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परवाज़ हाज़िर ........

#navratri युगों युगों से जिसकी #शक्ति #अपार जिसने किये #लाखो #संघार #माँ #देवी और #दुर्गा रूप हे जिसके हजार "

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Whose power is immense in every era, 
who has killed millions of wicked
  Goddess and Durga Roop whose thousand " #navratri 




युगों युगों से जिसकी #शक्ति #अपार जिसने किये #लाखो #संघार #माँ #देवी और #दुर्गा रूप हे जिसके हजार "

Diwan G

मन में डर बैठा हो तो,मन भी रहता है बेजार,
ठान लो अगर मन में कुछ , होता है साकार।

शांत चित मन से रास्ते भी मिलते हैं हजार,
मन के जीते जीत है, और मन के हारे हार।। मन के इशारे..!
#Jo_tum_sochteho #मन #सोच #जीत #हार #साकार #अपार #खुशी #बेजार #nojoto

Ajay Keshari

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जान न पाए ख़ुद को तुम हो,
जान न पाए क्या हो तुम..
तुममें #अपार शक्ति है,
जो चाहो कर जाओ तुम..
पांव तले ऐवरेस्ट तेरे है,
सागर को भी माप लिया..
धरती के चप्पे चप्पे से,
इसको तू है जान लिया..
चांद पर तुमने पांव रखा है,
मंगल को भी भेद दिया..
अणुओं को भी खोज़कर तुमने,
शक्ति अपार पा लिया..
#अजय57

Sumit Gupta

!!जो मिला है, उसको सम्भालो!!
क्योंकि..
"उसी में अपार ख़ुशी हैं".. #उसी#अपार#ख़ुशी#है#nojoto#hindi

Laxita Danga04

कुछ टूट रहा है बेपरवाह सा,
पर बिना किसी शोर के, या हो सकता है शोर मे इतनी ताकत ना हो कि सुनाई दे।
कुछ बिखर रहा है, शायद मेरे वजूद सा कुछ लगता है।
कुछ है जो चुभ रहा है , शायद किसी कोने में पड़ी उस अपार ख़ामोशी की चुभन ।
काफी समय हो गया है नींद से बात करे, होगी इसकी रात के साथ अपनी ही कुछ गुफ्तगू।
एक कोना है उस अपार से काले कमरे में,
ना जाने क्यों बार बार बुलाता है, जरूर कुछ खास सा लगाव होगा
कुछ अपनापन तो होगा इस काले पूर्ण अंधकार में
जो बार बार मेरी खामोशियों की चुभन सह जाता है।
कुछ तो जरूर है इस अपार अंधकार में।  #NojotoQuote #ख़ामोशी

Manisha Sharma

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दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था,
मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था,
पर ये ज़रूरी भी था, खुद की थी मैं खुद ही पतवार,
था वो बेहद दर्द भरा, थी असहनीय पीड़ा अपार,
किन्तु मेरे जीवन का कोई ग्रहण उतर रहा था,
दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था,
मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था।

रुक रुक के लहू के साथ, पस भी निकल रहा था,
वो नासूर जिसने सोने ना दिया था कभी,
वो उफ़न उफ़न कर मुझ पर वार कर रहा था,
था वो दर्द भरा, थी असहनीय पीड़ा अपार,
किन्तु मेरे जीवन का कोई ग्रहण उतर रहा था,
दीवारें उखड़ रहीं थीं, मलबा निकल रहा था,
मेरे पूरे अस्तित्व का शायद पुनर्निमाण चल रहा था।

NC

थाम कर हाथ करा दे पार
समझा दे अर्जुन सम जीवन सार  
रिवाजों की मोहताज ज़िन्दगी
और ये भवसागर है अपार
अपना अस्तित्व पाना मुश्किल
तुझे पाना केवल स्वप्न मात्र
चाहूं बस अब तेरी बंदगी
ले लो वापिस काया का उपहार
अब मेरे मन में बोझ अपार ।। #nojotohindi#bhavsagar#God#Kavita#poetry

Poonam Mehta

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" नशे में उड़ती ज़िन्दगी ''
बीड़ी ,सिगरेट, तम्बाकू ,गुटका ,
चेनी,खैनी ,शराब .....
बन्द करवाये सरकार।
ना जाने इससे खराब होते,
कितने रिश्ते और घर - परिवार।
रोके - टोके अगर नारी व परिवार,
दुश्मन लगे उसको वो संसार ।
खुद भी वो कितने रोगों का उपहार है पाता,
साथ में देता आस-पास के लोगों को भी रोगों का उपहार।
समझता जीवन को भी वो जैसे हो गया हो खुशहाल।
पर  जाने - अनजाने पाता वो दुःख-रोगों का उपहार ,
छोड़ो नशा और करलो प्रकृति से प्यार ।
नशे से रहो दूर सदा ,
नशा नहीं जीवन का आधार।
कितनी सुंदर है प्रकृति,
और सुंदर है संसार ।
है कण-कण  में सुंदरता ,
जो है प्रकृति का उपहार ।
इसके कण-कण में है संगीत बसा,
है इसी से संसार ।
नशा अगर है करना तो...
                 करो सद्कर्मों का नशा अपार।
जो जीवन को तुम्हारे करे रोशन
                और खुशियाँ  दे अपार।
धन्य हो जन्मदात्री तुम्हारी और याद करे संसार ।

    नशा छोड़े और खुशहाल रहें.....

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

राघव रमण

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धागा ऐसा प्रीत का 
जो जोड़ दे मन से मन
दिल से दिल तक स्नेह बरसे
छा जायें उमंग और अमन
इतिहास पुराना बहुत है इसका
पौराणिक ऐतिहासिक है खंड
कभी देवीयों से उपयोगित
कभी समाज के लिए अखंड
किया किसी ने मुक्त पति को
किसी ने सिंहासन का किया बचाव 
कहीं गुरू शिष्य की परंपरा 
कहीं दो देशों के मध्य लगाव 
मगर इसे नव जीवन मिला है
भाई बहन के हथियाने से 
बहन की प्रेमालिंगन गांठों मे
कलाई भाई की सजाने मे 
येन बद्धो मंत्र सुसज्जित
चन्दन पुष्प अक्षत का भाव
छोटी बड़ी सबके स्नेह का
रक्षा सूत्र का अलग प्रभाव
भाई हमारा रहे सुरक्षित
 भगिनी संग देश की रक्षा करें
प्रण लें कर्तव्यनिष्ठा की 
अपने पथ से कभी न भटके 
ऐसे पावन पुनीत पर्व की
आ गई है सुगंध अपार 
सब बहनों को शुभकामनाएं
सबको राघव का स्नेह अपार।।
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