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Jaya Prakash
👉विश्व_हिंदी_दिवस👈 Read caption विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को
विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को
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अशक्य असे ज्यास काही नाही, प्रत्येक अडचणीचे ज्या कडे उत्तर आहे. प्रत्येक प्रश्नाचे उत्तर देत, प्रवास ज्याचा सुरू. कधीच थांबत नाही, असा तो एकमेव, गुगल माझा गुरू.. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे गुगल माझा गुरु... खरयं गुगल हा आजच्या युगाचा गुरु च बनलाय. चला तर मग मस्त मस्त लिहा. #गुगल #गुगलमाझागुरु तुमचे विषय कमेंट मध्ये सांगा. #collab #yqtaai
सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे गुगल माझा गुरु... खरयं गुगल हा आजच्या युगाचा गुरु च बनलाय. चला तर मग मस्त मस्त लिहा. #गुगल #गुगलमाझागुरु तुमचे विषय कमेंट मध्ये सांगा. #Collab #yqtaai
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सरदार हरिसिंह नलवा सरदार हरिसिंह नलवा के बारे में क्या जानते हो? महाराजा रणजीत सिंह के एक बहादुर सेनापति एक दिन शिकार के समय जब महाराजा रणजीत सिंह पर अचानक शेर ने हमला किया, तब हरि सिंह ने उनकी रक्षा की थी। इस पर महाराजा के मुख से अचानक निकला "अरे तुम तो राजा नल जैसे वीर हो।" तभी से नल से हुए "नलवा" के नाम से वे प्रसिद्ध हो गये। Comment में बताइए
सरदार हरिसिंह नलवा के बारे में क्या जानते हो? महाराजा रणजीत सिंह के एक बहादुर सेनापति एक दिन शिकार के समय जब महाराजा रणजीत सिंह पर अचानक शेर ने हमला किया, तब हरि सिंह ने उनकी रक्षा की थी। इस पर महाराजा के मुख से अचानक निकला "अरे तुम तो राजा नल जैसे वीर हो।" तभी से नल से हुए "नलवा" के नाम से वे प्रसिद्ध हो गये। Comment में बताइए
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पाटण की रानी रूदाबाई Caption में पढ़ें गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फौज 2 घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा। असल में कहते हंै सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पर थी, वो रानी को युद्ध में जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया। राज्य का एक साहूकार इस
गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फौज 2 घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा। असल में कहते हंै सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पर थी, वो रानी को युद्ध में जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया। राज्य का एक साहूकार इस
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"हनुमानजी और सुंदर काण्ड" Caption में पढ़ें सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया ? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ! पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था ! दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी ! इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ! इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी ,
सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया ? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ! पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था ! दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी ! इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ! इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी ,
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