बीते लम्हें लौट के अब फ़िर से न आने हैं, वो जो छूटे पीछे अब हो चले बेगाने हैं। न ढूँढना अब फ़िर उनमे खोया वो शख्स, मझदार में मुँह मोड़ चले अब वो अंजानें हैं। तारीखें बेशक़ उन्हें याद करने का बहाना देंगी, रख पत्थर कलेजे पे के वो रिश्ते न अब निभाने हैं। हंसते लम्हें कानों में अधूरी कसक बन गूँजतें हैं, आँख भर आती है पर वो न फ़िर लौट आने हैं। जी लेना आज ही ज़िन्दगी के हर हसीं पल, कल वजूद बिख़र जायेगा देखोगे तो सब सयाने हैं। वो साथी जो अब तस्वीरों में ही साथ दिखता है, वो अब लौटेगा नहीं, के बीते लम्हें अब भुलाने हैं। ♥️ Challenge-767 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।