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रिंकी✍️
उठ रही ये उंगली कब तक और उठाओगे तमाचे पर तमाचा और कितना देते जाओगे सुनो जोर लगा लो सुनो तुम आजमा लो मारोगे पीटोगे और जलाओगे इससे ज्यादा तुम और कुछ भी नहीं और कुछ नहीं कर पाओगे जो राख बची है , वो राख जलेगी फिर वही समा होगा फिर चिता दहकेगी और फिर वो घर भी जलेगा जिसमें तुम रहते थे - Rinki #समय #किसीएकको #यकबाबा #यकदीदी #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकभाईजान
रिंकी✍️
चाय और तुम 👇 कहानी अनुशीर्षक में पढ़े मोहम्मद को चाय की लत ऐसी लगी थी कि चाय की एक चुस्की अगर शाम के चार बजते बजते न मिले तो उसके सिर में दर्द हो जाता था। कई बार तो सकीना ने मोहम्मद की इस आदत से झुंझला कर कह दिया था कि " किसी भी चीज की ऐसी आदत अच्छी नहीं मगर तुम्हे मेरी सुननी ही कहां है। कल से चाय पीनी हो तो तुम्हीं बना लेना। मै तुम्हे जहर नहीं देने वाली।" लेकिन अगली बार जब शाम को मोहम्मद चाय नहीं मांगता तो सकीना का ही ध्यान बार बार घड़ी की ओर जाता और सोचती रहती ' न जाने क्यों आज अभी तक चाय के लिए आवाज नहीं आई । चाय का वक़्
मोहम्मद को चाय की लत ऐसी लगी थी कि चाय की एक चुस्की अगर शाम के चार बजते बजते न मिले तो उसके सिर में दर्द हो जाता था। कई बार तो सकीना ने मोहम्मद की इस आदत से झुंझला कर कह दिया था कि " किसी भी चीज की ऐसी आदत अच्छी नहीं मगर तुम्हे मेरी सुननी ही कहां है। कल से चाय पीनी हो तो तुम्हीं बना लेना। मै तुम्हे जहर नहीं देने वाली।" लेकिन अगली बार जब शाम को मोहम्मद चाय नहीं मांगता तो सकीना का ही ध्यान बार बार घड़ी की ओर जाता और सोचती रहती ' न जाने क्यों आज अभी तक चाय के लिए आवाज नहीं आई । चाय का वक़्
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दूर दूर तलक न कोई दिख रहा बस दिख रही है कोई तो ये सड़क..... जहां नहीं कोई दिख रहा दूर दूर तलक..... कुछ पेड़ है बस जो किनारों पर लग रहे शायद धूप न लगे इन सुनसान सड़को को जो वर्षों से है तप रहे वो हरी चादर बन कर इस तरह इन्हे ढक रहे जैसे गोद में पड़े बच्चे पर है मां ने आंचल डाला...... टूट कर कुछ पत्तियां बिखरी है इधर उधर खेल रही है मानो साथ सड़कों के डाली से टूट कर...... - Rinki दूर दूर तलक न कोई दिख रहा बस दिख रही है कोई तो ये सड़क..... जहां कोई नहीं दिख रहा दूर दूर तलक..... कुछ पेड़ है बस जो किनारों पर लग रहे शायद धूप न लगे इन सुनसान सड़को को
दूर दूर तलक न कोई दिख रहा बस दिख रही है कोई तो ये सड़क..... जहां कोई नहीं दिख रहा दूर दूर तलक..... कुछ पेड़ है बस जो किनारों पर लग रहे शायद धूप न लगे इन सुनसान सड़को को
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ख़त लिख कर सेंड किया चिठ्ठियों में नहीं मोबाइल पर हां ज्यादा नहीं लिख पाया सच बताऊं तो उसमे मै वो एहसास जगा न पाया वहीं जो घर आज तेरे आया चन्द मिनटों में कुछ ही घंटो में जल्दी जल्दी सब करना पड़ता है एहसासों से ज्यादा ख्याल टाइम का रखना पड़ता है सच बताऊं तो हाल चाल और ऊपरी एहसास कम शब्दों में ज्यादा बात तुम उसे पढ़ लेना जल्दी से कही डिलीट न हो जाए गलती से ✍️ रिंकी #चिठ्ठी #यकदीदी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकभाईजान
रिंकी✍️
