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maheshkopa8084
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Mahesh Kopa

poet & writer

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Mahesh Kopa

White निर्धनता नंगे पाँव में घाव दे रही है,
नभ ना तरस खा रही, ना भाव दे रही है।

©Mahesh Kopa #sad_quotes
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Mahesh Kopa

White शिक्षा से संस्कार तो है
उसे प्राप्त कर संस्कारहीनता क्यों है?

©Mahesh Kopa #teachers_day
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Mahesh Kopa

White कौन जिम्मेदार है?

स्तब्ध हैं,
निःशब्द हैं।
मुझसे,
सब क्रुद्ध हैं।

असमर्थ या मौन है,
प्रभुत्व ही विलीन है।

संशय की बाढ़ है,
सब बाढ़ में संलिप्त हैं।

मेरे स्वप्न सशक्त थे,
लक्ष्य विभक्त थे।

जुर्म से अनजान थी,
कर्तव्यपथ पे मग्न थी।

वे क्रूर हैं,
मानुष के वंश पे कलंक हैं।

कहाँ सम्मान है,
केवल अपमान है।
सर से नाखून तक,
हवस के निशान हैं।

स्त्री एकांत में,
अब भोग की सामान है?
कहते हैं नारी 
इस राष्ट्र की सम्मान है।
कबतक सहन,
इस राष्ट्र का अपमान है।

कौन जिम्मेदार है?
कौन गुनहगार है?

©Mahesh Kopa #GoodMorning
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Mahesh Kopa

White प्रण ऐसा हम लेते हैं!

"अमर'' स्मरण रहेगी, वीरों के बलिदानों की,
नित्य जीयेंगे देशहित में, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

देश के वीर जवानों तुम, सीमा पर निश्चिन्त रहो,
अब साक्ष्य नही मांगेगा कोई, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

सदा रही है सदा रहेगी, जन्मभूमि हमको प्यारी,
अमिट है उपकार राष्ट्र की, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

भारतभूमि जग में न्यारी,अनुपम हैं संस्कार,
विश्व मे हो विस्तार राष्ट्र की, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

सौगन्ध हमे है मातृभूमि की, शीश नही झुकने देंगे,
दास रहेंगे निष्ठावान, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

सैनिक से सीमा में बल है, स्वाधीनता मनाएँगे,
सदैव तिरंगा लहरायेंगे, प्रण ऐसा हम लेते हैं।

©Mahesh Kopa #happy_independence_day
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Mahesh Kopa

White  "सौंदर्य" सदैव की है?

मुख की सौंदर्य देख मन प्रफुल्लित हो गया,
प्रतीत ऐसा हुआ हरियाली सदैव की है।

पल-दर-पल गुजरता है,
परिवर्तन सदैव की है।

हम ही झूठे हैं वक्त तो बदलता गया ऋतुओं की तरह,
यह सिलसिला ही सदैव की है।

जिन्हे सौन्दर्य पर अहंकार था,
वो सौंदर्य ही ना रही जो दिखी सदैव की है।

उसने अभिमान में कई छल-कपट किये,
ना रही कुछ नाम की, वास्तविकता सदैव की है।

जीवन अंधकारमय हुई वास्तव में, छल कर,
ना सौंदर्य की आश बची, ना अस्तित्व सदैव की है।

रूप पे इतराकर, भ्रमित बने रहे आजीवन,
वह हरियाली वास्तविक मिथ्या, सदैव की है।

अब उस पड़ाव पर ले आयी अभिमान मुझे,
ना कोई अपना रहा, ना कुछ शेष सदैव की है।

फिर भी जीवन की सुंदरता देख मन प्रफुल्लित हो गया,
क्या यह "सौंदर्य" सदैव की है।

©Mahesh Kopa #sad_shayari
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Mahesh Kopa

White यथार्त्वादियों की अपेक्षा मित्यवादी आकर्षित करते हैं,
और ताउम्र मित्यात्मकता से जूझा करते हैं।

©Mahesh Kopa #love_shayari
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Mahesh Kopa

White जमाने को खुश रखते-रखते,
खुद को खुश रखना भूल गये हम।

©Mahesh Kopa #weather_today
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Mahesh Kopa

White बातें बोलने वाले बेहद हैं,
अमल करने वाले हद हैं।

©Mahesh Kopa #sad_shayari
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Mahesh Kopa

White हमारी वफ़ा पे शक करते हैं,
खुद बेवफाई करते हैं।

©Mahesh Kopa #love_shayari
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Mahesh Kopa

White गुरु बिन पथभ्रष्ट हुई, बन गये हम अज्ञान,
गुरु से जो पल भेंट हुई,बन गये हम महान।

©Mahesh Kopa #guru_purnima
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