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Shubham Bhardwaj
उम्रभर तलाशते रहे,सकून जिंदगी का। बाहर जब भी देखा, दर्दोगम ही पाया है।। ©Shubham Bhardwaj #Exploration #उम्र #भर #तलाश #रह #सकूं #जिंदगी #का #नही
Sunita Sharma
आपके लिए फ्रेंडस ©Sunita Sharma #रूह #रात #यादें #सकूं
Deepa
चलो हम इक छोटा सा करार करते है सिमट के दायरो में तुमको प्यार करते है ✍✍दीपा यादव ©Deepa #प्रेम#इबादत#रोमांस #सकूं #उम्मीद#आशा
Deepa
दो नयनो की जोड़ी वो सूरज सा चेहरा वो धीमी सी दस्तक जमाने का पेहरा थी सर्दी की राते महोब्बत की बाते वो आए थे करने कुछ छिपते छिपाते थी मौन की बोली और संकेतो की भाषा वो पहली सी चाहत वो पहली सी आशा वो मुद्दत की ख्वाहिश वो सदियों का सपना था किस्मत में जिनकी बस सोने सा तपना वो राजा थे दिल के पर कुदरत से हारे थे बरसों से बिछड़े वो तो नदी के किनारे थे दी दस्तक थी दर पर या दिल खटखटाया था थोडा सा वो सहमा थोडा हडबडाया था करके उसने हिम्मत वो दरवाज़ा खोला डरता हुआ मुझको छूकर के बोला पहर रात का था और अंधेरा बड़ा था दिल को थामे हुए वो मेरे पीछे खड़ा था आहट को सुनकर के मैं भी तो जागी पलकों से मेरीेे निंदिया भी तो भागी न शिकवा बचा था ना मन में गिला था बाद एक उमर के वो मुझसे मिला था देख के उसको मैं अपनी सुध बुध को भूली थी थामा था हाथ उसका ऊँगली होंठों से छू ली थी रफ़्तार दिल की भी कुछ बढ़ रही थी ख़ामोश थे लब सांसे भी चढ़ रही थी गला था कुछ रुंधा सा था आंखो में पानी है उसी पल में एक लंबी कहानी है उस लंबी कहानी में ना राजा हैं ना रानी है बहता ही रहता बस आंखो से पानी है बहता ही रहता बस आंखो से पानी है......, ✍️ ©Deepa #शरारत #सरप्राइस #सकूं #महोब्बत#प्रेम#संतुष्टि#तृप्ति#शांति #रोमांस#मिलन
Anuraag Bhardwaj
बहुत सकून था ज़िन्दगी मै जब तक तुम नहीं मिले थे। ऐसी आदत डाली तुमने। अब तो हर घड़ी फोन को देखते रहते है। इंतजार रहता है तुम्हारे मेसेज का। तुम्हारी dp देखते रहते हैं। जब आते हो online तुम। एक चैन सा आ जाता है। एक उम्मीद सी नजर आती हैं। जैसे तुम ही आ जाते हो। दूर होते हो मुझसे। फिर भी करीब लगते हो। तुम्हारे एक hye के लिए। इतनी उतावली हो जाती हूं। यू लगता है तुमसे मिल जाती हूं सब कुछ बेमानी सा लगता है। तुम्हारे बगैर सब सपना सा लगता है। नहीं लगता काम मे मन जब कभी। तुम्हारी save chat पढ़ती रहती हूं। खो जाती हूं बीते वक्त मे। ख़यालो मे सो जाती हूं। कभी दोस्त तो कभी इश्क़ लगते हो। तुम मुझे सबसे करीब लगते हो। कितने बीत गए तुमसे बात किए अब तो यादों से गुजार कर लेती हूं। कभी बुरा भी लगता तो खुद को समझा भी लेती हु। इंसान है गलती कर लेता है। तुम ही थे तुम ही हो तुम ही रहोगे। मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ तुम ही रहोगे। #अनुराज #सकूं
Princi Bhardwaj
दिल का दिल से तेरे हैं कुछ रिश्ता, सिर्फ सांसों पर मेरी एक हक हैं तेरा, दर्द जब दिल में होता हैं बेपनाह, सिर्फ एक तेरी बाहें बनती सकूं मेरा। Write by :- Princi दिल का दिल से तेरे कुछ हैं रिश्ता #दिल#रिश्ता#बेपनाह#सकूं #बाहें
राजेश गुप्ता'बादल'
जर्द सने इस माहौल में सकूं पहलू में एक उसी के पाया है, गुफ्तगू जब जब चाही मैंने उससे वो रूह में ही उतर आया है। #रूह #गुफ्तगू #सकूं #दौर_ए_गफलत #all #nojoto
#रूह #गुफ्तगू #सकूं #दौर_ए_गफलत #all nojoto
read moreठाकुर नीलमणि
चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया! एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया, आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।। शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया। हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया। बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया। निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।। यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया?? खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को, पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया । हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की । एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।। बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:; रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।। लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था, हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।। क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया?? कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:; क्या? इतना अवकाश भी न पाया।। अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; दस्तक मौत का आया।। जिस से भागे भागे फिरते थे;; आज उसे सबसे करीब पाया।। ................................... NILMANI THAKUR #MeraShehar
ठाकुर नीलमणि
जीवन की रफ्तार ...................................................................................... चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया! एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया, आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।। शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया। हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया। बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया। निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।। यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया?? खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को, पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया । हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की । एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।। बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:; रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।। लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था, हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।। क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया?? कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:; क्या? इतना अवकाश भी न पाया।। अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; दस्तक मौत का आया।। जिस से भागे भागे फिरते थे;; आज उसे सबसे करीब पाया।। ................................... NILMANI THAKUR #जीवन की रफ्तार Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Anita
#जीवन की रफ्तार Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Anita
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