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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
White बस, हंसने की लाचारी थी। बच्चों की जिम्मेदारी थी।। थे रिश्ते - नाते, शीशे से,,, पत्थर - सी,दुनियादारी थी।। ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) #लाचारी
Devesh Dixit
लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर। वश में तब कुछ हो नहीं, ये कैसा दस्तूर।। आती है जब त्रासदी, होते सब लाचार। कहती है कुदरत तभी, ये ही है आधार।। विद्यालय अब श्रोत है, धन का ये आधार। चिंता है माँ बाप की, धन से हैं लाचार।। खतरनाक ये दौर है, नहीं बनो अनजान। लाचारी को छोड़ कर, वीर बनो इंसान।। पट्टी बाँधी आँख पर, अंधा है कानून। लाचारी अब न्याय की, झूठ माँगता खून।। ..................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर।
#लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर।
read moreसंजू एक्सपर्ट @भौकाली
Nature Quotes कल रात हमने देखा एक #ख्वाब, #ख्वाब में तस्वीर उसकी थी.! #महक तो उसकी किया महसूस, पर स्पर्श ना कर पाने की #लाचारी थी.! फिर भी ना तोड़ पाए हम ये #ख्वाब.. जबकि #नींद तो हमारी थी.! ©Gsm Sanju...भौकाली #NatureQuotes
मासूम
"मैं गरीब" मेरे मन की वेदना कौन सुनें किससे मैं मन की बात कहूं सच होते ही नही वह सपने जो मैं अपने आंखों से देखूं मुझको भी है पढ़ना लिखना सपन संजोऊं या मैं पेट भरूं विद्या - भूख की तृष्णा लिए पथिकों की तरफ यूं ही देखूं ✍️अपर्णा त्रिपाठी "मासूम" ©मासूम मैं गरीब#गरीब #लाचारी
मैं गरीबगरीब #लाचारी
read morekavya soni
आज दिल में दर्द और जख्म गहरा धड़कनें खामोश सी सांसे भी जैसे हारी है मेरे प्यार के अहसास हो शायद बेकार तेरे लिए मगर तुम्हे बताना जरूरी है कर के रुसवा तन्हा छोड़ा मुझे मेरी बैचेनी का आया ख्याल तुझे नहीं फिर जान लो रात आंखों में बिताई तेरी खबर आयेगी सोचकर टकटकी मोबाइल के स्क्रीन पर थी लगाई जान ले मेरे दिल का हाल कोई मुस्कान झूठी थी लबों पर सजाई जहन में है छाई मायूसी आंखे खाली अब इन में बसी उदासी मुस्कान सच्ची अब ना लौट कर आए पलकें इतनी रोई ख्वाब फिर ना ये इश्क का सजाए हां है बेकार सी सारी बातें मगर तू जाने जरूरी है किस कदर तूने तोड़ा किसी का वजूद की सांसे भी अब तो हारी है तू किसी साथ भी न कभी पूरा होगा बेशक मैं तेरे बिन जानेमन हूं अधूरी मेरी मुहब्बत को किया बेजार बातें मेरी होगी सारी बेकार मगर तू जाने हाल मेरा ये जरूरी है दिल जख्मी मेरा सांसे भी हारी है पाकर खो दिया इश्क में कैसी ये लाचारी है ©kavya soni #kinaara #इश्क में कैसी #लाचारी है
Vickram
क्यों बनी रहती है बेचैनी मन के अंदर क्यों हमेशा जिंदगी के सामने एक सवाल सा है क्यों है इतनी शाजिसें जिंदगी के हर क़दम पर क्यों हर शख्स जिंदगी में बेइमान सा है क्या है राज ऐसा जो बताता ही नहीं कोई क्यों है इतना अंधेरा जो कम ही नहीं होता खामोशी में भी शोर है जो सहन है मुश्किल क्यों मज़बूरी के शिवा जिंदगी में कुछ और नहीं है आंखिर क्यों,,,, ©Vickram #WoNazar आंखिर क्यों,, #खामोशी #लाचारी #बेबसी #मजबूरी #सवाल #अंधेरा #बेचैनी #क्यो #एक पहेली,,,
poonam atrey
