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Best ढक Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mayaank Modi

सुनो ना, आँखें भी ढ़क लिया करो तुम हिज़ाब से ।
क़त्ल ये भी करती है, ग़र देखा जाये तो हिसाब से ।। #yqbaba #yqhindi #हिज़ाब #आंखें #हिसाब #क़त्ल #ढक #करती

Ashish anupam

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ढेड़ कपड़ो से ढक जाता है पत्थर का हर कोना,
ढक जाते बिन कपड़ों के घुटनों से तन हजारों लोग

कवि आशीष ' आनोखा '

PrAshant Kumar

aryan_0625

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मैं बस यूँ ही ढक देता था उसके सर पर दुपट्टा , उसे ये इश्क़ लगता था , गुझे अच्छा लगता था ,
बेहद सुकून में डूबा हर एक परिंदा लगता था , शाम के वक्त में न जाने क्यों ऐसा लगता था , बाँट के मुझसे सब हाल जब थक जाती थी वो , बंद कर लेती थी आँखे उसको जहाँ लगता था ,
उससे मिलकर अक़्सर ही बातें वाते होती थी , क्या फर्क इससे , के किसी को क्या लगता था , हो जाये जब कोई बात , नाराज़गी बढ़ाने वाली , उसकी आँखों से फिर सबकुछ पता लगता था ,
मैं करता था तारीफ , जब उसी पुराने लहजे में , यही पुराना लहज़ा उसे हरदम नया लगता था , मैं बस यूँ ही ढक देता था उसके सर पर दुपट्टा , उसे ये इश्क लगता था , मुझे अच्छा लगता था । aryan_0625

Shreeya Dhapola

मेरी नन्ही उंगलियों को वक्त के सांचे में बड़ा किया
ममता के आंचल से हर दर्द मेरा तूने चुपके से ढक लिया
लड़खड़ाए जब पैर मेरे हाथ तेरा हरदम साथ रहा
मां बोला जब मैंने शायद तेरी आंखों से खुशी का अश्क बहा

भूल गई तू अपने सपने,मेरे सपनों को तूने अपना कहा
डांटा कुछ गलतियों पर मगर हरदम तेरा साथ रहा
रातों को जागी मैं अगर तो तूने भी तो मेरा साथ दिया
मेरे सपनों को जोड़ जोड़ मेरे लिए नया आसमां सिया

जानती हूं खुदसे भी पहले मांगती है तू मेरे लिए दुआ
कामयाबियों पर मेरी मुझसे भी ज्यादा तुझे फक्र हुआ
नाकामियों के स्याह बादल तूने गले लगाकर ओझल किए
मुझे देख तूने अपनी ज़िंदगी के हर खूबसूरत लम्हे जिए

सुकून मिला कामयाबी का मगर तेरा आंचल पीछे छूट गया
मसरूफ कर दिया ज़िन्दगी ने और बचपन कही खो गया
आंचल में मुझे फिर से ढक के वो परियों की कहानी सुना दे माँ
सिरहाने मुझे थपकियां दे और फिर सुकूं से सुला दे माँ

A_tale_for_you #Mothersday #Maa #माँ #nojotohindi #hindi #nojoto #mother #happymothersday #Mother'sdayspecial #मातृदिवस #WOD

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
12 - प्रार्थना का प्रभाव

'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।'

इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

Aparna Shambhawi

#paki उस रात जब बादलों ने ढक लिया था चाँद को और मैं तोड़ लाई थी, बादलों से उनकी पानी की बूँदें जो मोती की तरह संभाल रखी थी तुमने

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अधूरी बात #paki
उस रात जब बादलों ने
ढक लिया था चाँद को
और मैं तोड़ लाई थी,
बादलों से उनकी
पानी की बूँदें जो
मोती की तरह
संभाल रखी थी तुमने

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

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।।श्री हरिः।।
18 - वर्षा में

श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है।

प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 17 - शीत में इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले

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।।श्री हरिः।।
17 - शीत में

इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले

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