बाहर से सब चका चौंध है, भीतर है उफ़ान बड़ा हूँ अंदर से मिस्मार बड़ा मैं, अंदर है तूफ़ान खड़ा हँसता गाता मतवाला सा, हूँ मनमौजी बयार मैं चीख़ पुकार हर पुर्जा करे, बिखरने को तैयार मैं बूँद न एक बही नैनों से, न होंठों से मुस्कान डिगी जलमग्न है मन का कोना, माथे पर न शिकन दिखी कण कण ऐसा मौन मौन सब , मूरत मैं कोई जैसे अंदर का है शोर भयावह, मैं दो दुनिया जीता जैसे क्या समेटा दिल में कितना, है ज़ख़्म गहरा कितना बाहर जितनी हरियाली है, अंदर है सहरा उतना ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1116 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ इस महीने दिल खोलकर लिखें। 😊 #अंदरकाशोर #मुख्यप्रतियोगिता #KKC1116 #YQDIDI #कोराकाग़ज़ #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़