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रिपुदमन झा 'पिनाकी'
ले चल माँझी तू मुझे बिठा के अपनी नाव। जाना मुझे उस पार है,नदी पार है गाँव।। लहर बीच ले नाव को हाथ थाम पतवार ओ रे माँझी तू मेरा बन जा खेवनहार। कई बरस के बाद मैं आया अपने गाँव। व्याकुल है मन मिलन को दौड़ रहे मेरे पाँव।। खेतों की पगडंडियाँ पीपल की वो छाँव। याद बहुत आता मुझे मेरा प्यारा गाँव।। देर न कर जल्दी चला तू अपनी पतवार। लगा टकटकी देखता राह मेरा परिवार।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #माँझी
Ritik sheoran
Rah chahiye thi usse ,tumhara shara paake k Kisi or k sath udne k liye #जुड़ना #अमित #bestyqhindiquotes #yqbaba #बिहार #माँझी #holi #YourQuoteAndMine
naren
ज़िंदगी की शाम सन्नाटा पिछली रात को रोता है शहर में क्यों रोज़-रोज़ हादिसा होता है शहर में आएगा इन्क़िलाब यहाँ कैसे तुम कहो सोचों का कुम्करण अभी सोता है शहर में बारूद की सुरंग वो बिछाकर चला गया हाथों से अपने आग जो ढोता है शहर में नाज़ुक समझ रहे हैं जिसे फूल-सा सभी नश्तर वो एक शख़्स चुबोता है शहर में दरिया को पार अब भला कैसे करेंगे हम 'माँझी' ही लाके नाव डुबोता है शहर में -देवेन्द्र माँझी शब्दार्थ--1. कुम्करण=कुम्भकरण। ('क्यों सभी ख़ामोश हैं' से) #Zindagi
YASHVARDHAN
Old thoughts made me, माँझी रे ओ माँझी रे, ना जइयो परदेश, बस इतनी सी अरज है हमरी... --YASHVARDHAN #माँझी_रे 💞
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