धागा ऐसा प्रीत का जो जोड़ दे मन से मन दिल से दिल तक स्नेह बरसे छा जायें उमंग और अमन इतिहास पुराना बहुत है इसका पौराणिक ऐतिहासिक है खंड कभी देवीयों से उपयोगित कभी समाज के लिए अखंड किया किसी ने मुक्त पति को किसी ने सिंहासन का किया बचाव कहीं गुरू शिष्य की परंपरा कहीं दो देशों के मध्य लगाव मगर इसे नव जीवन मिला है भाई बहन के हथियाने से बहन की प्रेमालिंगन गांठों मे कलाई भाई की सजाने मे येन बद्धो मंत्र सुसज्जित चन्दन पुष्प अक्षत का भाव छोटी बड़ी सबके स्नेह का रक्षा सूत्र का अलग प्रभाव भाई हमारा रहे सुरक्षित भगिनी संग देश की रक्षा करें प्रण लें कर्तव्यनिष्ठा की अपने पथ से कभी न भटके ऐसे पावन पुनीत पर्व की आ गई है सुगंध अपार सब बहनों को शुभकामनाएं सबको राघव का स्नेह अपार।।