**लाचारी ** वो बूढा थके क़दमों से , धीरे धीरे चल रहा था , सूर्य भी उसकी बेबसी पर ,और तेजी से जल रहा था, घर मे दो लाचार जीव थे ,जिनकी भूख की चिंता थी, बीमार पत्नी और भूखे पोते को खिलाना,यही उसकी मंशा थी, जवान बेटा और बहु महामारी की भेंट चढ़ गए थे , तभी से उस मृतप्राय से जर्जर जिस्म के कर्तव्य बढ़ गए थे, सूर्य के तेज को देख , उसके क़दमों में तेजी आ गई, उसके जिस्म के आधे हिस्से को तो ,जिम्मेदारी खा गई, फिर भी अपनी जिम्मेदारी ,वह बखूबी निभा रहा था, परिवार की रोटी का जुगाड़ कर ,वह अपनी भूख को खा रहा था, रात तक थके क़दमों से , वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा, अब चाँद उसकी लाचारी पर ,खिलखिला कर हँस पड़ा ।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey #लाचारी Navash2411 Deepiitd भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Bhardwaj Only Budana Rajesh Arora दिनेश कुशभुवनपुरी खामोशी और दस्तक Kamlesh Kandpal Anonymous Mahi Utkrisht Kalakaari Urvashi Kapoor Saloni Khanna Ashutosh Mishra Richa Mishra Puja Udeshi डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Rakesh Srivastava कवि संतोष बड़कुर Poonam Suyal Bhavana kmishra Badal Singh Kalamgar Raj Guru एक अजनबी Anshu writer शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Aditya kumar pra
#लाचारी Navash2411 Deepiitd भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Bhardwaj Only Budana Rajesh Arora दिनेश कुशभुवनपुरी खामोशी और दस्तक Kamlesh Kandpal Anonymous Mahi Utkrisht Kalakaari Urvashi Kapoor Saloni Khanna Ashutosh Mishra Richa Mishra Puja Udeshi डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Rakesh Srivastava कवि संतोष बड़कुर Poonam Suyal Bhavana kmishra Badal Singh Kalamgar Raj Guru एक अजनबी Anshu writer शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Aditya kumar pra
read morepuja udeshi
लाचारी ************ हर इंसान की क़ोई ना क़ोई लाचारी होती है कि वो बंधन जोड़ कर तोड़ नहीं पाता, थामा जिसका हाथ वो छोड नहीं पाता, प्यार करता है पर बोल नहीं पाता कही भी अपना मू खोल नहीं पाता जो मिलता है संतुष्ट हो जाता है क्यो कि इस मे ही है प्यार की आबरु वो जफा करे मैं वफ़ा करू, ये लाचारी एक आदमी की भी हो सकती है और औरत की भी ऐसी ही ज़िन्दगी होती है जिसमें लाचारी कूट कूट कर होती है! 😵💫😵💫😵💫😄😄😂👆🏻comedy plus tragedy ©Puja Udeshi #लाचारी #pujaudeshi Ravi vibhute Mili Saha M R Mehata(रानिसीगं ) Satyaprem Upadhyay narendra bhakuni भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन poonam atrey वंदना .... R K Mishra " सूर्य " Dayal "दीप, Goswami..
#लाचारी #pujaudeshi Ravi vibhute Mili Saha M R Mehata(रानिसीगं ) Satyaprem Upadhyay narendra bhakuni भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन poonam atrey वंदना .... R K Mishra " सूर्य " Dayal "दीप, Goswami..
read moreShashi Bhushan Mishra
लाचारी थी क्या तनता, निर्धनता उसका धन था , फाके पड़ते घर उसके, काम रहे उनका बनता, लोगों की परवाह किसे, भाँड में जाए ये जनता, निकले इनका दीवाला, उनकी दीवाली मनता, आ जाते बहकावे में, भोले हैं संता बंता, ख़ुद ही अपने हाथों से, बन जाते अपना हँता, देख के ये मंजर 'गुंजन', सब्र नहीं करते बनता, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #लाचारी थी क्या तनता#
#लाचारी थी क्या तनता#
read moreMiss Sugar Monkey
ईट भट्टी मे काम करनेवाली दस की शालू को "यौन शोषण" तो नही मालूम.. पर ये पता है, रात को साहब के कमरे मे कपरे उतारने से वो और उसके दो भाई भूखे नही मरेंगे!! नीलू अपने परिवार मे पहली लड़की है जो कॉलेज जा पाई है!! उसे आवाज उठाना नही आता, तो जब भी भीड़ बस मे कोई हाथ शरीर मे रेंगति है तो चुपचाप सफ़र खत्म होने का इंतज़ार करती.. घरवालों को पता चल गया तो शायद पढाई छूट जाए!! ©Miss Sugar Monkey जब भी भीड़ बस मे कोई हाथ शरीर मे रेंगति है...#hands #दर्द #बेवसी #लाचारी