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Anita Saini
पिछला बरस बीता समुद्र-मंथन सा अब समय आ गया आत्म-मंथन का #2020 #वर्ष #विस्मृत #वेदना #हर्ष #विष #अमृत #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal
Satya Prakash Upadhyay
बस यही सवाल बार बार घूमता है अंतकाल जब हे! हरि आए, माया का प्रकोप न छाए। विस्मृत न हो जाये छवि तेरी, कामना बस यही हो जाए पूरी। चाहे जितना लम्बा हो जीवन, स्मरण रहे तेरा हर पल हर क्षण। नाम दाम की इक्षा नहीं जग में, बस तेरा नाम बहे रग रग में। परोपकार के भाव हों मन में, परपीड़ा न हो किसी समय में। ऐसे हीं जब प्राण तजे हम, हे प्रभु!देना दर्श,न बनना निर्मम। बस यही सवाल बार बार घूमता है #अंतकाल जब हे! #हरि आए, #माया का #प्रकोप न छाए। #विस्मृत न हो जाये #छवि तेरी, #कामना बस यही हो जाए पूरी। चाहे जितना लम्बा हो #जीवन,
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 53 - श्याम भी असमर्थ आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।' 'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।' यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क
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