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•● R.Raj "कविराज" ●•
#ये_सिगरेट_सा_तेरा_इश्क़ तम्बाखू जैसी इन कड़वी बातों को तेरी, सोचता हूँ, ज़िन्दगी के कागज़ में लपेट कर, सुलगा दूँ, और उन सब ज़हरीली यादों को धुएं जैसे, आसमाँ में उड़ा दूँ, दम घुटता है औ' अब सीने में अजब दर्द सा है, सोचता हूँ तेरे नशे की ये, आदत बुरी छुड़ा लूँ, सुलगते हुए जब राख गिरेगी इस ज़मी पर, हवा सब उड़ा ले जाये, ये दुआ मांगता हूँ । ©•● R.Raj "कविराज" ●• #सिगरेट_सा_तेरा_इश्क़ #saynotosmoking #nojotohindi #rkalamse #rshayari #socialmassage
•● R.Raj "कविराज" ●•
** बाप ** वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था, खुद के लिए नहीं, वो परिवार के लिए कमाता था, दिन रात सब बराबर थे उसके लिए, वो ठंड में भी जब पसीने बहाता था, उम्र गुज़री और कुछ तकलीफ में क्या आये, वही परिवार अब उसे हर रोज़ ठुकराता था, था पड़ा अकेला बेबस सा वो एक कमरे में, पर अब भी मन में वही गीत गुनगुनाता था, जब उठाया था गोदी में पहली बार उसे, और वो देख देखकर उसे यूँ मुस्कुराता था, अकेला छोड़ा नहीं था जिसने कभी, वो 'बाप' अंधेरे में ..गुमनाम कराहता था । @ऋषि सिंह ©•● R.Raj "कविराज" ●• #बाप #rkalamse #rshayari #kavita #nojotohindi #hindi_poetry
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read more•● R.Raj "कविराज" ●•
#ठिठोली माँ आज हँस ले ना तू भी, बहुत बरस हुए मुस्काई ना तू, बिता दिया जीवन बन त्यागी, खुशियां भी कुछ पाई ना तू, थक जाती थी, फिर भी भागी, अपने बच्चों के खातिर तू, खुद पीड़ा में रोई हो कितना, पर हम रोते तो हँसाती तू, चल छोड़ आज ये घर के काम, बन हम सबकी आज हमजोली माँ, कुछ तू कह, कुछ हम कहते हैं, करतें हैं आज हँसी ठिठोली माँ, भूल जा ग़म सारे तू, चल करते हैं ऐसा सौदा माँ, बन जाता मैं कान्हा तेरा और तू मेरी यशोदा माँ । @ऋषि 'राज' सिंह #thitholi #rkalamse #rshayari #hindi_poetry #nojotohindi #nihshabdhhindi #nihshabdhwriters #MothersDay
•● R.Raj "कविराज" ●•
वो 'राहत' दिलों की कोई और ले गया, फिर से चुरा के कोई, कोहिनूर ले गया, जादूगर था वो कलम को कागज़ पे चलाने का, जो शायरी को अपना ही अलग दौर दे गया...... ©ऋषि सिंह #rshayari #rkalamse #rahat #indori #nojotohindi #RIPRahatIndori
•● R.Raj "कविराज" ●•
#घाट कल कल ध्वनि से बहतीं नदियां, संग साथ चला एक थार है, कहीं पूज्य,कहीं किले तमाम, कहीं मंदिर अपरम्पार हैं, कहीं उड़ रहे गुलाल,कहीं, रंगीं पुष्पों की बारिश है, कहीं हो रहे दीप प्रज्वलित, तो कहीं क़त्ल की साजिश है, गूंज रही ध्वनि घंटों की, और कहीं करतल,सुर ताल है, कहीं घूमते प्रेमी युगल, तो कहीं मछुवारों का जाल है, कहीं पर बन उपजाउ जहां को, भोजन भरपूर कराता है, कहीं हरियाली,कहीं वन उपवन, कहीं दूषित मन शुद्ध कराता है, कहीं संगम का तट कहलाता, कहीं मुक्ति का द्वार है, कहीं जल रहीं ढेर चिताएं, तो कोई आत्महत्या को लाचार है, क्या क्या देखा है इसने युगों से, ये हर घटना का कपाट है, कभी पढ़ कर देखो इसके विचार, ये रुका हुआ सा .....घाट है। @ऋषि सिंह #घाट_🙏 #shore #rkalamse #rshayari #nojotohindi #nojotowriters #hindi_poetry #hindi_poem
