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हर आँखों में आँसू, #Fizza_ke_Qalam_se हुसैनो मिन्

हर आँखों में आँसू, #Fizza_ke_Qalam_se

हुसैनो मिन्नी व अना मिलन हुसैन 
हुसैन मुझसे है..... और मै अपने हुसैन से हूँ 
किसके अल्फ़ाज़ हैं ये 
ये अल्फ़ाज़ हमारे और आप के आक़ा नबीए करीम रसूल अल्लाह सल्लाहो वा आलेही वस्ल्लम के हैं 
इतनी बड़ी बात इतना बड़ा ओहदा हुसैन आपका 
कोई नाना नवासे को बोले तुम मुझसे हो समझ आ सकता है 
मगर मै नवासे से हूँ 
क्या ऐसा मुमकिन है 
मगर ये जुमले हमारे आपके नहीं खुद रसूल के कहे हैं 
क्या मंन्ज़िलत है क्या रुतबा है 
क्या वक़ार है हुसैन का 
क्या इज़्ज़त है हुसैन की 
क्या एहतिराम है हुसैन का 
मगर जिस नाना ने जिस नबी ने हुसैन के मरतबे को पूरी दुनिया के सामने एलानिया बयान किया 
उसी नबी उसी मुहम्मद अलैहिसलाम के मानने वालों उसी नाना की 
उम्मत ने नबी के लख्ते जिगर नबी के पारये जिगर नबी की रुह नबी की धड़कन 
नबी के नवासे हुसैन के करबला के मैदान में 72 टुकडे़ कर डाले 
और ये इब्तेदा थी इन्तेहा नहीं इब्तेदा तो कर्बला से शुरु हुवी थी 
मगर इन्तेहा आज भी जारी है 
हुसैन के चाहने वाले जब हुसैन की चाहत का इक़रार करते कसम बा खुदा कुछ ऐसे भी जलने वाले मुसलमान
 आज भी मौजूद हैं जो हुसैन के ज़िक्र से जलन हसद कीना रखते हैं 
हुसैन के चाहने वालो का मज़ाक़ उड़ाते हैं 
हुसैन के मानने वालो को वाजेबुल क़त्ल बताते हैं 
हुसैन पे मातम करना बिदअत बताते हैं 
हुसैन पे रोना बिदअत बताते हैं 
अरे मुसलमानो जब जनाबे इब्राहिम को इस्ल्माइल की क़ुर्बानी 
का हुक्म अल्लाह से मिला 
जनाबे इब्राहिम ने क़ुर्बानी का इरादा भी किया मगर आँखो पे पट्टी बाँध ली के जानते थे अपने हाथों बेटे की क़ुरबानी नहीं दे पायेंगे 
अल्लाह को रहम आया कहा जाओ जिब्रील अमीन (फ़रिश्ता) 
इस्माइल की जगह एक दुम्बा खडा़ कर दो
 इब्राहिम से दुम्बा ज़बह हो गया इस्माइल बच गये ,, #Fizza__ke__Qalam__se
हर आँखों में आँसू, #Fizza_ke_Qalam_se

हुसैनो मिन्नी व अना मिलन हुसैन 
हुसैन मुझसे है..... और मै अपने हुसैन से हूँ 
किसके अल्फ़ाज़ हैं ये 
ये अल्फ़ाज़ हमारे और आप के आक़ा नबीए करीम रसूल अल्लाह सल्लाहो वा आलेही वस्ल्लम के हैं 
इतनी बड़ी बात इतना बड़ा ओहदा हुसैन आपका 
कोई नाना नवासे को बोले तुम मुझसे हो समझ आ सकता है 
मगर मै नवासे से हूँ 
क्या ऐसा मुमकिन है 
मगर ये जुमले हमारे आपके नहीं खुद रसूल के कहे हैं 
क्या मंन्ज़िलत है क्या रुतबा है 
क्या वक़ार है हुसैन का 
क्या इज़्ज़त है हुसैन की 
क्या एहतिराम है हुसैन का 
मगर जिस नाना ने जिस नबी ने हुसैन के मरतबे को पूरी दुनिया के सामने एलानिया बयान किया 
उसी नबी उसी मुहम्मद अलैहिसलाम के मानने वालों उसी नाना की 
उम्मत ने नबी के लख्ते जिगर नबी के पारये जिगर नबी की रुह नबी की धड़कन 
नबी के नवासे हुसैन के करबला के मैदान में 72 टुकडे़ कर डाले 
और ये इब्तेदा थी इन्तेहा नहीं इब्तेदा तो कर्बला से शुरु हुवी थी 
मगर इन्तेहा आज भी जारी है 
हुसैन के चाहने वाले जब हुसैन की चाहत का इक़रार करते कसम बा खुदा कुछ ऐसे भी जलने वाले मुसलमान
 आज भी मौजूद हैं जो हुसैन के ज़िक्र से जलन हसद कीना रखते हैं 
हुसैन के चाहने वालो का मज़ाक़ उड़ाते हैं 
हुसैन के मानने वालो को वाजेबुल क़त्ल बताते हैं 
हुसैन पे मातम करना बिदअत बताते हैं 
हुसैन पे रोना बिदअत बताते हैं 
अरे मुसलमानो जब जनाबे इब्राहिम को इस्ल्माइल की क़ुर्बानी 
का हुक्म अल्लाह से मिला 
जनाबे इब्राहिम ने क़ुर्बानी का इरादा भी किया मगर आँखो पे पट्टी बाँध ली के जानते थे अपने हाथों बेटे की क़ुरबानी नहीं दे पायेंगे 
अल्लाह को रहम आया कहा जाओ जिब्रील अमीन (फ़रिश्ता) 
इस्माइल की जगह एक दुम्बा खडा़ कर दो
 इब्राहिम से दुम्बा ज़बह हो गया इस्माइल बच गये ,, #Fizza__ke__Qalam__se
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