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गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश
#मैं_खुश_हूं_बहुत।। #लक्ष्मी मैं खुश हूं बहुत, जो आज तुमने हटा लिया, अपने चेहरे से वो, मासूमियत और स्नेह का नकाब, दिखा दी अपनी असलियत। फिर मुझपर कर दिया, अपने पुरुषत्व का प्रदर्शन। चलो इसी बहाने, तुम कुछ देर भले खुश हो जाओगे। पर मुझे तो जन्म भर के लिए, तुमसे छुटकारा मिला।। तो क्या हुआ जो तुम्हारी क्रूरता का दंश, जीवन भर मेरे चेहरे पर रहेगा, मैं उसे हँसकर झेल जाऊंगी। पर मीठी बातों की छुरी जो तुम चलाते, उम्रभर धोखा करते, उसे शायद मैं पता चलने पर, बर्दाश्त नही कर पाती।। मन से एक बोझ सा, जैसे हट से गया हो अभी अभी। अब तन्मयता से अपना लक्ष्य तयकर बढ़ चलूंगी आगे इस आग से। पर तुम वहीं बंधे रह जाओगे, मुझे भुला भी न पाओगे।। यही तुम्हारी सजा है। तुम भुगतो, मैं तो चैन से सो पाऊंगी अब।। #ISTANDWITHLAKSHMIAGARWAL लक्ष्मी पर हुए अमानवीय घटना के बाद भी उसकी जाति जिंदगी पर सवाल करने वालों तुम्हारे लिए यही दुआ है कि तुम्हारे घर कभी बेटी ना पैदा हो।। #गिरीश 09.01.2020 #लक्ष्मी
गिरीश पाठक
तवायफ चोर गुंडा तो ,,,,,गरीबी भी बनाती है। खुदा केघर से तो वरना कोई ऐसा नहीं होता।। #गिरीश पाठक# 8449154183
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#गजल #कसम जबसे भारत ने उठायी है कसम! छिपके बैठा बैरी भी गया है सहम!१! टिमटिमा रहा था दूर जो पहले, मिटकर के हो गया है वो अदम!२! था गुरुर उसे बारूद के गोलों पर, मेरे भालों ने मिटा दिया है वहम!३! करता है फिजूल की बातें अकसर, बिगड़ गया हो जैसे उसका फ़हम!४! डरते रहो तुम सुनकर मेरे पदचाप, मंजिल पर ही थमेंगे बढ़ते कदम!५! देखी है तुमने नरमी जज्बातों की, जल रहे हो क्यूँ जब हुए हैं गरम!6! तुम भी रंग जाओगे जल्द तिरंगे से, झूमते लिख रहा गिरीश का कलम!७! #गिरीश 20.09.2019 अदम= शून्य, अस्तित्वहीन फ़हम= समझ गजल
गजल
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तीन साल पहले लिखी रचना #अंतहीन गर तलाश होगी, बाहरी दुनिया में कहीं अपनी ख़ुशी की, तो ये छल होगा स्वयं के साथ आएगा नहीं कुछ हाथ। पहले तलाशनी है, अपने दिल की गहराई अपनी चाहतों की छोर और उसे रखना है नियंत्रित समझना है उसे ही, मिलेगी तभी ख़ुशी तुम्हे, अन्यथा सर का दर्द ही बढेगा, दोस्त मेरे रुक जा मत भटक स्वयं के अंदर ढूंढ ज़रा वही छिपी है सच्ची ख़ुशी। जी ले पहले अपनी जिंदगी। जा ज़रा जी ले। #गिरीश 08.08.16 तलाश
तलाश
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#Happy_August नजरें चुराती हो मुझसे! पर पता है ना तुम्हे, ऐसा वही करते हैं जिनके मन में चोर होता है!! अब ये हम दोनों जानतें हैं कि तुमने मेरा दिल चुराया है! है ना!! #गिरीश 02.08.2019 नजरें
नजरें
