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मोबाईल की घंटी बजी और देखा तो उसका कॉल, आज







 मोबाईल की घंटी बजी और देखा तो उसका कॉल, आज बड़े दिनों बाद आया... 
मैंने भी गुस्से में नहीं उठाया... एक बार, दो बार तीन बार और आख़िर में चार बार मैंने इग्नोर किया... लेकिन अब मोबाइल डिस्प्ले पर नाम देखकर उसका ज्यादा इग्नोर नहीं कर पाई और उठा ली आखिर में पांचवी कॉल मैंने... 
"हैलो"
हम्म... 
"कैसी हो"
"हां मैं तो ठीक हूं"
तुम कहो अपनी....
"यार... आज बड़े दिनों बाद कॉल की है न मैंने... मुझे मालूम है तुम्हें मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा है, मैंने आख़िरी बार तुमसे किस तरह से बात की और तुम भी कह रही होंगी न की जब दिल करता है तो बात करे वरना न... हमेशा खुद की ही मर्जी होती है.... मुझे मालूम है तुम्हारा मुझे गालियां देने का मन है, प्लीज़ तुम मुझे गालियां दो मगर ऐसे शांत न रहो... "






 मोबाईल की घंटी बजी और देखा तो उसका कॉल, आज बड़े दिनों बाद आया... 
मैंने भी गुस्से में नहीं उठाया... एक बार, दो बार तीन बार और आख़िर में चार बार मैंने इग्नोर किया... लेकिन अब मोबाइल डिस्प्ले पर नाम देखकर उसका ज्यादा इग्नोर नहीं कर पाई और उठा ली आखिर में पांचवी कॉल मैंने... 
"हैलो"
हम्म... 
"कैसी हो"
"हां मैं तो ठीक हूं"
तुम कहो अपनी....
"यार... आज बड़े दिनों बाद कॉल की है न मैंने... मुझे मालूम है तुम्हें मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा है, मैंने आख़िरी बार तुमसे किस तरह से बात की और तुम भी कह रही होंगी न की जब दिल करता है तो बात करे वरना न... हमेशा खुद की ही मर्जी होती है.... मुझे मालूम है तुम्हारा मुझे गालियां देने का मन है, प्लीज़ तुम मुझे गालियां दो मगर ऐसे शांत न रहो... "