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पूर्वार्थ
Jai shree ram #राम_राज्य हमारी पीढ़ी के लिए राम क्या हैं ? - 5 से 10 साल की उम्र में गाँव में रात भर जागकर देखी #रामलीला के वो पात्र जिनके जैसा बनना ही हमारे जीवन का लक्ष्य था इसलिए वो पूरे जीवन के लिए हमारे रोल मॉडल बन गए - 10 से 15 साल की उम्र में TV पर देखी #रामायण के वो पात्र जिनके उठने,बैठने,चलने,फिरने और बात करने का तरीका हमें इतना आइडियल लगता था कि आज भी हम अपने दैनिक जीवन में उसे ही कॉपी करने की कोशिश करते हैं - 15 से 25 साल की उम्र में हर दिन सोने से पहले #रामचरितमानस के 11 दोहे पढ़ने का वो नियम जिसने राम के चरित्र की मर्यादा,उदारता ,सज्जनता और दयालुता समझाई जो हमारी नैतिकता का आधार बनी इसलिए हमारे लिए ‘राम राज्य’ का अर्थ है ‘राम के आदर्शों’ का राज्य क्योंकि हम मानते हैं कि राम का जीवन ही वह दर्शन है जिसमें आज की दुनिया की हर समस्या का समाधान छुपा है ©पूर्वार्थ #JaiShreeRam #ramayana #ramrajya #ShriRammandirayodhya
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सीता हरण के रावण मारीच के पास जाता है और प्रणाम करता है मारीच समझ जाता है कि भविष्य में संकट आने वाला है क्यूंकि जब कोई बुरा व्यक्ति झुकता है तो वह सामने वाले का नुकसान ही करता है. जैसे धनुष का झुकना किसी की मृत्यु रूपी बाण छोड़ना, साँप डसने के लिए झुकता है और बिल्ली अपने शिकार पर झपटने के लिए. कहा गया है..... नवनी नीच के अति दुःखदायी. जिमी अंकुश धनु उरग बिलायी। भयदायक खल के प्रिय बानी.जिमी अकाल के कुसुम भवानी। । ©Taru More #रामायण #ज्ञान #Tarumore
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भगवान शिव श्री राम के अनन्य भक्त है। वह दिन रात भगवान के नाम का जाप कर काशी में मरने वाले जीवों को मुक्ति का उपदेश दिया करते है, जब भगवान राम ने अयोध्या में जन्म लिया तब भगवान शिव उनके दर्शन पाने को व्याकुल हो उठे। उन्होंने एक साधु का रूप धरा और काकभुशुंडि जी ने उनके शिष्य का और अयोध्या पहुंच गए, वहां काकभुशुंडि ने शिव की ख्याति फैलाना शुरू किया और भगवान शिव लोगों का भूत भविष्य बताकर उनके समस्या का समाधान करने लगे। ये सब माँ कौशल्या को भी पता लगा तो वे भी अपने पुत्र को गोद में लेकर पहुंच गयी। तब भगवान शिव ने अपने प्रभु के दर्शन किए और प्रसन्न होकर कैलाश पर वापिस आ गए। ©Taru More #रामायण #Tarumore
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जब भगवान राम के जाने का समय यम देव उन्हें पास आए कि आपके अपने धाम चलने का वक्त आ गया है. राम ने लक्ष्मण को द्वार पर पहरा देने को खड़ा कर दिया कि कोई अंदर ना आए वर्ना तुम्हें मृत्यु दंड मिलेगा.उसी समय ऋषि दुर्वासा आए और उन्होंने राम से मिलने को कहा लक्ष्मण जी ने मना किया तो उन्होंने पूरी अयोध्या नष्ट करने को कहा लक्ष्मण जी ने पूरी अयोध्या को बचाने के लिए खुद का बलिदान करने का निर्णय लिया और जल समाधि ले ली ©Taru More #रामायण ज्ञान #Tarumore
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आप जानते हो कि सीताजी रावण के सामने घास के तिनके का परदा क्यू करती थी?? अगर वो ऐसा नही करती तो रावण उनके देखने मात्र से भस्म हो जाता।। ©Taru More #रामायण #ज्ञान #Tarumore
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वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥ भावार्थ:-अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने वाली सरस्वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करता हूँ॥1॥ *भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥2॥ भावार्थ:-श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप श्री पार्वतीजी और श्री शंकरजी की मैं वंदना करता हूँ, जिनके बिना सिद्धजन अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नहीं देख सकते॥2॥ *वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकररूपिणम्। यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥3॥ भावार्थ:-ज्ञानमय, नित्य, शंकर रूपी गुरु की मैं वन्दना करता हूँ, जिनके आश्रित होने से ही टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है॥3॥ *सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ। वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥4॥ भावार्थ:-श्री सीतारामजी के गुणसमूह रूपी पवित्र वन में विहार करने वाले, विशुद्ध विज्ञान सम्पन्न कवीश्वर श्री वाल्मीकिजी और कपीश्वर श्री हनुमानजी की मैं वन्दना करता हूँ॥4॥ *उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥ भावार्थ:-उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा सम्पूर्ण कल्याणों को करने वाली श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री सीताजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥5॥ ©poetsujeet #रामचरितमानस #रामायण #spiritual #भक्ति #worship
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