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Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
बारीश होने वाली है रुक जाओ ना अब चाय के साथ थोड़ी और गुफ़्तगु कर लो एक गुज़ारिश एक इल्तिजा रुक जाओ ना। #रुकजाओ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #रूपकीबातें #rs_rupendra05 Collaborating with YourQuote Didi
एक गुज़ारिश एक इल्तिजा रुक जाओ ना। #रुकजाओ #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #रूपकीबातें #rs_rupendra05 Collaborating with YourQuote Didi
read moreRoopanjali singh parmar
नमकीन खाई या अचार-परांठा ©Roopanjali singh parmar इंस्टाग्राम और दुनिया भर के ऐप में फिल्टर मिल जाते हैं, जिनसे हम ख़ूबसूरत लगते हैं। काश कुछ ऐसे फिल्टर भी होते जो वास्तविक जीवन में उपयोग में आते। जैसे, खुश होने का फिल्टर, अवसाद से भरी ज़िन्दगी में रंग भरने का फिल्टर, रात भर रो-रोकर सूज चुकी आंखों को सामान्य दिखाने का फिल्टर, और सबसे महत्वपूर्ण, झूठी हँसी छुपा वास्तव में मुस्कुराने का फिल्टर। छोड़ो यार.. मेरा मन रात में समुन्दर किनारे जाने का होता है.. डूबने के लिए नहीं बस यूँ ही रेत पर नंगे पांव चलते हुए वही सो जाने के लिए। मैं इस शहर से दूर, ल
इंस्टाग्राम और दुनिया भर के ऐप में फिल्टर मिल जाते हैं, जिनसे हम ख़ूबसूरत लगते हैं। काश कुछ ऐसे फिल्टर भी होते जो वास्तविक जीवन में उपयोग में आते। जैसे, खुश होने का फिल्टर, अवसाद से भरी ज़िन्दगी में रंग भरने का फिल्टर, रात भर रो-रोकर सूज चुकी आंखों को सामान्य दिखाने का फिल्टर, और सबसे महत्वपूर्ण, झूठी हँसी छुपा वास्तव में मुस्कुराने का फिल्टर। छोड़ो यार.. मेरा मन रात में समुन्दर किनारे जाने का होता है.. डूबने के लिए नहीं बस यूँ ही रेत पर नंगे पांव चलते हुए वही सो जाने के लिए। मैं इस शहर से दूर, ल
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कमाल की बात बताऊं (अनुशीर्षक में पढ़ें) ©Roopanjali singh parmar क्या तुम्हें तैरना आता है..? दरअसल, मुझे किनारे तक जाना है। हा-हा.. अरे नहीं..! मज़ाक था.. मुझे तैरना आता है.. इस गहरे समुंदर में लहरों से खेलती हुई मैं किनारे तक जा सकती हूँ। मगर सच कहूँ तो अब समुंदर से बाहर आना मुझे असहज कर रहा है। मैं डूब जाना चाहती हूँ.. शायद हमेशा-हमेशा के लिए समुंदर की गहराई में खो जाना चाहती हूँ। मैं वापस अब किसी को मिलना नहीं चाहती।
क्या तुम्हें तैरना आता है..? दरअसल, मुझे किनारे तक जाना है। हा-हा.. अरे नहीं..! मज़ाक था.. मुझे तैरना आता है.. इस गहरे समुंदर में लहरों से खेलती हुई मैं किनारे तक जा सकती हूँ। मगर सच कहूँ तो अब समुंदर से बाहर आना मुझे असहज कर रहा है। मैं डूब जाना चाहती हूँ.. शायद हमेशा-हमेशा के लिए समुंदर की गहराई में खो जाना चाहती हूँ। मैं वापस अब किसी को मिलना नहीं चाहती।
read moreprinsi khare( ꈍᴗꈍ)
