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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। नमस्ते भवभामाय नमस्ते भवमन्यवे। नमस्ते अस्तु बाहुभ्यामुतो त इषवे नमः ॥ हे क्रोधरूप रुद्रदेव! आपके प्रति हमारा प्रणाम है । हे नीलकण्ठ रुद्र! आपकी दोनों भुजाओं और उनमें धारण किये हुए बाणों को प्रणाम । हे कैलासपति ! आप पर्वत पर रहते हुए भी सबका मंगल करते हैं। हे गिरित्र (पर्वतों के रक्षक) रुद्रदेव! दुष्टों का संहार करने के लिए जिस बाण को आप धारण किये हुए हैं, उस बाण को हम मनुष्यों के लिए कल्याणप्रद बनाएँ। उससे हमारे स्वजनों का संहार न करें ॥ O wrathful Rudradev! We salute you. Hey Neelkanth Rudra! Greetings to both your arms and the arrows held in them. O Kailasapati! Even when you are on the mountain, you do everything. O Giritra (protector of mountains) Rudradev! To destroy the evil, the arrow which you are wearing, make that arrow beneficial to humans. Do not kill our relatives with it. ( नीलरुद्रोपनिषद् १.४ ) #नीलरुद्रोपनिषद् #शिव #शिवरात्रि #रुद्र #नीलकंठ #shiva
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