कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरन्नुम में तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ऐ आसमां वालों,
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ाने भूल आया हूँ;
#KumarVishwas#KVpoetry#Poetry
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरन्नुम में तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ऐ आसमां वालों,
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ाने भूल आया हूँ;
#KumarVishwas#KVpoetry#Poetry
Praveen Jain
मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा
कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा
कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
Praveen Jain
एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;
शाम के साज पर रोशनी,
गीत गाते हुए आ रही है;
तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है;
वक्त यूं ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी इक आरजू है, #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
एक मैं हूं यहाँ, एक तू है,
सिर्फ साँसों की ही गुफ्तगू है;
शाम के साज पर रोशनी,
गीत गाते हुए आ रही है;
तेरी जुल्फों से छनकर वो देखो,
चाँदनी नूर बरसा रही है;
वक्त यूं ही ठहर जाए हमदम,
दिल को इतनी सी इक आरजू है, #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
Praveen Jain
सब तमन्नाएँ हों पूरी, कोई ख्वाहिश भी रहे
चाहता वो है मुहब्बत में नुमाइश भी रहे
आसमाँ चूमे मेरे पँख तेरी रहमत से
और किसी पेड की डाली पर रिहाइश भी रहे
उसने सौंपा नही मुझे मेरे हिस्से का वजूद
उसकी कोशिश है की मुझसे मेरी रंजिश भी रहे #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
सब तमन्नाएँ हों पूरी, कोई ख्वाहिश भी रहे
चाहता वो है मुहब्बत में नुमाइश भी रहे
आसमाँ चूमे मेरे पँख तेरी रहमत से
और किसी पेड की डाली पर रिहाइश भी रहे
उसने सौंपा नही मुझे मेरे हिस्से का वजूद
उसकी कोशिश है की मुझसे मेरी रंजिश भी रहे #Poetry#KumarVishwas#KVpoetry
Praveen Jain
यूँ हमारा हृदय तोड़ कर क्या मिला ,
यूँ अकेला हमें छोड़ कर क्या मिला ,
और भी तो कई रूप थे घात के ,
प्रीत का नाम यूँ ओढ़ कर क्या मिला ;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
यूँ हमारा हृदय तोड़ कर क्या मिला ,
यूँ अकेला हमें छोड़ कर क्या मिला ,
और भी तो कई रूप थे घात के ,
प्रीत का नाम यूँ ओढ़ कर क्या मिला ;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
Praveen Jain
हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आँचल हो नहीं सकता,
जिसे दुनिया को पाना हो वो पागल हो नहीं सकता,
जफाओं की कहनी जब तलक इसमें न शामिल हो,
वफाओं का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आँचल हो नहीं सकता,
जिसे दुनिया को पाना हो वो पागल हो नहीं सकता,
जफाओं की कहनी जब तलक इसमें न शामिल हो,
वफाओं का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
Praveen Jain
अजब सी ऊब शामिल हो गयी है रोज़ जीने में
पलों को दिन में, दिन को काट कर जीना महीने में
महज मायूसियाँ जगती हैं अब कैसी भी आहट पर
हज़ारों उलझनों के घोंसले लटके हैं चैखट पर
अचानक सब की सब ये चुप्पियाँ इक साथ पिघली हैं
उम्मीदें सब सिमट कर हाथ बन जाने को मचली हैं
मेरे कमरे के सन्नाटे ने अंगड़ाई सी तोड़ी है
मेरी ख़ामोशियों ने एक नग़मा गुनगुनाया है #Poetry
अजब सी ऊब शामिल हो गयी है रोज़ जीने में
पलों को दिन में, दिन को काट कर जीना महीने में
महज मायूसियाँ जगती हैं अब कैसी भी आहट पर
हज़ारों उलझनों के घोंसले लटके हैं चैखट पर
अचानक सब की सब ये चुप्पियाँ इक साथ पिघली हैं
उम्मीदें सब सिमट कर हाथ बन जाने को मचली हैं
मेरे कमरे के सन्नाटे ने अंगड़ाई सी तोड़ी है
मेरी ख़ामोशियों ने एक नग़मा गुनगुनाया है #Poetry
Praveen Jain
कोई अल्हड़ हवा जब चली झूमती,
मन को ऐसा लगा ज्यों तुम्हीं से मिला,
जब भी तुम मिल गए राह में मोड़ पर,
मुझको मालूम हुआ जिंदगी से मिला;
#KumarVishwas#KVpoetry#Poetry
कोई अल्हड़ हवा जब चली झूमती,
मन को ऐसा लगा ज्यों तुम्हीं से मिला,
जब भी तुम मिल गए राह में मोड़ पर,
मुझको मालूम हुआ जिंदगी से मिला;
#KumarVishwas#KVpoetry#Poetry
Praveen Jain
ये भी दिन देखने थे आज तुम्हारे बल पर,
ख़्वाब कि मुर्दा रियाया के भी यूँ पर निकले,
तुम्हारी बातें, निगाह, वादे तो तुम जैसे थे,
तुम्हारे ख्वाब भी तुम जैसे ही शातिर निकले;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
ये भी दिन देखने थे आज तुम्हारे बल पर,
ख़्वाब कि मुर्दा रियाया के भी यूँ पर निकले,
तुम्हारी बातें, निगाह, वादे तो तुम जैसे थे,
तुम्हारे ख्वाब भी तुम जैसे ही शातिर निकले;
KumarVishwas KVpoetry #Poetry
Praveen Jain
सातवें आसमान तक, चल ना !
चल! सितारों के जाल तक, चल ना !
दिल, बिना देवता की काशी है ,
जिस में हर घाट पर उदासी है ,
कुछ है चटका हुआ सा मुझ में भी ,
तू भी कितने जनम से प्यासी है ,
मेरे अश्कों के ताल पर, चल ना !
सातवें आसमान पर, चल ना ! #Poetry
सातवें आसमान तक, चल ना !
चल! सितारों के जाल तक, चल ना !
दिल, बिना देवता की काशी है ,
जिस में हर घाट पर उदासी है ,
कुछ है चटका हुआ सा मुझ में भी ,
तू भी कितने जनम से प्यासी है ,
मेरे अश्कों के ताल पर, चल ना !
सातवें आसमान पर, चल ना ! #Poetry