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Varsha Sharma
मोबाईल की घंटी बजी और देखा तो उसका कॉल, आज बड़े दिनों बाद आया... मैंने भी गुस्से में नहीं उठाया... एक बार, दो बार तीन बार और आख़िर में चार बार मैंने इग्नोर किया... लेकिन अब मोबाइल डिस्प्ले पर नाम देखकर उसका ज्यादा इग्नोर नहीं कर पाई और उठा ली आखिर में पांचवी कॉल मैंने... "हैलो" हम्म... "कैसी हो" "हां मैं तो ठीक हूं" तुम कहो अपनी.... "यार... आज बड़े दिनों बाद कॉल की है न मैंने... मुझे मालूम है तुम्हें मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा है, मैंने आख़िरी बार तुमसे किस तरह से बात की और तुम भी कह रही होंगी न
मोबाईल की घंटी बजी और देखा तो उसका कॉल, आज बड़े दिनों बाद आया... मैंने भी गुस्से में नहीं उठाया... एक बार, दो बार तीन बार और आख़िर में चार बार मैंने इग्नोर किया... लेकिन अब मोबाइल डिस्प्ले पर नाम देखकर उसका ज्यादा इग्नोर नहीं कर पाई और उठा ली आखिर में पांचवी कॉल मैंने... "हैलो" हम्म... "कैसी हो" "हां मैं तो ठीक हूं" तुम कहो अपनी.... "यार... आज बड़े दिनों बाद कॉल की है न मैंने... मुझे मालूम है तुम्हें मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा है, मैंने आख़िरी बार तुमसे किस तरह से बात की और तुम भी कह रही होंगी न
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Haunted Neighbor House (Entire part in the Caption) Yesterday, it was around 9 o'clock, that was the time when me and my nephew were playing with football... Right next to my home there is an old house where no one lives... Sudden, I Kick my football so hard that it hit this old house... Then my nephew forced me to go there so that I could give his football back to him... But before today, I've never been there... Then I went to that place... I slowly opened the door and went inside. It was very dark and dusty here... I turn on the flashlight o
Yesterday, it was around 9 o'clock, that was the time when me and my nephew were playing with football... Right next to my home there is an old house where no one lives... Sudden, I Kick my football so hard that it hit this old house... Then my nephew forced me to go there so that I could give his football back to him... But before today, I've never been there... Then I went to that place... I slowly opened the door and went inside. It was very dark and dusty here... I turn on the flashlight o
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( Entire part in the Caption ) Last evening my younger sister and I were going towards our fields, younger sister was driving the bike and I was sitting behind her. My dad used to go to the fields every day after school, and he was still there today. I had no work to do there, so Papa asked me to ride a bike. Two years ago, I used to ride a bike because I didn't practice, I was afraid of falling. Now when my father forced me, I sat on the bike. What was it, now I started the bike and then immediately stopped in fear, the
Last evening my younger sister and I were going towards our fields, younger sister was driving the bike and I was sitting behind her. My dad used to go to the fields every day after school, and he was still there today. I had no work to do there, so Papa asked me to ride a bike. Two years ago, I used to ride a bike because I didn't practice, I was afraid of falling. Now when my father forced me, I sat on the bike. What was it, now I started the bike and then immediately stopped in fear, the
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"ज़हर" 😅 ये कहानी है चौथी कक्षा में पढ़ रहे दो सगे दोस्तों (best friends) की.... 4th class में इन दोनों की दोस्ती हुई जो की काफी गहरी थी.... की हमेशा दोनों साथ रहती, साथ खेलती, क्लास टाइम में भी साथ बैठना, साथ पढ़ना, और साथ ही लंच करना....। प्ले ग्राउंड (Play ground) में हमेशा हाथ पकड़कर साथ घूमा करते थी, की सबको मालूम भी हो गया था की ये दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हैं....। अब ये तो बात हो गई साथ रहने की, अब एक वक्त होता था जब उन्हें अलग रहना पड़ता था, स्कूल की छुट्टी के बाद, अपने अपने घर जाना... और ये उस समय
ये कहानी है चौथी कक्षा में पढ़ रहे दो सगे दोस्तों (best friends) की.... 4th class में इन दोनों की दोस्ती हुई जो की काफी गहरी थी.... की हमेशा दोनों साथ रहती, साथ खेलती, क्लास टाइम में भी साथ बैठना, साथ पढ़ना, और साथ ही लंच करना....। प्ले ग्राउंड (Play ground) में हमेशा हाथ पकड़कर साथ घूमा करते थी, की सबको मालूम भी हो गया था की ये दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हैं....। अब ये तो बात हो गई साथ रहने की, अब एक वक्त होता था जब उन्हें अलग रहना पड़ता था, स्कूल की छुट्टी के बाद, अपने अपने घर जाना... और ये उस समय
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"नर्तक सहपाठी" (Read in the caption) "नर्तक सहपाठी" 12वीं कक्षा वो कक्षा होती है जिसके पूरे होते ही यादों का पिटारा बांध हम स्कूल से अलविदा कहते हैं। दोबारा वही दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन होता है, लेकिन वो समय वापस आ सके ये तो संभव ही नहीं है क्लास में मेरी दो तीन लड़कों से कुछ ज्यादा ही लड़ाई होती थी, ये राहुल, देवेश और प्रशांत थे। राहुल कभी कभी कुछ ज्यादा ही मस्ती के मूड़ में रहता तो कभी गंभीरता से पढ़ाई करता था... देवेश वैसे तो सबसे ज्यादा ही बहस करता था लेकिन chemistry के लेक्चर में सर के सामने वो बड़ा ही शरीफ बन जाता था.
