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Akash verma
#माताएं एवं #बहनें ध्यान से पढ़ें, अगर बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा🙏 #लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की #कपडे नहीं सोच बदलो.... उन लोगो से मेरे कुछ प्रश्न है??? 1)हम #सोच क्यों बदले?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपने लोगो की सोच का #ठेका लिया है क्या?? 2) आप उन लड़कियो की सोच का #आकलन क्यों नहीं करते?? उसने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने की उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक #निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उस देखे 3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये,हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों???? 4) कुछ लड़किया कहती है कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं..... जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करे....लेकिन हम पुरुष भी किस लड़की का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रीया नहीं.... और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे 5)फिर कुछ विवेकहीन लड़किया कहती है कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की..... जी बिल्कुल आज़ादी है,ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो,गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो,वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो,हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो। 6)लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे??? क्या ये लड़किया पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ??? जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो" कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था.... सत्य ये है कीअश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।। मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता(सेक्स) भी है। चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में सेक्स को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।। अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीया अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती???? गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।। आपसे अनुरोध है कृपया भारतीय संस्कृति की रक्षा करें, आगे आपकी मर्जी. ©Akash verma कृपया जरूर पढ़े...!
कृपया जरूर पढ़े...!
read moreSI Neer
दूध नहीं माताएं भारत में शौर्य पिलाती हैं , लोरी नहीं माताएं रणगाथाएं सुनाती हैं । भारत की माता बच्चों को ऐसा पाठ पढ़ातीं हैं , दुश्मन कांपे थरथर - थरथर , प्राण उड़ें दुश्मन के फरफर - फरफर ।। भारत की मिट्टी में जन्मा , हर लाल सिपाही होता है ।
दूध नहीं माताएं भारत में शौर्य पिलाती हैं , लोरी नहीं माताएं रणगाथाएं सुनाती हैं । भारत की माता बच्चों को ऐसा पाठ पढ़ातीं हैं , दुश्मन कांपे थरथर - थरथर , प्राण उड़ें दुश्मन के फरफर - फरफर ।। भारत की मिट्टी में जन्मा , हर लाल सिपाही होता है ।
read moreAmit Gupta
हे हवसप्रिय मानव सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी हे हवसप्रिय मानव, तू मत सोच की तूने किसी और को नंगा किया तूने अपनी ही मां - बहन - बेटियों को सरेआम शर्मिंदा किया और उस देश को जहां बेटियों को लक्ष्मी - दुर्गा - सरस्वती कहा किया मां - बाप के उस सपने को भी जिसने बेटियों को अपना बेटा कहा किया सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी हमारी आंखें हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी रेप उन लोगों का भी हुआ, जिसके आस पास ऐसी हैवानियत बसती है रेप उस सरकार की योजनाओं का जो भ्रूण हत्याएं रोकती है रेप उन लोगो की सहनशीलता का जो नित्य तंग कपड़ों पर तंज कसना, सुनते हैं रेप उन लोगो का जो समाचार की सुर्खियों में देख, चुप बैठे रहते हैं सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी सुनो अगर यह हाल रहा बेटियों का हमारे बनाए परिवेश में भगवान भी कतराएंगे बेटियों को भेजने से इस निर्लज देश में कैसे गूंजेगी मुस्काती किलकारियां हमारे घर की आंगन में कौन बांधेगा फिर राखियां हमारी सुनी कलाई में सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी पीड़िता की चिलाहट पहुंचाना चाहता हूं मैं बहरे इस प्रशासन को अफसोस मिलते ओ शब्द नहीं जो झकझोर सकें कानून के रखवालों को शर्म आए रेपिस्टों के उन वकीलों को जो गर्व करते अपनी काबिलियत पर, ओ दिन भी दूर नहीं जब वे भी रोएंगे अपनी बेटियों की लुटती हुई अस्मत पर सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी Stop_Rape
Stop_Rape
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 60 - ऊंघ 'राम, दूध पी ले बेटा! तू दूध पीयेगा तो श्याम भी पीयेगा।' माता रोहिणी अपने आगे बैठाये है अपने स्वर्णगौर कुमार को। दाऊ दोनों चरण आधे मोड़े बैठ गया है और उसके दोनों हाथ भी दूध के कटोरे पर हैं, किंतु नेत्र बंद हैं। अलकें बिखरी हैं मुखपर। वह अधर कटोरे पर लगाकर भी ऊंघ रहा है। माता अपने हाथ से कटोरा सम्हाले है और बार-बार स्नेहपूर्वक दूध पी लेने के लिए कह रही है। 'तू दूध पीयेगा तो श्याम भी पीयेगा।' नींद के वेग में भी दाऊ जैसे कुछ न कुछ समझ लेता है इस बात को। उसके अधर हिल जाते
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