एक पंछी का घोंसला बिखरने लगा , कुछ लोगों का चेहरा निरखरने लगा , कुछ मसीहा बनेंगे सिर्फ़ दिखावा को , कुछ ताक जमाए बैठे हैं बस धावा को , ज़िंदगी सबका हिसाब करेगी एक दिन , जो बोया है वही फ़सल कटेगी एक दिन , जो तमाशा देखकर मुस्कुरा रहे हैं आज , बाहर व्याकुल मन में हर्षा रहे हैं आज , खुशियां मानो मेरे घर का रास्ता भूल गईं , मुझसे क्या है वो शायद वास्ता भूल गईं , हर रात के बाद उम्मीदों की सुबह होती है , जो चलता रहता है उसी की फतह होती है , ©Poetry Of SJT एक पंछी का घोंसला बिखरने लगा , कुछ लोगों का चेहरा निरखरने लगा , कुछ मसीहा बनेंगे सिर्फ़ दिखावा को , कुछ ताक जमाए बैठे हैं बस धावा को , ज़िंदगी सबका हिसाब करेगी एक दिन , जो बोया है वही फ़सल कटेगी एक दिन ,