कल्ब~दिल कितने बरस गुजर गए मैं और तुम से हम बनने में, पर आज भी आपके लिए मैं बस गिनतियों में आती हूं.... "सब एक से हैं"वाले आपके प्यारे जुमले में हूं.. वाह बस यही बात लग जाती है कल्ब में एक घाव सा कर जाती है