तम्हें याद करना रोज याद करना आदत सी बन गई है कम्बख्त ये दिल भी आज सवाल करने लगा कभी मेरा तो ख्याल किया कर जिसने मुझे तोडा हैं,तूने उसी की यादों का हिस्सा मुझमे जोडा है,, प्रिंसी खरे #हेल्लो #रूपकीबातें #टूटा_हुआ_दिल #YouNme
#हेल्लो #रूपकीबातें #टूटा_हुआ_दिल #YouNme
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प्रेम प्रकट करें ©Roopanjali singh parmar किसी के जाने के बाद एक जगह ख़ाली हो जाती है। एक रिक्त स्थान! ऐसा रिक्त स्थान जो कभी नहीं भरता। मैं कभी-कभी सोचती हूँ कि लोग ज़िंदगी से जाते क्यों हैं? हाँ! मगर किसी के ज़िंदगी में आने पर कभी मेरे दिल में इतने सवाल नहीं उठे। मुझे लगता है कि किसी का चले जाना एक ऐसा विषय है जिस पर कभी कोई किताब नहीं लिखी गई या शायद कोई चर्चा ही नहीं कि गई। क्योंकि चर्चा की जाती या किताब लिखी जाती तो यह सवाल मुझे आधी रात को खींचकर मेरे रिक्त होते स्थान की ओर नहीं ले जाता। 'वो चला गया'.. यह वाक्य तुम्हें दुःखद नहीं लगता
किसी के जाने के बाद एक जगह ख़ाली हो जाती है। एक रिक्त स्थान! ऐसा रिक्त स्थान जो कभी नहीं भरता। मैं कभी-कभी सोचती हूँ कि लोग ज़िंदगी से जाते क्यों हैं? हाँ! मगर किसी के ज़िंदगी में आने पर कभी मेरे दिल में इतने सवाल नहीं उठे। मुझे लगता है कि किसी का चले जाना एक ऐसा विषय है जिस पर कभी कोई किताब नहीं लिखी गई या शायद कोई चर्चा ही नहीं कि गई। क्योंकि चर्चा की जाती या किताब लिखी जाती तो यह सवाल मुझे आधी रात को खींचकर मेरे रिक्त होते स्थान की ओर नहीं ले जाता। 'वो चला गया'.. यह वाक्य तुम्हें दुःखद नहीं लगता
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मैं नज़र ना आऊंगी तो किसे सताओगे तुम, मेरे रूठने पर क्या हमेशा यूँ मनाओगे तुम। मैं कैसे एतबार कर लूं तुम्हारी हर एक बात का, जानती हूँ एक दिन मुझे छोड़कर जाओगे तुम।। ©Roopanjali singh parmar मैं नज़र ना आऊंगी तो किसे सताओगे तुम, मेरे रूठने पर क्या हमेशा यूँ मनाओगे तुम। मैं कैसे एतबार कर लूं तुम्हारी हर एक बात का, जानती हूँ एक दिन मुझे छोड़कर जाओगे तुम।। -रूपकीबातें #रूपकीबातें #roop #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #Nojoto #love
मैं नज़र ना आऊंगी तो किसे सताओगे तुम, मेरे रूठने पर क्या हमेशा यूँ मनाओगे तुम। मैं कैसे एतबार कर लूं तुम्हारी हर एक बात का, जानती हूँ एक दिन मुझे छोड़कर जाओगे तुम।। -रूपकीबातें #रूपकीबातें #Roop #roopkibaatein #Roopanjalisinghparmar love
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मुझे इंतज़ार रहेगा (अनुशीर्षक) ©Roopanjali singh parmar मुझे हमेशा से यही लगता रहा है कि तुम मुझसे प्रेम करते हो। इसके पीछे का कारण यह है कि तुमने हमेशा मुझे महत्व दिया है। अपनी व्यस्त ज़िन्दगी के बीच, हर काम के बीच मेरे लिए तुम्हारा समय निकालना मुझे यह एहसास कराता रहा है कि.. मैं तुम्हारे लिए खास हूँ। जब मैं तुम्हारे समीप होती हूँ तो मेरी हर छोटी-छोटी बात का तुम ख़्याल रखते हो। मेरी हिचकी मुझसे ज़्यादा तुम्हें परेशान करती है। आधा दिन निकल जाने के बाद भी अगर मैंने खाना नहीं खाया तो तुम मुझे टोक दिया करते हो। मैं किस से क्या बात करती हूँ, किसने मुझसे क्य