"नर्तक सहपाठी" 12वीं कक्षा वो कक्षा होती है जिसके पूरे होते ही यादों का पिटारा बांध हम स्कूल से अलविदा कहते हैं। दोबारा वही दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन होता है, लेकिन वो समय वापस आ सके ये तो संभव ही नहीं है क्लास में मेरी दो तीन लड़कों से कुछ ज्यादा ही लड़ाई होती थी, ये राहुल, देवेश और प्रशांत थे। राहुल कभी कभी कुछ ज्यादा ही मस्ती के मूड़ में रहता तो कभी गंभीरता से पढ़ाई करता था... देवेश वैसे तो सबसे ज्यादा ही बहस करता था लेकिन chemistry के लेक्चर में सर के सामने वो बड़ा ही शरीफ बन जाता था.
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"उड़न-डस्टर" 😂 (अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇) ये वो समय था जब मैं अपनी 10वीं कक्षा में थी, पढ़ाई के साथ साथ मस्ती भी भरपूर ही होती थी। 5 लेक्चर्स के बाद एक ब्रेक मिलता था जिसमें खाना खाते और खेलते थे, और उस ब्रेक के बाद का अगला लेक्चर गणित (mathematics) का होता था। बस ब्रेक ऑफ होने की घंटी (bell) बजते ही अफरा तफरी मच जाती। ब्रेक के टाइम में मस्ती इतनी करते की जूतों के निशान बेंचों पर होते फ़िर ब्रेक के खत्म होने पर जल्दी जल्दी से बेंचों को साफ करके उन पर बैठते। Class में एक तरफ लड़कियां बैठती और दूसरी तरफ लड़के, और लड़कियों वाली साइड में
ये वो समय था जब मैं अपनी 10वीं कक्षा में थी, पढ़ाई के साथ साथ मस्ती भी भरपूर ही होती थी। 5 लेक्चर्स के बाद एक ब्रेक मिलता था जिसमें खाना खाते और खेलते थे, और उस ब्रेक के बाद का अगला लेक्चर गणित (mathematics) का होता था। बस ब्रेक ऑफ होने की घंटी (bell) बजते ही अफरा तफरी मच जाती। ब्रेक के टाइम में मस्ती इतनी करते की जूतों के निशान बेंचों पर होते फ़िर ब्रेक के खत्म होने पर जल्दी जल्दी से बेंचों को साफ करके उन पर बैठते। Class में एक तरफ लड़कियां बैठती और दूसरी तरफ लड़के, और लड़कियों वाली साइड में
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"मेट्रो स्टेशन" (अनुशीर्षक में पढ़ें👇) यूं तो मैंने इससे पहले दो बार मेट्रो से सफर किया था, लेकिन इस बीते सोमवार ये पहली बार था की मैं अकेली कहीं सफर पर निकली... थोड़ी डरती हुई और थोड़ा गूगल मैप (google map) और अपने मोबाइल में एक एप्लिकेशन (Delhi metro) की मदद से थोड़ी हिम्मत कर मैं चलती गई... पलवल से दिल्ली (south extension) तक जाने के लिए राजा नहार सिंह मेट्रो स्टेशन जो की बल्लभगढ़ में स्थित है, वहां से मोबाइल में पता लगाया की जाना कैसे है, बल्लभगढ़ से कश्मीरी गेट की तरफ जा रही ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 1 से वॉयलेट लाइन की तरफ लाजपत न
यूं तो मैंने इससे पहले दो बार मेट्रो से सफर किया था, लेकिन इस बीते सोमवार ये पहली बार था की मैं अकेली कहीं सफर पर निकली... थोड़ी डरती हुई और थोड़ा गूगल मैप (google map) और अपने मोबाइल में एक एप्लिकेशन (Delhi metro) की मदद से थोड़ी हिम्मत कर मैं चलती गई... पलवल से दिल्ली (south extension) तक जाने के लिए राजा नहार सिंह मेट्रो स्टेशन जो की बल्लभगढ़ में स्थित है, वहां से मोबाइल में पता लगाया की जाना कैसे है, बल्लभगढ़ से कश्मीरी गेट की तरफ जा रही ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 1 से वॉयलेट लाइन की तरफ लाजपत न
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