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Kavitri mantasha sultanpuri
White हमने कब चाहा था नूपुर घन सघन बजे जब कोई रस ना था जब भी तृषा ना बड़ी बस अनंत एक समतल था जहाँ मौन मुझे घेरे खड़ा और प्रीत दूजा कौन था करुणा अंबर फाड़ बरसती शून्य में फैला यही अनंत था ©Kavitri mantasha sultanpuri #hmne_kab_chaha_tha #KavitriMantashaSultanpuri #hindikavita #sadpoetry
Kavitri mantasha sultanpuri
कितनी भी बार प्राजय हो किन्तु हौसलें कम नहीं होने चाहिए .. यही अंतिम सीढ़ी तक पहुँचाते है ©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri
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कुछ करने को जब चलते निराश मन से स्वम ढर जाते भीतर कितनी उलझने बसा लेते उड़ने को हर पल आतुर रहते किन्तु भरोसा पंखों पर नहीं करते भाग्य से हर पल भिछा मांगते किन्तु भरोसा भाग्य पर नहीं करते ©Kavitri mantasha sultanpuri #निराश #KavitriMantashaSultanpuri
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republic day ©Kavitri mantasha sultanpuri #RepublicDay #KavitriMantashaSultanpuri
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कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर को भरमाए सपनो पर धूल उड़ाए मन तनिक बहलाए किन्तु भविष्य धुमिल कर गए ©Kavitri mantasha sultanpuri #Mankimaya #KavitriMantashaSultanpuri
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सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें जो कुछ लिखते कोरे कागजो में एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में परिणाम सफल या असफल होगें ये छोड़ तू समय के बहाव में देखना एक रोज पथ उस ओर होगें जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में ©Kavitri mantasha sultanpuri #जिस_ओर_हम_होगें #KavitriMantashaSultanpuri
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स्वम को सपनो में मत ढुढीये बलकी यथार्थ में रहते हुए स्वम की एक पहचान बनाइये ©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri
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अगर कुछ ठाना है तो चलते रहो क्यूँकि किस पग पर मंजिल मिल जाए ये किसी को नहीं ज्ञात ©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri
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इन झरोखों में कुछ स्मृतियाँ ठहरी है जो सरिता संग घुलती भीतर आती है मन रुदन ज्यों समेटे ज्यों याँद आती है कितनी विकलता स्मृतियों के द्वार रहती ©Kavitri mantasha sultanpuri #विकलता #KavitriMantashaSultanpuri
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मानव जब तक कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता जब तक वह अपने मन पर समपूर्णता नियंत्रण ना सीख ले ©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri
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