मुझे हमेशा से यही लगता रहा है कि तुम मुझसे प्रेम करते हो। इसके पीछे का कारण यह है कि तुमने हमेशा मुझे महत्व दिया है। अपनी व्यस्त ज़िन्दगी के बीच, हर काम के बीच मेरे लिए तुम्हारा समय निकालना मुझे यह एहसास कराता रहा है कि.. मैं तुम्हारे लिए खास हूँ। जब मैं तुम्हारे समीप होती हूँ तो मेरी हर छोटी-छोटी बात का तुम ख़्याल रखते हो। मेरी हिचकी मुझसे ज़्यादा तुम्हें परेशान करती है। आधा दिन निकल जाने के बाद भी अगर मैंने खाना नहीं खाया तो तुम मुझे टोक दिया करते हो। मैं किस से क्या बात करती हूँ, किसने मुझसे क्य
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मैं- तुम्हें ये क्यों लगता है मैं तुमसे प्यार करती हूँ..? वो- लगता है.. वाक़ई?.. तुम करती हो! ©Roopanjali singh parmar #रूपकीबातें #roop #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #shayri #Nojoto
Roopanjali singh parmar
यह रोग है क्या (अनुशीर्षक) ©Roopanjali singh parmar मैं उदास नहीं हूँ.. शायद परेशान भी नहीं हूँ.. बस कहीं भी मन नहीं लगता। खुद से बहुत ऊब गई हूँ। रात होते ही अजीब सी वीरानी छा जाती है मुझ पर। रात में आए कुछ पुराने ख़्याल नींद को ही नहीं तोड़ते बल्कि धड़कनों को बढ़ा भी देते हैं। हाँथ काँपने लगते हैं और आँसू गालों पर लुढ़कने लगते हैं। रोज़ सुबह बिस्तर से केवल यह सोचकर खुद को धकेल कर उठाती हूँ कि थोड़ी देर बाद फिर से वापस बिस्तर पर आऊंगी। तुमने शायद गौर किया होगा कि तुमसे बात करते-करते अचानक खोने लगती हूँ और उदास हो जाती हूँ। यह उदासी मुझमें नहीं है, मैं ख
मैं उदास नहीं हूँ.. शायद परेशान भी नहीं हूँ.. बस कहीं भी मन नहीं लगता। खुद से बहुत ऊब गई हूँ। रात होते ही अजीब सी वीरानी छा जाती है मुझ पर। रात में आए कुछ पुराने ख़्याल नींद को ही नहीं तोड़ते बल्कि धड़कनों को बढ़ा भी देते हैं। हाँथ काँपने लगते हैं और आँसू गालों पर लुढ़कने लगते हैं। रोज़ सुबह बिस्तर से केवल यह सोचकर खुद को धकेल कर उठाती हूँ कि थोड़ी देर बाद फिर से वापस बिस्तर पर आऊंगी। तुमने शायद गौर किया होगा कि तुमसे बात करते-करते अचानक खोने लगती हूँ और उदास हो जाती हूँ। यह उदासी मुझमें नहीं है, मैं ख
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जानते हो सबसे मुश्किल क्या है..? सबसे मुश्किल है तुम्हें रोता हुआ देखना! क्योंकि जो आँसू तुम्हारे गाल को गीला करते हैं, वह मेरी आत्मा भिगा दिया करते हैं। ©Roopanjali singh parmar #रूपकीबातें #roop #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #Nojoto #SAD #apart