जिंदगी में हमें हर मोड़ पर सदा नाउम्मीदी ही मिली है, उम्मीदों की दुनियाँ तो जैसे मुझसे कोसों दूर खड़ी है। पर दिल भी मेरा मजबूर है उम्मीद का दामन छोड़ता नहीं, नाउम्मीदी में उम्मीद जगा लेता है कभी मानता ही नहीं। रात कितनी भी स्याह क्यों ना हो सवेरा जरूर होता है, भोर का सूरज उम्मीदों की रोशनी के संग उदय होता है। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।