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Abhishek Trehan

♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।

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दुनिया का यही हिसाब है,जो हुआ नहीं वो ही हो रहा
जो सरल है वो गुनहगार है किनारे खड़ा सच रो रहा

बंद मुट्ठी से यूं फिसल गई,किस्मत लिखी या लिखी हवा
शायद हथेली में कोई सुराख है,क्यूं कुबूल होती नहीं मेरी दुआ

आईने को अब तोड़ दो और क्या दूं मैं मशविरा
दिल में कोई ज़ख्म है आधा भर गया,आधा है हरा

माँगी थी तुझसे पनाह मालिक,मेरे हिस्से में धूप लिख  गई
जो टूटा था वो जुड़ा नहीं है,एक उम्मीद पे ज़िदंगी गुज़र  गई

मुफ़्त में सीखा नहीं है,ज़िदंगी का हमने फलसफा
कुछ कर्ज़ हमने उतार दिया है,कुछ रह गया है सिर पे चढ़ा...
© abhishek trehan



 ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Nazar Biswas

♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।

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नाउम्मीदी में भी उम्मीद का दीप जलाये बैठें हैं,
हाँ हम तेरे लिए आज फिर बाँह फैलाये बैठें हैं।

मोहब्बत की राहें आसान कहाँ होती हैं?
तेरे लिए अब भी चंद साँस बचाये रखें हैं।

तुमसे यूँ तो शिकवें कई हमें, कई मलाल भी हैं,
फिर भी तेरी ख़ातिर हम दिल मोम बनाये बैठें हैं।

हवाएं भी मुँह मोड़ खिलाफ़ बहती है अब तो,
तू आ और देख, तेरी कमी में अपना क्या हाल बनाएं बैठें हैं।

छोटी सी ये जिंदगी जाने कब थम जानी है,
इस नाउम्मीदी में भी किसी मोजिज़ा की उम्मीद जगाएं रहतें हैं।

साँसे ठंडी पड़ जाने से पहले क्या तुम आ पाओगे?
हम हर इक प्रहर तेरा नाम अलापे बैठें हैं। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Ish Kumar King

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नाउम्मीदी में उम्मीद 
जगा देना है
खुद प्यासे रहकर भी
दरिया बहा देना है
दुनिया बन जाये कायल
हमारे मुहब्बत की
कुछ इस तरह से 
इश्क़ निभा देना है ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Dr Upama Singh

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नाउम्मीदी में उम्मीद
हम अपने आप से रखते हैं
कितना भी मिले नाकामयाबी
मन को उदास नहीं रखते
आशा का दीप उम्मीद के लौ
के साथ जीवन पथ अग्रसर रहते हैं।। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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दि कु पां

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हो जाऊगा कुछ मै भी हल्का कर गुफ्तगू तुमसे,
की बोझ तुम्हारे ही कन्धों का कुछ कम होगा..  
वरना मैयत का मैरी तुम बोझ ना उठा पाओगे,
कि ना जानें कब ये ख़ाकसार खाक हो जायेगा... ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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अभिलाष सोनी

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नाउम्मीदी में उम्मीद की आस, हमने क्यूँ लगाई थी।
पहले ही क्यूँ न संभले हम, जब इतनी ठोकर खाई थी।

क्यूँ खुद को हम समझ ना पाए, ऐसी गलती कर बैठे।
पहले भी हमने खुद से ही, अपनी पहचान गँवाई थी।

किस्मत ने था किया इशारा, खामियों को सुधारने का।
शुभचिंतकों ने सारे हमारे, बेहतरी की आस जताई थी।

काश कि हम समझ जाते, अपने हालातों की दास्ताँ।
बेवजह क्यूँ हमने अपनी, जान जोखिम में लगाई थी।

किस्मत के इस खेल में, सलामती अपनी कायम है।
वरना हम शायद ही बचते, अपनी ये जान गँवाई थी। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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DR. SANJU TRIPATHI

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जिंदगी में हमें हर मोड़ पर सदा नाउम्मीदी ही मिली है,
उम्मीदों की दुनियाँ तो जैसे मुझसे कोसों दूर खड़ी है।

पर दिल भी मेरा मजबूर है उम्मीद का दामन छोड़ता नहीं,
नाउम्मीदी में उम्मीद जगा लेता है कभी मानता ही नहीं।

रात कितनी भी स्याह क्यों ना हो सवेरा जरूर होता है,
भोर का सूरज उम्मीदों की रोशनी के संग उदय होता है। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Sangeeta Patidar

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मैं भी तो सुनूँ... मैं भी तो जानूँ... 
ज़ेहन में बसते हैं जो, वो आँखों में कैसे उतरते हैं,
कैसे पढ़ लेते हैं हर्फ़-हर्फ़ किसी किताब की तरह।

ख़ामोश लम्हे, वो किस्से-कहानियों में ढाल लेते हैं,
आँसुओं को भी वो जाने कैसे हँसी में बदल देते हैं,
मैं भी तो सुनूँ... मैं भी तो जानूँ...
इतने गुलों के बीच वो ख़ुशबू ही कैसे पहचानते हैं,
कैसे पढ़ लेते हैं हर्फ़-हर्फ़ किसी किताब की तरह।

नाउम्मीदी में भी उम्मीद की डोर लिए खड़े रहते हैं,
अजनबी होकर भी अपनी फ़िक्र लिए अड़े रहते हैं,
मैं भी तो सुनूँ... मैं भी तो जानूँ...
इन हलचलों के बीच वो ख़ामोशी ही कैसे जानते हैं,
कैसे पढ़ लेते हैं हर्फ़-हर्फ़  किसी किताब की तरह।  ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

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