रोटियों का खेल है सारा, रोटी तलाशते गांव से शहर जा पहुंचा, भूंका पेट और जीने की चाह में, रोटियां लिए शहर से गांव को निकला, रात अँधेरा था वो हर मजदूर थका था, मत मारी थी उनकी, जो आराम की चाह में पटरी पर जा लेता, नींद गहरी थी वो नंगे पांव पैदल ही घर को निकला था, हांथों में रोटियां सीने से लगाए बेफिक्र सा सोया था, गुजर गयी पटरी पर दौड़ती वो सरपट मालगाड़ी, कहीं धड़ कहीं पर सर ,लहूलुहान वो मंजर था, कुछ बचा था ... वो थी बस रोटियां | sonamkuril #Aurangabadtrainaccident #majdoor #shramik #labour #darknight