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Rakesh frnds4ever
White दो जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको सुबह शामों आठों यामों में उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,, और कमाल ये कि जिनके लिए जिंदगी झोंकी ,, सपने मारे,, अरमानों के गले दबाए खून के आसू दिल को पिलाए,,, वो कहे तुम काम न आए किए नहीं कुछ भी काम हमारे,,, रात दिन और दोपहरों भटकते फिरते हैं, हर घर , गांव डगर और शहरों हर घड़ी पल छिन और सारे प्रहरों बरस रहे हो हम पर सारे क्रूर कहरों इधर उधर, यहां वहां जाने भटके कहां कहां,,, सफर ना मंजिल ना हमसफर हमारे ,, किधर जाएं हम कहां जाके ढहरें महीने बीते सालें गुजारी लगता जैसे सदियों से ये जिन्दगी किसी नर्क में ढहरी,,,, ,,,,.rky.......१.......१६२५.,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #दो_जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको #सुबह #शामों आठों यामों में उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,, और कमाल ये कि @जिनके लिए #जिंदगी झोंकी ,, सपने मारे,, #अरमानों के गले दबाए
Rabindra Kumar Ram
" लिखता हूं तुझे शामों शहर क्या अंदाज़ लेकर फिर रहे हैं , कुरवत हो की कही तु दिखे मैं बहकते हुए सम्भल जाऊ . " --- रबिन्द्र राम " लिखता हूं तुझे शामों शहर क्या अंदाज़ लेकर फिर रहे हैं , कुरवत हो की कही तु दिखे मैं बहकते हुए सम्भल जाऊ . " --- रबिन्द्र राम #लिखता #शामों #शहर #अंदाज़ #कुरवत #बहकते #सम्भल
OMG INDIA WORLD
अपनी #शामों में हिस्सा.. फिर किसी को न दिया...! #इश्क़ तेरे बिना भी हमने.. ‘तुझसे’ ही किया..!! 💞 ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD अपनी #शामों में हिस्सा.. फिर किसी को न दिया...! #इश्क़ तेरे बिना भी हमने.. ‘तुझसे’ ही किया..!! 💞
#OMGINDIAWORLD अपनी #शामों में हिस्सा.. फिर किसी को न दिया...! #इश्क़ तेरे बिना भी हमने.. ‘तुझसे’ ही किया..!! 💞
read moreSiddharth Sahu
सुबहों-शाम शामों-सुबह वो पहला ख़्याल तेरा होता हैं शामों-सुबह सुबहों-शाम वो आख़िरी ख़्याल भी तेरा होता हैं ये इश्क़ की ख़ूबसूरती हैं या तुम्हारी की हर एक पल मेरा ये दिल तेरा होता हैं #NojotoQuote #nojoto #nojotohindi #hindi #nojotovoice #shayari #nojotourdu #urduadab #urduquotes #2liner #ishqurdu #hindishayari #urdupoetry #poetsociety #poetrycommunity
आयुष पंचोली
Prem quotes in hindi शामों का लुफ्त तो आम आदमी ही उठाता हैं, खास क्या जाने ये शामें कितना कुछ सिखाती हैं। किसी प्रेमी को याद दिलाती हैं अपनी प्रेमिका की, किसी गरीब की दिनभर की मेहनत का फल उसे दो निवालों के रूप मे दे जाती हैं। "आयुष पंचोली" ©ayush_tanharaahi #NojotoQuote शामों का लुफ्त तो आम आदमी ही उठाता हैं, खास क्या जाने ये शामें कितना कुछ सिखाती हैं। किसी प्रेमी को याद दिलाती हैं अपनी प्रेमिका की, किसी गरीब की दिनभर की मेहनत का फल उसे दो निवालों के रूप मे दे जाती हैं। किसी को यह ढलता सूरज अपने आगोश मे ले लेता हैं, किसी परिवार मे उजाला ही चांद के आने से होता हैं।
शामों का लुफ्त तो आम आदमी ही उठाता हैं, खास क्या जाने ये शामें कितना कुछ सिखाती हैं। किसी प्रेमी को याद दिलाती हैं अपनी प्रेमिका की, किसी गरीब की दिनभर की मेहनत का फल उसे दो निवालों के रूप मे दे जाती हैं। किसी को यह ढलता सूरज अपने आगोश मे ले लेता हैं, किसी परिवार मे उजाला ही चांद के आने से होता हैं।
read moreRitika Roy
कुछ शामों की तरह एक वो भी शाम थी, पर उन तमाम शामों से अलग कुछ इसकी बात थी, जी सकते अगर तो फिर उन गुज़रे पलो को जीते, मगर इस नई सुबह की शुरुआत कुछ अलग ही ख़ास थी। #NojotoQuote Learn to accept the changes because change is the only constant thing in this world #NojotoHindi #dailychallenge #kalakaksh #kahaniwala #nazm Satyaprem Internet Jockey Shreeya Dhapola Nitish Sagar AFROZ 🌹
Learn to accept the changes because change is the only constant thing in this world Hindi #Dailychallenge #kalakaksh #kahaniwala #nazm Satyaprem Internet Jockey Shreeya Dhapola Nitish Sagar AFROZ 🌹
read moreMr_Vives
ये #बेफिक्र सी #सुबह और #गुनगुनाहट #शामों की #जिन्दगी_खूबसूरत है अगर #आदत हो #मुस्कराने की । #NojotoQuote #प्यार #प्यार #शाम #निगाहें Aditi Joshi Pakhi Gupta Kalpana Kumari Soniya Kumari Gangotri Kumari
Gaurav Dayam
जाम दर जाम मुलाक़ातें बढ़ी थी, ख़त दर ख़त मुस्कुराहटें बँटी थी, जिन लम्हों में हम साथ जिये, और जिन शामों में हम साथ रहे, वो शामें ज़रा जज़्बाती थी, हुआ था जो होना था और हो गया, तेरी मुस्कुराहटों के किनारे मैं खो गया,
जाम दर जाम मुलाक़ातें बढ़ी थी, ख़त दर ख़त मुस्कुराहटें बँटी थी, जिन लम्हों में हम साथ जिये, और जिन शामों में हम साथ रहे, वो शामें ज़रा जज़्बाती थी, हुआ था जो होना था और हो गया, तेरी मुस्कुराहटों के किनारे मैं खो गया,
read moreBhaskar Anand
मेरी "माँ"और मैं दर्द के उन शामों में,जब हम बिखरे पड़े थे, नब्ज रुक सी गई थी,सांसें थम सी रही थी राहों में रास्ता,गुम सा गया था मंज़िले भी दूर खड़ी थी किस्मतों के फ़रिश्ते भी,खुदा से फरियाद करते थे आँसुओं के रास्ते भी, विमुक्त बहाव को अग्रसर थे
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