबोध_मन//फरीदा
मिला–चला; खिला–जला; पाला– पला; मुझे सदा.! दिखा– रहा; कहा– सहा; रोया – हँसा; साथ सदा.! मैं मेरा रहा मुझमें सदा वक्त चाहे अच्छा–बुरा.! दर्पण पूछे बता ज़रा दोस्त तेरा कौन भला.? ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #मेरे_तुम #मेरामैं
#अबोध_मन #अबोध_poetry #मेरे_तुम #मेरामैं
read moreअबोध_मन//फरीदा
एक बेला खिला अकेला, श्वेत वर्ण अनुरागी काया, महका ख़ुद, आँगन महकाया। निर्झर ख्यालों की झील में उतराता सा आस का ढेला। भोर संग बेला मुसकाया। ना चित न पट चैन, उद्विग्न मन ये कैसा झमेला। ख़ुद सीखा मुझे भी सिखाया। हाँ.. सिखाता है ये बेला खिलना तब भी तुम जब हो मन अकेला जैसे ‘बेला’...’अलबेला’। .. ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #बेला_अकेला #अर्पण #मेरी_जिजीविषा #मेरे_तुम
अबोध_मन//फरीदा
जाओ..! तुम सबको रंग लगाओ कान्हा.. मैं तो कबसे तुम्हारे रंग में ही रंगी हूँ। मुझे इन रंगो से अब क्या लेना देना। ... #अबोध_मन//”फरीदा” ©अवरुद्ध मन #राधा_कृष्ण #प्रेमरंग #मेरे_तुम #कुछभी_typs
#राधा_कृष्ण #प्रेमरंग #मेरे_तुम #कुछभी_typs
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अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको पिय मनभावन। ... जरै साखियाँ, सोलह चन्द्रकलाएँ, चन्द्रमा की, मोरे पिय की हैं बावन। ... अबोध_मन//”फरीदा” . ©अवरुद्ध मन अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
अलंकृत करे मोहे स्वेद बूँदें, जैसे भिंजोए बरखा पावन। ... निखरे द्युति स्वर्ण देह सी निहारे माेको
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अन्धेरे में चुभते कुछ नश्तरों को देखने की रब ने आज बीनाई दे दी, हमने भी आज दिल के ज़ख्मों को आँखों के रास्ते से रिहाई दे दी। ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन #अबोध_मन #अबोध_poetry अन्धेरे में चुभते कुछ नश्तरों को देखने की रब ने आज बीनाई दे दी, हमने भी आज दिल के ज़ख्मों को आँखों के रास्ते से रिहाई दे दी। ...
#अबोध_मन #अबोध_poetry अन्धेरे में चुभते कुछ नश्तरों को देखने की रब ने आज बीनाई दे दी, हमने भी आज दिल के ज़ख्मों को आँखों के रास्ते से रिहाई दे दी। ...
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’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’ वही कहलाया। ... अबोध_मन//‘फरीदा’ . ©अवरुद्ध मन ’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
’प्रेम’ वर्णमाला, शब्द, वाक्य और व्याकरण नियमों में कब बंध पाया।! जब जब किसी ने पढ़ा है मौन ‘प्रेम’
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