मुक्त जीवन की अभिलाषा यह खुला आसमां मुझको दे बांध न मुझको यूं बंधन में अभी अभी तो जागा हूं दूर तलक है जाना मुझको आगे बढ़ने की आशा दे माना पथ पथरीले राहों में बहुत सी कीलें है लेकिन इनसे भी कहां हारा हूं मैं आखिर दम तक मैं लडुंगा आसमां में जो एक दिन चमकेगा वो चमकता तारा हूं मैं किसी और के कांधे का कब तक कोई सहारा ले गिरकर उठना जानता है जो खुद के हौसलों का वो सहारा हूं मैं ✍️ रिंकी #डरकैसा #मुक्तिबन्धन #अभीलाषा #यकदीदी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकभाईजान
रिंकी✍️
एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था नासमझ और नादान थी तुम जो अज्ञान थी सच्चाई से बेखबर खुश थी तुम खुद की ही बर्बादी पर गूंगे और अंधे तो वो लोग बन बैठें जिन्होंने पूरी दुनिया देखी जिन्हें थी सत्यता की ख़बर बचपन को मसल डाला तुम्हारी तरस नही आया उन्हें तुम्हारी नाजुक सी उम्र पर ये हत्यारे थे तुम्हारे बचपने के जिसने एक बच्ची को बना दिया वक्त से पहले ही औरत ✍️रिंकी एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था
एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था
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छुपकर देख लिया दरबाजे के पीछे से ही कौन था वो जो आने वाला था बनारसी की साड़ी उसमे लिपटी एक नारी खुद को बचते बचाते देख रही थी दरबाजे के आड़े उसे जो आने वाला था वो आया जब आया वो भागी और छुप गई संभलते संभालते वो खुद को कमरे में आकर रुक गई फिर न पूछो उसकी हालत कैसी रही चोर ने चोरी की बस ऐसी रही अपनी इस अवस्था पर वो हँस पड़ी ये कैसी दशा में मैं आ फंसी मुश्किल बड़ी रिंकी✍️ #नेकी #हालत_मेरी #हालत कुछ ऐसी रही #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकबाबा #यकदीदी #यकफ़ीलिंग्स #यकभाईजान
#नेकी #हालत_मेरी #हालत कुछ ऐसी रही #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकबाबा #यकदीदी #यकफ़ीलिंग्स #यकभाईजान
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तुम हँस देना 👇 कविता अनुशिर्षक में पढ़े तुम हँस देना जब भी बात हँसी की हो तुम हँस देना मैं हँसू न हँसू तुम जब हँसना तो खिलखिलाकर हँसना बेबाक होकर बिना किसी की परवाह किये बिना यह सोचे कि तुम्हे यूं हँसते देखकर लोग क्या कहेंगे
तुम हँस देना जब भी बात हँसी की हो तुम हँस देना मैं हँसू न हँसू तुम जब हँसना तो खिलखिलाकर हँसना बेबाक होकर बिना किसी की परवाह किये बिना यह सोचे कि तुम्हे यूं हँसते देखकर लोग क्या कहेंगे
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बूढ़े बाबा 👇 कविता नीचे अनुशिर्षक में पढ़े लाठी थामे बड़े सयाने लगते थे वो बूढ़े बाबा हाँ मुहँ में कोई दांत नही था अंग पर कोई मांस नहीं था फिर भी न जाने कैसे चलते वो बूढ़े बाबा धोती कुर्ता वेश वहीं था गाँव का आंगन, गांव की मिट्टी उनका पूरा देश यहीं था
लाठी थामे बड़े सयाने लगते थे वो बूढ़े बाबा हाँ मुहँ में कोई दांत नही था अंग पर कोई मांस नहीं था फिर भी न जाने कैसे चलते वो बूढ़े बाबा धोती कुर्ता वेश वहीं था गाँव का आंगन, गांव की मिट्टी उनका पूरा देश यहीं था
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दबे पांव चुपके से एक मुस्कुराहट आई थी देखा किसी ने या नही मगर देखा था मैने , तेरे होठो पर छाई थी बड़ा सुकून था उस हँसी में कितनो दिनों बाद तुम इस तरह मुस्कुराई थी वो तेरे चेहरे की अंतिम हँसी पता नही था वो तेरी अंतिम विदाई थी #एकवहीथा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकबाबा #यकदीदी #यकभाईजान #यकफ़ीलिंग्स
#एकवहीथा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकबाबा #यकदीदी #यकभाईजान #यकफ़ीलिंग्स
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