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read more•● R.Raj "कविराज" ●•
" खुद को अकेला ना समझाकर बंदे, कहीं ना कहीं कोई तो तेरे लिए होता है, ज़रूरी तो नहीं हर शख़्स चाँद से आया हो, कोई दोस्त अक्सर, दूसरे ग्रह से भी होता है ।" ....©ऋषि सिंह #rkalamse #rshayari #nojotohindi #Dosti
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# द्रौपदी है द्रौपदी तू आज की, नारी ना तू सवाल कर, उठा ले अस्त्र शस्त्र तू, लगा तिलक भाल पर, हिल जाए धरा धुरी भी, ऐसी तू हुंकार भर, काट दे वो हाथ तू, उठे जो तेरे चीर पर, ना कृष्ण यहां रक्षा को, ना पार्थ भी आएंगे, ये अधर्मी ना रुकेंगे अब किसी के तीर पर, उठ तुझे ही लड़ना है,इन कलयुगी कौरवों से, बन काली तू कर विनाश, लिख वीरगाथा आकाश पर। ©ऋषि सिंह #draupadi #devi #rshayari #rkalamse #nojotohindi
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#Labour_Day # मजदूर म- मेहनत कश इंसान हूँ मैं, ज-. ज़िंदादिली से रहता हूँ, दू- दूर रहकर परिवार से मैं, उनके सपने पूरे करता हूँ, र- रात कटती है,फुटपाथ पर, पेट काट कर रहता हूँ, मजदूर हूँ मैं, क्या दोष मेरा, जिन हालातो में रहता हूँ। तोड़ तोड़कर पत्थर को, घमंड उसका चूर करूं, जोड़कर छोटी ईंटों को, मजबूती की दीवार चिनूं, इस तपती गर्मी में भी मैं, कुदाल चला कर रहता हूँ, मजदूर हूँ मैं,किस्मत की, मजबूरी में रहता हूँ । ना पैसो की खनक पता, ना रईसों की चमक पता, बस दो वक्त के खाने को, दिनभर खुद से लड़ता हूँ, मजदूर हूँ मैं,इंसान हूँ मैं, ख़ुदा की बस्ती में रहता हूँ । ©ऋषि सिंह #Labour_Day #majdoor #gareeb #nojotohindi #nojotopoems #hindipoem #rshayari #rkalamse
•● R.Raj "कविराज" ●•
•• नींव •• उस मकां की हर एक ईंट से लहू निकला , जब उसकी नींव को बेरहमी से काटा गया था, बंट गए थे कमरे, घर का कोना कोना, तेरे मेरे के फेर में जब बाप को मारा गया था । वो खिड़की वो दरवाज़े चिल्लाते रह गए, दीवारों ने भी अपने कान बंद किये थे, छत भी थक कर खामोश हो गयी थी, जब रिश्ते को लालच का थप्पड़ पड़ गया था । वो ज़मीन भी इस कदर फूटकर रोई थी, बगीचे का हर पौधा मुरझा गया था, वो आंगन में खड़ा नीम का पेड़ भी चुप था, जिस पर सदियों का बचपन झूल गया था । ना जाने कितनी पीढियां गुज़री थीं यहां, कितनी ही दीवाली पे कभी जगमगाया था, आज पैसो के लालच ने वो सब उखाड़ दिया, जिस रिश्ते की नींव को प्यार से,सींचा गया था । ◆ऋषि सिंह #bantwara #neev #rshayari #rkalamse #nojotohindi #hindipoem
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* लॉकडाउन की विरह वेदना * " रो रोकर उसकी आँखों ने, सब व्यथाएँ कह डाली, बहते उसके हर आँसू ने , दिल की दशाएं कह डाली , वो वेदना से क्षीण , कमज़ोर हुआ सा बैठा है, विरह अग्नि में जलता वो, कुछ उदास सा बैठा है, इस बंदी में अपने कार्यक्षेत्र की , उन यादो से घायल है, गृह कार्यों में कब तक हाथ बँटाये, वो इस नाकामी से आहत है, ये विरह की अग्नि पुरुष को, कब तक यूं जलायेगी, हे सरकार तू कब आखिर, नयी योजना लाएगी | " ©ऋषि सिंह 😅😀😀 #Lockdown😝😜 #nojotohindi #nojotoenglish #hindipoem #rshayari #rkalamse #hasyakavya😀
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