मेरा दर्द भी तुम दवा भी तुम नेमत हो तुम और सज़ा भी तुम, मेरे लाख़ गुनाह में एक गुनाह मुद्दई मेरा और सखा भी तुम। तुम खंजर हो तुम राहत हो, तुम चाहत हो मैं आहत हूँ, हो सवाल तुम जवाब तुम, हो ख़फ़ा भी तुम और रज़ा भी तुम। तुम हवा हो तुम क़ैद भी हो, तुम सपने हो और काँच भी तुम, तुम ठंडक हो आग भी तुम, कल्ब भी तुम और कज़ा भी तुम। मौन में एक आवाज़ हो तुम, आँसू हो और मुस्कुराहट तुम, आँखों से तुम ही झड़ते हो, तुममें सहरा और फ़ज़ा भी तुम। तुम दिल का एक मिस्मार कोना, तुम सावन की हरियाली हो, मेरा ग़ुरूर तुम ठेस भी तुम हो कष्ट तुम्ही और मज़ा भी तुम।— % & ♥️ Challenge-901 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।