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Amit Singhal "Aseemit"
माँ से बढ़कर प्रेम निष्कपट और निश्छल, कोई नहीं कर सकता, यह है सत्य अटल। एक माँ अपने बच्चों के लिए रात भर जागे, इसलिए जग में हर रिश्ता छोटा इसके आगे। ©Amit Singhal "Aseemit" #निश्छल
ANIL KUMAR
आप ऐसे न हमसे गिला कीजिए जब भी मिलिए तो मिलके दुआ कीजिए जिंदगी चार दिन की है बस चाँदनी बेवज़ह भी कभी तो हँसा कीजिए साथ मिलके हैं चलते कहाँ ? लोग सब आप हमसे वफ़ा बस वफ़ा कीजिए बाद रोकर मिलेगा न कुछ फ़ायदा वक़्त का साथ हरदम किया कीजिए आप रोते रहे यूँ तो मिट जाओगे जिंदगी आप खुलके जिया कीजिए फूल काँटों में रहके ही फ़बता रहा दर्द को जिंदगी की दवा कीजिए जीत पक्की तुम्हारी है तय मान लो मुश्किलों से बड़ा हौंसला कीजिए अनिल कुमार 'निश्छल' बुंदेलखंड ©ANIL KUMAR #WoNazar सादर समीक्षार्थ प्रेषित #ग़ज़ल 1 212 212 212 212 आप ऐसे न हमसे गिला कीजिए जब भी मिलिए तो मिलके दुआ कीजिए जिंदगी चार दिन की है बस चाँदनी बेवज़ह भी कभी तो हँसा कीजिए
ANIL KUMAR
उसका हंसना ऐसा है जैसे चांद चमकता जाए उसका रोना ऐसा है जैसे बादल झरता जाए और बदन है उसका इक हूर के माफिक दुनिया में उसका होना ऐसा है जैसे सूरज जगत चलाए ©ANIL KUMAR #dhoop उसका हंसना ऐसा है जैसे चांद चमकता जाए उसका रोना ऐसा है जैसे बादल झरता जाए और बदन है उसका इक हूर के माफिक दुनिया में उसका होना ऐसा है जैसे सूरज जगत चलाए #निश्छल
ANIL KUMAR
जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।। सुख-दुःख जीवन के पहलू दो, मीठा-तीखा स्वाद रहे बस। दुनिया रूठे गर रूठे पर, अपनों का संग साथ रहे बस। सारी दुनिया एक तरफ़ है, एक तरफ़ परिवार हमारा। एक अमोल खज़ाना जग का,खिला-बसा संसार हमारा। हम सब कलियों का है प्यारा, ख़्वाब बसंती, बाग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ मात-पिता इक नींव हमारे, भाई-बहना और सहारे। जीवन-नैया धीरे-धीरे, लग जाती है एक किनारे। मानव-जीवन एक रहे ना, रात कभी तो भोर हुई है। शेर बना है गली का कुत्ता,धूल कभी सिरमौर हुई है। वक्त किसे कब राजा कर दे,घात बसंती,नाद बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ रोना हरदम ठीक नहीं है, कौन भला है सुखी यहाँ। छोटी-छोटी बातों को ले, रहते अक्सर हैं दुःखी यहाँ। छोटी-छोटी खुशियाँ ढूँढो, और प्रभु का ध्यान धरो। जीवन हँसते-हँसते गुजरे,साथ प्रभु-गुणगान करो। भव-सागर से बंधन छूटे,वात बसंती,त्याग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ अनिल कुमार ''निश्छल'' हमीरपुर, बुंदेलखंड उ०प्र० ©ANIL KUMAR #uskebina #अनिल #निश्छल #निश्छल जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।।
ANIL KUMAR
बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।। पतझड़ का मतलब न है की, जीवन केवल रीता है। इसका मतलब केवल न है,समय बुरा ही बीता है। पतझड़ आकर लाता है,नईं कोपलें शाखों पर और बसंती मौसम फिर,ख़्वाब भरे कुछ आँखों पर जीवन केवल पतझड़ न है,है एक बसंती-छौना। काली-रात अंधेरी है तो,कल सूरज भी आएगा। इक-सा वक़्त नहीं रहता है,आकर के बतलाएगा। रात अगर होती है भारी,नई भोर भी फिर होगी। तमस हमेशा न रह पाता,नई छोर भी फिर होगी। इस संसार में वक़्त के सब,मानो खेल खिलौना। फूलों को पाने की चाहत,काँटों से होकर गुजरे। सुख पाने की झुंझलाहट, दुःख के क़तरे बन बिखरें। धीरज का बस यही समय है,फल पकने में देरी है। वक़्त की लाठी न्याय करे है, करती नहीं अंधेरी है। अच्छे को अच्छा मिलता है, और बुरे को मिले घिनौना। मन की हसरत केवल है,बस फूलों की बाँह मिले। हर मंजिल तक जाने वाली,बस सीधी इक राह मिले। कंकड़-पत्थर वाले रस्ते,पैर पे छाले पड़ जाएँगें। मंजिल अपनी वो पाएँगें, जो आगे बढ़ जाएँगें। और खुशी से भर जाएगा,मन का कोना-कोना। धीरे-धीरे चलना सीखो,धीरे-धीरे ही बढ़ना। चलो नहीं खरगोश के जैसे, कछुए जैसे तुम चलना। और सफलता तुम्हें मिलेगी,कहता निश्छल बात यही। चौबीस कैरेट ख़री-ख़री, निकलेगी सच बात,कही। हँसने के पहले पड़ता है,बहुत दिनों तक रोना। वर्तमान को जी भर जीना, और भाव्य की चिंता ना। जो बीता सकुशल ही बीता, अन्य भाव्य की चिंता ना। खुशियों में ही कट जाएगा,खुशियों से खुशियाँ मिलती। मनभावन-बसंत आने पर,बागों की कलियां खिलतीं। खुशियाँ पाने की ख़ातिर,खुशियाँ पड़ता बोना। अनिल कुमार निश्छल ©ANIL KUMAR #andhere #newwsgaanv #gyaangaaon #निश्छल #अनिल #गीत #Nishchhal #अनिल_कुमार #Geetkaar #geet
Pragati Pushparaj
ऐसा इंसान, जिसकी आंखें निश्छल और साफ हो, और मन पवित्र, जिनका काम और कामना, सिर्फ दूसरो की जिंदगी को महकाना हो, वो, सच में, परमात्मा का प्रतिरूप होता हैं। ©Pragati Pushparaj #निश्छल
ANIL KUMAR
आज मौसमे बहार लाया हूं। चांद छत पर उतार लाया हूं।। नफरतें बंट रहीं हैं दुनिया में, मैं मुहब्बत उधार लाया हूं। लोग बंटते रहें हैं सदियों से, उनके हिस्से का प्यार लाया हूं। रोटियां सेंकती सियासत है, ऐसे में भी ऐतबार लाया हूं। अनिल कुमार ''निश्छल'' ©ANIL KUMAR #ramsita एक कोशिश आज मौसमे बहार लाया हूं। चांद छत पर उतार लाया हूं।। नफरतें बंट रहीं हैं दुनिया में, मैं मुहब्बत उधार लाया हूं।
#ramsita एक कोशिश आज मौसमे बहार लाया हूं। चांद छत पर उतार लाया हूं।। नफरतें बंट रहीं हैं दुनिया में, मैं मुहब्बत उधार लाया हूं।
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"मैं और मेरी मौत'' ______________________ ऐ मौत! जब भी आना तो, चुपके से तुम, मत आना। आना जब भी तुम अगर, हँस के ही मेरे पास आना। सिर पे मेरे हाथ रखकर, फिर धीरे से तुम सहलाना। डर जाऊँ मैं गर देख तुझको, मुझको थोड़ा-सा धीरज बँधाना। रो दूँ अगर, तुमको सोचकर, तुम धीरे से,मुझको हँसाना। मौत की घड़ी जब भी मेरे निकट हो, तुम हल्का-सा गुलों सा मुस्कुराना। भले कोई मेरे न निकट हो, देख "निश्छल'' को तुम खिलखिलाना। मौत जब भी हो मेरी तो, गीत हौसलों(जज्बों) के गुनगुनाना। ©ANIL KUMAR #galiyaan #मौत #Maut #निश्छल #Nishchhal "मैं और मेरी मौत'' ______________________ ऐ मौत! जब भी आना तो, चुपके से तुम, मत आना।
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