Nojoto: Largest Storytelling Platform

क़ौम की फिक्र अब मुझे सोने ही कहाँ देती है बढ़ती हु

 क़ौम की फिक्र अब मुझे सोने ही कहाँ देती है 
बढ़ती हुई बेबसी अब मुझे रोने ही कहाँ देती है 
लिख रहा हूं कि शायद क़ौम मेरी जाग जाए 
पर क़ौम की बेहिशी अब लिखने ही कहाँ देती है
जुल्म ओ सितम खामोशी में रहकर सह रहे है 
तानाशाहों की हुकूमत अब बोलने ही कहाँ देती है
हर तरफ से घिर चुके है हम बातिल की किलेबंदी में
हुकूमत राज अपने सितम के कहने ही कहाँ देती है 
 क़ौम की फिक्र अब मुझे सोने ही कहाँ देती है 
बढ़ती हुई बेबसी अब मुझे रोने ही कहाँ देती है 
लिख रहा हूं कि शायद क़ौम मेरी जाग जाए 
पर क़ौम की बेहिशी अब लिखने ही कहाँ देती है
जुल्म ओ सितम खामोशी में रहकर सह रहे है 
तानाशाहों की हुकूमत अब बोलने ही कहाँ देती है
हर तरफ से घिर चुके है हम बातिल की किलेबंदी में
हुकूमत राज अपने सितम के कहने ही कहाँ देती है 
imranilahi7797

Imran Ilahi

New Creator