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#जिक्र_तेरा_ना_हो_तो_ही_सही_है। जिक्र जब जब भी कहीं तेरा होगा, हरा कोई जख्म फिर मेरा होगा।। भूलने लगा हूँ तेरी बेअदबीयां मैं, कैसा ना जाने वक्त का फेरा होगा।। पीठ में चुभे खंजर टीसतें है अब भी, तेरे नाम हर आह का सेहरा होगा।। चहकती बिजली के संग है झटके भी, प्रेम के बदले लगा घाव, गहरा होगा।। गुलाब से चेहरे के पीछे है मक्कारी, बचना, तूफान कहीं तो ठहरा होगा।। बच पाऊंगा शायद तब इस पीड़ा से, मैं जहां होऊं, खुदा का पहरा होगा।। जिक्र जब जब भी कहीं तेरा होगा, हरा कोई जख्म फिर मेरा होगा।। #गिरीश 01.08.2018 जिक्र
जिक्र
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शिकायत_ मिलते हो मुस्कुराते हो चले जाते हो! हमको ऐसे भला तुम क्यूँ जलाते हो!! साफगोई तुम्हारी हमें मंजूर है मगर, चुपचाप रहकर दिल को क्यूँ सताते हो!! माफ़ी मांग ली है मैंने तुमसे पहले ही, दूर रहने को अजब बहाने क्यूँ बनाते हो!! कर ले शिकायत हक़ है तेरा ऐ दोस्त, भरी महफ़िल में फासले क्यूँ दिखाते हो! बोझ दिल में रखके जियेगा कैसे गिरीश, खेल से होकर बाहर मुझे क्यूँ हराते हो!! गिरीश 30.07.19 शिकायत
शिकायत
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#कहो_ना दूर से कब तक निहारा करूँगा। आ जाओ, इश्क दुबारा करूँगा।। तुम रहो मशगूल खयालों में ही, दिल से तुझको पुकारा करूँगा।। नजरें करम अब तो बरसा भी दो जुल्फें यूं कब तक संवारा करूँगा कोशिश यही कि सदा मुस्कुराओ, आंसू कभी ना मैं गंवारा करूँगा।। चलोगे संग क्षितिज तक जो मेरे, सारे जहाँ से भी किनारा करूँगा।। दिन-रात बस तेरा मेरा साथ हो, इजाजत दो, ऐसे गुजारा करूँगा।। #गिरीश 27.07.2018 कहो
कहो
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#कौन_हूँ? वो पूछते हैं मुझे कि मैं तेरा कौन हूँ! है जवाब मगर, तुझे सोचकर मौन हूँ!! किनारे किये जाते हैं उनको राह देने, जैसे उनकी बातें सवाया, मैं पौन हूँ!! उनको मानता हैं जमाना ताज सरीखा, मैं जिंदगी की पुरानी कहानी गौन हूँ!! मीठी बोलियों से मन को भरमाते वो, मैं कडवी दवा हूँ, नीम का दतौन हूँ!! किस्सागोई से कुछ हासिल नहीं गिरीश, मानकर यही अरमानों का करता दौन हूँ!! #गिरीश 25.07.2019 पौन – तीन चौथाई गौन – तुलना में कम होना दतौन – दातुन दौन – दमन कौन हूँ
कौन हूँ
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#शाबाश_हिना_बिटिया मुझे गर्व है तुम पर, पर दुख भी है लोगों की सोच पर।। जो लोग आज तुम पर लिख रहें है और क्रिकेट को कोस रहें हैं। ये वही है जो, पाकिस्तान को लीग मैच में हराने के बाद, कोहली एन्ड टीम की जयजयकार कर रहे थे। अब जब सेमीफाइनल में बुरी हार हुई, तब उन्हें तुम्हारी याद आयी, जबकि तुमने उसके पहले ही, पदक जीत लिया था। कल फिर किसी मैच में, आलीशान विजय पताका लिखकर, आएगी क्रिकेट टीम, तो फिर तुम हाशिये में होगी।। इसलिए विनती है तुमसे, इन प्रशंसाओं से फूलना नहीं न ही कभी खबर में न होने पर उदास होना।। दुनिया को उनके हिसाब से चलने दो।। तुम अपने हिसाब से चलो।। मेरी बात भी वैसी ही है सबके जैसी।। मैं भी उन्हीं में से एक हूँ।। पुनः शाबाश बिटिया हिमा। #गिरीश 25.07.2019 हिमा
हिमा
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