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क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक

क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!?
यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। 
क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं,  और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे वर्णित जानकारी सत्य हैं, तो गीता का ज्ञान झुठा साबित हो जायेगा।
पर ऐसा नही हैं, गरुड़ मे वर्णित नर्क यात्नायें और नरक का वर्णन भी उतना ही सत्य हैं जितना गीता का ज्ञान। बस इसे थोड़ा समझने की जरुरत हैं। अपने अनुसार, ना की उन लोगो से जिन्होने ज्ञान को इतना दूषित कर दिया हैं, की हम तर्को और तथ्यो मे उलझकर यह भी नही समझ पाते की सत्य क्या हैं।
मेरे अनुसार तो स्वर्ग और नरक यहीं हैं। 
स्वर्ग हैं वहां जहां, व्यक्ति हर पल खुशी और आनंद का अनुभव कर सके, और यह आनन्द व्यक्ति उसी समय अनुभव कर सकता हैं, जब उसकी आत्मा प्रफुल्लित हो, और उसके भीतर एक अलौकिक खुशी का एहसास हो। जिसके लिये धन, दौलत , मान-सम्मान नही। मन की शान्ती की जरुरत होती हैं। हर चीज को समभाव से देखने की जरुरत होती हैं, और अन्त करण की शुद्धि की जरुरत होती हैं। अगर ऐसा व्यक्ति अपने जीवन को बना पाया तो, उसे हर पल एक आत्मिक खुशी की अनुभूति होगी वह खुशी ही उसे अपने आप मे स्वर्ग का एहसास कराती हैं।
इसके ठीक विपरीत अगर बात करें गर्द पुराण मे वर्णित पापो और उनके लिये मिलने वाले दण्ड की तो, यही कहां जा सकता हैं, की इस सम्पुर्ण संसार मे ऐसा कोई नही जिसे नरक नही जाना पड़ेगा । और वह नरक कही और नही हैं , वह नरक वही गर्भ हैं, जिसमे जीव नो महीने की यातना काटते हुएँ, धीरे धीरे आकार लेता हैं।
अगर किसी व्यक्ति ने गरुड़ पुराण का अध्ययन किया हैं तो जानकारी उसमे दी गई हैं, की मरने के बाद आत्मा को यमदूत यमराज के समक्ष ले जाते है, जहां उनके कर्मो के अनुसार उनको किस नरक मे भेजना हैं, और उनकी सजा की अवधी क्या होगी यह तय किया जाता हैं, उसके बाद यमदूत उस आत्मा को नरक के लिये ले जाते हैं। अब जैसा वर्णन गरुड़ पुराण मे नरक का मिलता हैं की, नरक का द्वार खुलते ही एक गहरी अंधेरी गुफ़ा हैं, जिसमे प्रवेश करते ही अजीब सी गन्ध आने लगती हैं, आगे चलकर खून की नदी हैं, जिसमे विभिन्न प्रकार के जीव हैं जो वहां आने वाले नये जीव को तरह तरह को यात्नाये देते हैं। उसके बाद मल मूत्र से भरा कुआ हैं, जिसमे जीव को धकेल दिया जाता हैं, और फ़िर उस कुएँ से व्यक्ति नरक मे प्रवेश करता हैं जहाँ उसे कई प्रकार की यात्नाये दी जाती हैं। जैसे गर्म खोलते हुएँ पानी और तेल मे तलना, ठंडी बर्फ की चट्टानो पर रखना, किलो से भेदना, लगतार उसे लुडकाना, और भी बहुत सी हैं, जैसे कीड़ों से कटाना, अन्न जल नही देना, अनगीनत यात्नाये। और जब उसका नरक की सजाका समय पुर्ण हो जाता हैं, उसे मुक्त कर दिया जाता हैं, या वापस मृत्यूलोक मे जन्म दिया जाता हैं।
क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!?
यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। 
क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं,  और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे वर्णित जानकारी सत्य हैं, तो गीता का ज्ञान झुठा साबित हो जायेगा।
पर ऐसा नही हैं, गरुड़ मे वर्णित नर्क यात्नायें और नरक का वर्णन भी उतना ही सत्य हैं जितना गीता का ज्ञान। बस इसे थोड़ा समझने की जरुरत हैं। अपने अनुसार, ना की उन लोगो से जिन्होने ज्ञान को इतना दूषित कर दिया हैं, की हम तर्को और तथ्यो मे उलझकर यह भी नही समझ पाते की सत्य क्या हैं।
मेरे अनुसार तो स्वर्ग और नरक यहीं हैं। 
स्वर्ग हैं वहां जहां, व्यक्ति हर पल खुशी और आनंद का अनुभव कर सके, और यह आनन्द व्यक्ति उसी समय अनुभव कर सकता हैं, जब उसकी आत्मा प्रफुल्लित हो, और उसके भीतर एक अलौकिक खुशी का एहसास हो। जिसके लिये धन, दौलत , मान-सम्मान नही। मन की शान्ती की जरुरत होती हैं। हर चीज को समभाव से देखने की जरुरत होती हैं, और अन्त करण की शुद्धि की जरुरत होती हैं। अगर ऐसा व्यक्ति अपने जीवन को बना पाया तो, उसे हर पल एक आत्मिक खुशी की अनुभूति होगी वह खुशी ही उसे अपने आप मे स्वर्ग का एहसास कराती हैं।
इसके ठीक विपरीत अगर बात करें गर्द पुराण मे वर्णित पापो और उनके लिये मिलने वाले दण्ड की तो, यही कहां जा सकता हैं, की इस सम्पुर्ण संसार मे ऐसा कोई नही जिसे नरक नही जाना पड़ेगा । और वह नरक कही और नही हैं , वह नरक वही गर्भ हैं, जिसमे जीव नो महीने की यातना काटते हुएँ, धीरे धीरे आकार लेता हैं।
अगर किसी व्यक्ति ने गरुड़ पुराण का अध्ययन किया हैं तो जानकारी उसमे दी गई हैं, की मरने के बाद आत्मा को यमदूत यमराज के समक्ष ले जाते है, जहां उनके कर्मो के अनुसार उनको किस नरक मे भेजना हैं, और उनकी सजा की अवधी क्या होगी यह तय किया जाता हैं, उसके बाद यमदूत उस आत्मा को नरक के लिये ले जाते हैं। अब जैसा वर्णन गरुड़ पुराण मे नरक का मिलता हैं की, नरक का द्वार खुलते ही एक गहरी अंधेरी गुफ़ा हैं, जिसमे प्रवेश करते ही अजीब सी गन्ध आने लगती हैं, आगे चलकर खून की नदी हैं, जिसमे विभिन्न प्रकार के जीव हैं जो वहां आने वाले नये जीव को तरह तरह को यात्नाये देते हैं। उसके बाद मल मूत्र से भरा कुआ हैं, जिसमे जीव को धकेल दिया जाता हैं, और फ़िर उस कुएँ से व्यक्ति नरक मे प्रवेश करता हैं जहाँ उसे कई प्रकार की यात्नाये दी जाती हैं। जैसे गर्म खोलते हुएँ पानी और तेल मे तलना, ठंडी बर्फ की चट्टानो पर रखना, किलो से भेदना, लगतार उसे लुडकाना, और भी बहुत सी हैं, जैसे कीड़ों से कटाना, अन्न जल नही देना, अनगीनत यात्नाये। और जब उसका नरक की सजाका समय पुर्ण हो जाता हैं, उसे मुक्त कर दिया जाता हैं, या वापस मृत्यूलोक मे जन्म दिया जाता हैं।