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(मेरी डायरी से) उसके जैसी लाईफ़ गुज़ारने की तो लोग तमन्ना करते थे क्या नहीं था उसके पास इज़्ज़त, दौलत ,शोहरत , हज़ारों शेड्स की लिपिस्टिक, क़ीमती परफ़्यूम्स, कलर्स काजल, मस्कारे, क़ीमती आईलैशेज़, आईलाईनर ,हज़ारो शेड्स के आईशेडोज़,जदीद फ़ैशन के लिबास और हर लिबास पे मैच करती हर कलर्स की सैंडिल्स ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये आसाईश और आराम का हर सामान वो हर रोज़ नये मुल्क का दौरा...आज कनाडा तो कल इंगलैंड परसों पेरिस जर्मनी, दुबई ,जो मुल्क मैने किताबों में सिर्फ़ तस्वीरों में देखे थे.. वो रोज़ घूमती थी... मै जब नज़र उठा के देखती थी तो अपने और उसके बीच दौलत का एक बड़ा गहरा फ़ासला नज़र आता था कहाँ मामूली सा चालीस पचास हज़ार कमाने वाला मेरा शौहर और कहाँ उसके नाम हज़ारों एकड़ में फैली ज़मीने जायदाद कोठी... कारें मगर दुख ये था के हजारों नौकर वाली हैसियत रखने के बावजूद उसने कभी नौकर नहीं रखे मै जब भी पूछताछ करती थी इस मुतालिक़ वो हंस के एक ही जवाब देती थी के नौकर के आदी लोग अपनी बीवी को वो अहमियत नहीं देते जो अहमियत बीवी के किये गये कामों पे शौहर देता है शायद उसे अपने शौहर की हद से बढी़ हुई तवज्जो चाहिए थी और मै ठहरी मस्त मौला.. एक जैसी दिखाई देने वाली हम दोनों हम शक्लों वाली ज़िन्दगी में एक नुमायाँ फ़र्क़ मगर फिर एक दिन बड़ा गहरा राज़ मुझपे अयां हो गया अभी कुछ दिन पहले जो उसने नये ब्रांड का क़ीमती मोबाइल जो हज़ारों में खरीदा था उसी मोबाइल से अपनी माँ को पाँच कालें करने के लिये पचास हज़ार बार अपने शौहर की मिन्नतें करनी पड़ती थीं उसे उसकी शोहरत उसके उसका हर ऐश उसके शौहर का गुलाम था उसका हर क़ीमती लिबास एक दिखावा था वो तो तरस गयी थी अपनी पसंद का लिबास पहनने को अपनी मर्ज़ी से जीने को अपनी ज़िन्दगी जीने को क्योंकी वो अपने शौहर के महल में कोने में रखा एक पंसदीदा शोपीस थी जिसे रख वो शायद भूल गया था के वो एक जीता जागता इंसानी जिस्म है ।। ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se
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न जाने किस हक़ से तुमने ये हक़ भी हम से छीन लिया के अब हम तुम पे कोई हक़ जतायें!! ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se #WorldBloodDonorDay
#Fizza_ke_Qalam_se #WorldBloodDonorDay
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सुनो तुम खु़दा बन गये हो क्या? इबादत तो बहुत की मगर एक तुम्हारे सिवा सब मिल गया!! ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se
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बहुत लोगों ने मुझे कॉपी किया बस कोई पेस्ट नहीं कर पाया ,,, ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se #OneSeason
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क्यों नहीं समझते ...तुम मुझे समझाना नहीं आता!! ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se #Love
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क्या ज़रूरी है मुझे बे सरो सामाँ करना इब्ने आदम तू मुझे भूल नही सकता क्या?? ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se #NationalSimplicityDay
#Fizza_ke_Qalam_se #NationalSimplicityDay
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तुम झील तो मै भी साहिल हूँ जिसे क़द्र हुई उसे हासिल हूँ रोक रखे थे ख़्वाब आँखो ने तु समझता रहा मै गा़फ़िल हूँ मिल गया साथ जिसने चाहा था तू न समझा मै तेरे क़ाबिल हूँ !! ©Fizza Rizvi #Fizza_ke_Qalam_se
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हर आँखों में आँसू, #Fizza_ke_Qalam_se हुसैनो मिन्नी व अना मिलन हुसैन हुसैन मुझसे है..... और मै अपने हुसैन से हूँ किसके अल्फ़ाज़ हैं ये ये अल्फ़ाज़ हमारे और आप के आक़ा नबीए करीम रसूल अल्लाह सल्लाहो वा आलेही वस्ल्लम के हैं इतनी बड़ी बात इतना बड़ा ओहदा हुसैन आपका कोई नाना नवासे को बोले तुम मुझसे हो समझ आ सकता है मगर मै नवासे से हूँ क्या ऐसा मुमकिन है मगर ये जुमले हमारे आपके नहीं खुद रसूल के कहे हैं क्या मंन्ज़िलत है क्या रुतबा है क्या वक़ार है हुसैन का क्या इज़्ज़त है हुसैन की क्या एहतिराम है हुसैन का मगर जिस नाना ने जिस नबी ने हुसैन के मरतबे को पूरी दुनिया के सामने एलानिया बयान किया उसी नबी उसी मुहम्मद अलैहिसलाम के मानने वालों उसी नाना की उम्मत ने नबी के लख्ते जिगर नबी के पारये जिगर नबी की रुह नबी की धड़कन नबी के नवासे हुसैन के करबला के मैदान में 72 टुकडे़ कर डाले और ये इब्तेदा थी इन्तेहा नहीं इब्तेदा तो कर्बला से शुरु हुवी थी मगर इन्तेहा आज भी जारी है हुसैन के चाहने वाले जब हुसैन की चाहत का इक़रार करते कसम बा खुदा कुछ ऐसे भी जलने वाले मुसलमान आज भी मौजूद हैं जो हुसैन के ज़िक्र से जलन हसद कीना रखते हैं हुसैन के चाहने वालो का मज़ाक़ उड़ाते हैं हुसैन के मानने वालो को वाजेबुल क़त्ल बताते हैं हुसैन पे मातम करना बिदअत बताते हैं हुसैन पे रोना बिदअत बताते हैं अरे मुसलमानो जब जनाबे इब्राहिम को इस्ल्माइल की क़ुर्बानी का हुक्म अल्लाह से मिला जनाबे इब्राहिम ने क़ुर्बानी का इरादा भी किया मगर आँखो पे पट्टी बाँध ली के जानते थे अपने हाथों बेटे की क़ुरबानी नहीं दे पायेंगे अल्लाह को रहम आया कहा जाओ जिब्रील अमीन (फ़रिश्ता) इस्माइल की जगह एक दुम्बा खडा़ कर दो इब्राहिम से दुम्बा ज़बह हो गया इस्माइल बच गये ,, #Fizza__ke__Qalam__se
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हिंदी दिवस हाँ नहीं हूँ मै اردو और english जैसी ये सच है मगर जो मै हूँ वो तुम लोग भी नहीं हो... . #Fizza_ke_Qalam_se
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करते हैं वो कमाल जिन्हें दर्द भी न हो एहसास हर बशर के ज़हन का शऊर है #Fizza_ke_Qalam_se