कि कम से कम खुद से तो ऐसे झूठ ना बोलें, सत्य को सत्य ही रहने दें मुख में मिश्री घोलें, भला कैसे ना हम समझें इस धन्य रहस्य को, अहिंसा को भीतर रखें और प्रेम के द्वार खोलें। नमन तुम्हें है दिव्यात्मा नमन तुम्हें है महात्मा आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। अहिंसा के मार्ग पर चलना सब के लिए आसान नहीं है। आज पग-पग पर इतने प्रलोभन हैं कि सत्य पर टिके रहना अत्यंत कठिन है। इसके बावजूद हम सभी में अपनी क्षमता अनुसार सत्य मार्ग पर चलते रहने की इच्छा मौजूद होती है। व्यक्तिगत स्तर पर हम सत्य पर बने रहने के लिए क्या कर सकते हैं?