एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था नासमझ और नादान थी तुम जो अज्ञान थी सच्चाई से बेखबर खुश थी तुम खुद की ही बर्बादी पर गूंगे और अंधे तो वो लोग बन बैठें जिन्होंने पूरी दुनिया देखी जिन्हें थी सत्यता की ख़बर बचपन को मसल डाला तुम्हारी तरस नही आया उन्हें तुम्हारी नाजुक सी उम्र पर ये हत्यारे थे तुम्हारे बचपने के जिसने एक बच्ची को बना दिया वक्त से पहले ही औरत ✍️रिंकी एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था