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Anjali Raj

भरे हुए हैं खुद से ही बस, एक अदद श्रोता चाहें सब।
भरता जाए, छलके ना पर, ऐसा इक लोटा चाहें सब।

सुनता जाए, धुनता जाए सिर को अपने बेशक जितना,
कान रहें जागें उसके, पर जिव्हा को सोता चाहें सब।

"ये भी सुन और वो भी सुन, पर माथे पर ना डाल शिकन"
पका पका कर के ही पक्की यारी का ओहदा चाहें सब।

आधी उसके अंदर जाएं, आधी फ़िसलें दाएं बाएं,
लाद यूं बोझा, करें सवारी, इक शरीफ़ खोता (गधा)चाहें सब।

जब तक सांस चले श्रोता की तब तक इनकी ज़ुबां चले।
साथ में हामी भरती उसकी गरदन का योगा चाहें सब।

इनकी पीड़ा, इनके झगड़े, इनके रिश्ते, इनके पचड़े,
सुनकर जो बहे कलकल हमदर्दी का इक सोता चाहें सब


     #अंजलिउवाच #YQdidi #श्रोता #वक्ता #व्यंग्य

S.R Sonpurite

"लोग कहते है,तू कुछ कर नही सकता,
तभी तो बना है NOZOTO पर वक्ता"


कहाँ तक सही है,कमेंट में बताए/

©S.R Sonpurite #speaker,#वक्ता,#शायर

#Mic

Ritik Verma the Swan

Ritik Verma the swan #वक्त #वक्ता #वक्ता 
#RVTS
#RITIKVERMATHESWAN
#AAP_KA_YAARAA_RITIK_VERMA_THE_SWAN_PYARAA

VIKAS" VKB #DEARJINDAGI

Travel quotes in Hindi मुझे फिक्र सताती है उनकी, 
जिनको याद मैं आता नही,
शब्दों में पूछा था उन्हों ने 
मेरा हाल कभी,
कुछ दिनों से सुना नही
आवाज उनकी,
लगता है सदियों बीत गया
अभी अभी,
ऐ वक्त जा उन्हें भी बता
तू ठहरता नही,,वही कभी ।
✍✍VKB…. #वक्ता

Ashutosh Pandey

#RIP sushma ji

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#OpenPoetry भारतीय जनता पार्टी की शीर्ष नेता,पूर्व विदेश मंत्री,मनहर हिंदी भाषी और बेवाक वक्ता परम् आदरणीया सुषमा स्वराज जी का निधन भारतीय राजनीति में एक अपूरणीय क्षति है।भगवान ऐसी विभूति को अपने श्री चरणों मे स्थान प्रदान करे।आप जैसा मनहर वक्ता भारतीय राजनीति में नामुमकिन है।Rip🙏🙏🙏🙏 #Rip sushma ji

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

Latika Chawda "लाली"

मुझे याद है जब मैं स्नातक की छात्रा थी जी.एस. कॉमर्स कॉलेज में, और जमनालाल बजाज वाद-विवाद प्रतियोगिता होती थी जिसमें देश भर से अँग्रेज़ी और हिंदी के वक्ता इकट्ठा होते थे । अँग्रेज़ी वाले तो ठीक, वही कोट-पैंट टाई लटकाए जो हर कहीं देखने मिल जाते लेकिन हिंदी वक्ता तो जैसे उस समय भी खादी वस्त्र और मोदी जैकेट और कोई-कोई तो धोती भी, और दक्षिण भारतीय तो अपने भारतीय परिधान और आभूषणों में होते थे, देखकर इतनी ठंडक मिलती न आँखों को कि क्या बताएँ!....और ऊपर से वह जनवरी-फरवरी की ठंड... हॉल बहुत बड़ा था मगर ठंडा

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इश्क़ भी शायद तभी से शुरू हुआ हिंदी से मेरा..!
❤
(पढ़िए कैप्शन में..!) मुझे याद है जब मैं स्नातक की छात्रा थी जी.एस. कॉमर्स कॉलेज में, और जमनालाल बजाज वाद-विवाद प्रतियोगिता होती थी जिसमें देश भर से अँग्रेज़ी और हिंदी के वक्ता इकट्ठा होते थे । अँग्रेज़ी वाले तो ठीक, वही कोट-पैंट टाई लटकाए जो हर कहीं देखने मिल जाते लेकिन हिंदी वक्ता तो जैसे उस समय भी खादी वस्त्र और मोदी जैकेट और कोई-कोई तो धोती भी, और दक्षिण भारतीय तो अपने भारतीय परिधान और आभूषणों में होते थे, देखकर इतनी ठंडक मिलती न आँखों को कि क्या बताएँ!....और ऊपर से वह जनवरी-फरवरी की ठंड... हॉल बहुत बड़ा था मगर ठंडा

Anil Siwach

||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों

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||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' 

प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों

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