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Best कल्ब Shayari, Status, Quotes, Stories

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Siddiqui Adnan

सारे #खेल रूहों के होते हैं, #मिट्टी के #जिस्मों में कशिश तब ही #पैदा होती है। जब एक #आलम ए अरवाह की #रूह का अपनी #बिछड़ी हुई दोस्त #रूह से वास्ता पड़ता है__!

वरना यहां #हसीन व #जमील चेहरे भी #कल्ब को नहीं #भाते और कभी कोई #आम सा #चेहरा भी #जान से #प्यारा हो जाता है__!!

©Adnan Ahmad #Light #Shayar #love4life

sunita parjapat

#कल्ब है कितना सूना

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Ankur Agnihotri

#footsteps #nojotohindi ये खुद को इंसान कहते हैं..!!

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जुबां पे जरिफ कल्ब में चुभन रखते हैं
खुत्बा पूछो तो इंसान कहते हैं ,

ज़रा से जननी और जननी को ज़ख्म देते हैं ,,

खुत्बा पूछो तो इंसान कहते हैं..

हुस्न को अपना और कल्ब को किसी और का कहते हैं,,

फ़र्ज़ खुद का पर फ़रियाद खुदा से करते हैं ,,

अपने कर्मों से कर्तव्यों का भेदन करते हैं..,,

खुत्बा पूछो तो खुद को इंसान कहते हैं..!!

#जरा- धरती # जरिफ- कोमलता
#कल्ब- दिल
#खुत्बा- परिचय
‌ #footsteps #nojotohindi
ये खुद को इंसान कहते हैं..!!

Shuchi Goyal

कल्ब~दिल कितने बरस गुजर गए मैं और तुम से हम बनने में, पर आज भी आपके लिए मैं बस गिनतियों में आती हूं.... "सब एक से हैं"वाले आपके प्यारे जुमले में हूं.. वाह बस यही बात लग जाती है कल्ब में एक घाव सा कर जाती है

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 कल्ब~दिल

कितने बरस गुजर गए मैं और तुम से हम बनने में,
पर आज भी आपके लिए मैं बस गिनतियों में आती हूं....
"सब एक से हैं"वाले आपके प्यारे जुमले में हूं.. वाह
बस यही बात लग जाती है
कल्ब में एक घाव सा कर जाती है

Manish Nagar

क्या मंज़र दिखा दिया,

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Tunnel आकर नज़दीक कल्ब पर मरहम लगा दिया,
फिर एक ज़ख्म और देकर फिर तड़पा दिया,

वाह री मोहब्बत क्या मंज़र दिखा दिया ?
फिर उसी कल्ब के घाव पर खंजर चला दिया, क्या मंज़र दिखा दिया,

AFROZ ( افروز )

फरेब भी अखबारों में छपने लगा है,
सच का इश्तेहार जाने कब छपेगा ।
दफ़्तर भी साहब की जी हूज़ूरी करने लगा है,
अफ़रोज़ तू बता...जी हूज़ूरी का ये मंज़र कब तक चलेगा।
हर कल्ब यहां सख़्त होने लगा है,
अफ़रोज़ तू भला...कब तक अपने कल्ब की हिफाज़त करेगा।
ज़माना ग़रीब की ज़रूरत से बेफ़िक्र होने लगा है,
अफ़रोज़ तू बता...खाली जेब तू कब तक फ़िक्र करेगा।
रिश्तों में सियासत का असर दिखने लगा है,
अफ़रोज़ तू बता...मोहब्बत की उम्मीद कब तक लगाए रखेगा।
जायदाद की खातिर...ज़ुबानी तीर चलने लगे हैं,
अफ़रोज़ तू बता...इन तीरों के हमले कब तक सहेगा।
झूठ भी सरेआम बिकने लगा है,
अफ़रोज़ तू बता...तेरा लिखा सच कब तक बिकेगा। सच 
#nojoto #nojotokhabri #nojotohindi #kalakaksh #poetry #kavishala #AFROZ

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