I love writing poetry , sayari , gazal , lyrics , singing etc..
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Rabindra Kumar Ram
" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे ,
तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह ,
रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का ,
इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . "
--- रबिन्द्र राम
#ख़्याल#मुकर#अंदाजा#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" जाने किसकी अज़िय्यत में हूं आखिर क्यों
उसके तमाम हसरतों का मक़बूलियत हैं क्यों "
--- रबिन्द्र राम
#अज़िय्यत -( परेशानी)
#तमाम#हसरतों#मक़बूलियत - (स्वीकृत) #शायरी
Rabindra Kumar Ram
" तुम से मिलना था तुम मिलते - मिलते रह गये ,
रफ़ाक़त करते तो क्या करते तुम महज़ तसव्वुर का ख़्याल बन के रह गये ,
मेरे तहरीरों पे जो आते ये नज़्म हमारे ,
कई दफा तेरी नाम से वाकिफ होते होते रह गये . "
--- रबिन्द्र राम
#रफ़ाक़त#तसव्वुर#ख़्याल#तहरीरों#नज़्म#वाकिफ#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" तुम से मिलना था तुम मिलते - मिलते रह गये ,
रफ़ाक़त करते तो क्या करते तुम महज़ तसव्वुर का ख़्याल बन के रह गये ,
मेरे तहरीरों पे जो आते ये नज़्म हमारे ,
कई दफा तेरी नाम से वाकिफ होते होते रह गये . "
--- रबिन्द्र राम
#रफ़ाक़त#तसव्वुर#ख़्याल#तहरीरों#नज़्म#वाकिफ#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" मैं ख़्यालो की नुमाइश लिये बैठे हैं बात ज़रा कुछ भी नहीं ,
गुंजाइश जो भी हो सो हो इस अदब से तेरी तन्हाई की सरगोशी लिये बैठे हैं ,
वो शामें वफ़ा मुश्किलात तो हैं ही तेरे बिन इस अंजुमन में ,
तुझसे पुछे बगैर तुझसे मुहब्बत की जुर्म किये बैठे हैं ."
--- रबिन्द्र राम
#नुमाइश#ज़रा#गुंजाइश#सरगोशी#वफ़ा#अंजुमन#मुहब्बत#जुर्म#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" यूं मिलना हैं कि तुझसे बिछड़ रहें हैं हम ,
तेरी फ़ुर्क़त की इतनी जो सबब जो आदत नहीं मुझको ,
जो भी आता हैं मिल के ज़ाहिर कर लेता हूं मैं ,
अपनी बसीयत जो तुझपे ज़ाहिर कर लेता हूं मैं. "
--- रबिन्द्र राम
#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" खुद को अब किस तरफ ना मसरुफ़ रखा जाये ,
मुहब्बत तु हैं तो तुझसे फिर किस कदर ना मा'रूफ़ रखा जाये ,
बज़्मेनाज़ से मैं तुमसे मिलता ही रहता हूं ,
कमबख़्त इस दिल को कहीं तसली भी नहीं मिल रहा . "
--- रबिन्द्र राम
#मसरुफ़#मुहब्बत#मा'रूफ़ ( जान-पहचान) #शायरी
Rabindra Kumar Ram
" इश्क़ हैं की जनाब क्या बात करे हम,
उलफ़ते-ए-हयात नवाइस कर तो देते ,
आखिर किस दरिया में उतरते ऐसे में हम,
कुर्बत मुनासिब हो जो भी जैसा भी हो ,
फ़ुर्क़ते-ए-हयात अब जो भी हो सो हो ,
मैं तुम्हें इस मलाल से छोड़ तो नहीं देते. "
--- रबिन्द्र राम #शायरी
Rabindra Kumar Ram
" यूं मिलोगें तुम अब ख़्याल किसे हैं ,
मुहब्बत तो हैं मुहब्बत का हिसाब किसे हैं ,
तेरे ज़र्फ़ में उम्मीदों के दामन छोड़े तो छोड़े कैसें,
इस अज़िय्यत से इतने भी अजनबी और काफ़िर ना हुये . "
--- रबिन्द्र राम
#ख़्याल#मुहब्बत#हिसाब#ज़र्फ़#दामन#अज़िय्यत#अजनबी#काफ़िर#शायरी
Rabindra Kumar Ram
" हसरतों का अब कौन सा मुकाम बनाते हम ,
दहलीज़ों पे तेरे होने का कुछ यकीनन यकीन आये ,
रुठे - रुठे से जऱा मायूस हो चले अब हम ,
बेशक उसके ज़र्फ़ में इसी शिद्दत से भी हमें भी आजमायें जाये ."
--- रबिन्द्र राम
#हसरतों#दहलीज़ों#ज़र्फ़#आजमायें#शायरी